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भारत ने CoP30 में जलवायु कार्रवाई और साझा जिम्मेदारी की प्रतिबद्धता दोहराई

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07 नवंबर 2025 को ब्राजील के बेलें शहर में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा अभिसमय (UNFCCC) के 30वें पक्षकार सम्मेलन (CoP30) के नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया ने भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य (National Statement) प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत की जलवायु कार्रवाई के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता को दोहराया, जो समानता (Equity), राष्ट्रीय परिस्थितियों (National Circumstances) और सामान्य किंतु विभेदित दायित्वों और संबंधित क्षमताओं (CBDR-RC) के सिद्धांतों पर आधारित है।

भारत ने ब्राजील को CoP30 की मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया और पेरिस समझौते की 10वीं वर्षगांठ तथा रियो सम्मेलन की 33वीं वर्षगांठ को याद किया। भारत के वक्तव्य में कहा गया कि यह अवसर वैश्विक ऊष्मीकरण की चुनौती पर वैश्विक प्रतिक्रिया की समीक्षा करने और रियो सम्मेलन की उस विरासत का उत्सव मनाने का है, जिसने समानता और CBDR-RC के सिद्धांतों को अपनाकर अंतरराष्ट्रीय जलवायु ढांचे की नींव रखी, जिसमें पेरिस समझौता भी शामिल है।

भारत ने ब्राजील की नई पहल Tropical Forests Forever Facility (TFFF) की सराहना की और इसे उष्णकटिबंधीय वनों के संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक और सतत कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। भारत ने इस पहल में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल होने की घोषणा की।

भारत का सतत विकास और जलवायु नेतृत्व

भारत के वक्तव्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपनाए गए कम-कार्बन विकास मार्ग (Low-Carbon Development Path) को रेखांकित किया गया।

  • 2005 से 2020 के बीच भारत ने GDP की उत्सर्जन तीव्रता (Emission Intensity) में 36% की कमी हासिल की।

  • भारत की स्थापित विद्युत क्षमता में अब 50% से अधिक हिस्सा गैर-जीवाश्म स्रोतों (Non-Fossil Sources) से आता है, जिससे भारत ने अपने संशोधित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्य को 5 वर्ष पहले ही प्राप्त कर लिया।

वक्तव्य में यह भी बताया गया कि भारत ने वन और वृक्ष आवरण में निरंतर वृद्धि की है, जिससे 2005 से 2021 के बीच 2.29 अरब टन CO₂ समकक्ष का अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाया गया है। भारत अब लगभग 200 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक बन गया है।

साथ ही, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के माध्यम से अब 120 से अधिक देश सस्ती सौर ऊर्जा और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं।

साझा जिम्मेदारी और वैश्विक जलवायु न्याय

भारत ने कहा कि पेरिस समझौते के दस वर्ष बाद भी कई देशों के NDC लक्ष्य अपर्याप्त हैं। विकासशील देश निर्णायक जलवायु कार्रवाई कर रहे हैं, जबकि वैश्विक महत्वाकांक्षा अभी भी अपेक्षाओं से कम है।

भारत ने जोर दिया कि कार्बन बजट की तीव्र कमी को देखते हुए विकसित देशों को अपने उत्सर्जन में तेजी से कमी लानी चाहिए और वित्त, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण के लिए पूर्वानुमेय एवं पर्याप्त समर्थन प्रदान करना चाहिए।

भारत ने कहा कि न्यायसंगत, सस्ती और पूर्वानुमेय जलवायु वित्त (Climate Finance), वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति का मूल आधार है। भारत ने यह भी दोहराया कि वह अन्य देशों के साथ मिलकर सततता, समावेशिता और समानता के सिद्धांतों पर आधारित समाधान लागू करने के लिए तैयार है।

बहुपक्षवाद और सहयोग की पुनर्पुष्टि

भारत ने बहुपक्षवाद (Multilateralism) और पेरिस समझौते की संरचना को सुरक्षित रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और सभी देशों से आह्वान किया कि आने वाला दशक केवल लक्ष्यों का नहीं, बल्कि क्रियान्वयन, लचीलापन और साझा जिम्मेदारी का दशक होना चाहिए — आपसी विश्वास और निष्पक्षता के आधार पर।


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