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श्री रामलला दर्शन योजना के अंतर्गत रायपुर से 850 श्रद्धालुओं का तीर्थयात्रा हेतु प्रस्थान — मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दी शुभकामनाएं

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रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेशवासियों की आस्था और श्रद्धा को मूर्त रूप देने हेतु प्रारंभ की गई ‘श्री रामलला दर्शन योजना’ के अंतर्गत आज रायपुर रेलवे स्टेशन से रायपुर संभाग के 850 श्रद्धालु विशेष ट्रेन से अयोध्या धाम के दर्शन के लिए रवाना हुए। इस पवित्र यात्रा के शुभारंभ पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने श्रद्धालुओं को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और उनकी यात्रा के मंगलमयी होने की कामना की।

रजत जयंती वर्ष में सांस्कृतिक चेतना को नई उड़ान: ‘श्री रामलला दर्शन योजना’ अंतर्गत रायपुर से विशेष ट्रेन हुई रवाना

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि श्रद्धालुओं को हमारे 'भांचा राम' — श्रीरामलला के निःशुल्क दर्शन कराने की यह पुण्य यात्रा अनवरत जारी है। यह यात्रा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की उस गारंटी को साकार कर रही है, जिसमें उन्होंने देश के प्रत्येक नागरिक को प्रभु श्रीराम के दर्शन का अवसर उपलब्ध कराने का संकल्प लिया था।

उन्होंने कहा कि “श्री रामलला दर्शन योजना” के अंतर्गत सरकार ने मार्च 2024 तक 20,000 श्रद्धालुओं को अयोध्या धाम भेजने का लक्ष्य निर्धारित किया था, किंतु प्रदेशवासियों की अद्वितीय आस्था, उत्साह, और सरकार की प्रतिबद्धता के चलते यह संख्या 22,000 से अधिक हो चुकी है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं को काशी विश्वनाथ धाम के दर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त हो रहा है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में इस योजना के लिए ₹36 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। अब तक बीते डेढ़ वर्षों में 27 विशेष ट्रेनें छत्तीसगढ़ के विभिन्न संभागों से श्रद्धालुओं को लेकर अयोध्या धाम के लिए रवाना हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री रामलला तीर्थ दर्शन योजना केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक चेतना को सशक्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। सरकार का उद्देश्य है कि प्रदेश का हर नागरिक, विशेषकर बुज़ुर्ग एवं वंचित वर्ग, अपने जीवन में एक बार प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान के दर्शन कर सके।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर प्रारंभ की गई ‘श्री रामलला दर्शन योजना’ आज प्रदेशवासियों के जनजीवन से गहराई से जुड़ चुकी है। इसी कड़ी में वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली विशेष ट्रेन आज रायपुर रेलवे स्टेशन से अयोध्या धाम के लिए रवाना हुई। इस अवसर पर राजस्व, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री टंकराम वर्मा ने दोपहर 1:00 बजे हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को रवाना किया। ट्रेन के प्रस्थान के दौरान रायपुर रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म नंबर 7 जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा। तीर्थयात्रियों और उनके परिजनों में विशेष उत्साह और श्रद्धा का माहौल देखने को मिला। यात्रियों का पारंपरिक छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य एवं लोकवाद्य से स्वागत किया गया, वहीं IRCTC के प्रतिनिधियों द्वारा तिलक लगाकर अभिवादन किया गया।

इस अवसर पर विधायकगण श्री पुरंदर मिश्रा, श्री मोतीलाल साहू, गुरु खुशवंत साहिब, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष श्री नीलू शर्मा, नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री संजय श्रीवास्तव, राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज, सचिव संस्कृति एवं पर्यटन डॉ. रोहित यादव, पर्यटन बोर्ड के प्रबंध संचालक श्री विवेक आचार्य, कलेक्टर रायपुर डॉ. गौरव सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारी एवं रेलवे व IRCTC के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि इस योजना की परिकल्पना मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा प्रदेशवासियों को जीवन में एक बार अयोध्या धाम के दर्शन का सौभाग्य प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। इसके लिए 23 फरवरी 2024 को छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल और IRCTC के मध्य एमओयू संपादित किया गया था। योजना की औपचारिक शुरुआत 5 मार्च 2024 को रायपुर से हुई थी, जब मुख्यमंत्री श्री साय ने स्वयं पहली ट्रेन को रवाना किया था। इसके पश्चात बिलासपुर, सरगुजा और दुर्ग-बस्तर (संयुक्त) संभागों से भी विशेष ट्रेनों का संचालन हुआ। विगत वर्ष इस योजना के माध्यम से लगभग 22,100 श्रद्धालुओं ने अयोध्या धाम के दर्शन किए। योजना के अंतर्गत प्रत्येक संभाग से साप्ताहिक विशेष ट्रेनों का संचालन जारी रहेगा।


बस्तर के बच्चों का स्वर्णिम भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

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रायपुर- मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय से  छत्तीसगढ़ विधानसभा में नियद नेल्लानार योजना के अंतर्गत राजधानी रायपुर के शैक्षणिक भ्रमण पर आए सुकमा जिले की सुदूरवर्ती पाँच ग्राम पंचायतों के बच्चों ने सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री श्री साय ने बच्चों से आत्मीय संवाद करते हुए उनका हालचाल जाना और राजधानी रायपुर में उनका आत्मीय स्वागत किया। उन्होंने कहा कि बस्तर के बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी सहित सभी मूलभूत सुविधाएँ बस्तर के कोने-कोने तक पहुँचाने हेतु कृतसंकल्पित है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने शैक्षणिक भ्रमण पर आए सुकमा जिले के बच्चों से की आत्मीय मुलाकात

मुख्यमंत्री श्री साय ने बच्चों से सौहार्दपूर्ण बातचीत करते हुए कहा कि इस शैक्षणिक भ्रमण के माध्यम से आपको राजधानी रायपुर को निकट से देखने-समझने का अवसर मिला है। इसी तरह राज्य सरकार बस्तर क्षेत्र में भी तीव्र गति से विकास कर रही है। उन्होंने बताया कि सुदूर अंचलों में अब सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित हो रहे हैं, और जहां-जहां ये कैंप पहुँचते हैं, वहाँ चौतरफा विकास के द्वार खुलते हैं। अब अधिकांश स्थानों पर शासकीय राशन दुकानों की स्थापना हो चुकी है और जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम नागरिकों तक पहुँच रहा है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि निकट भविष्य में बस्तर पूरी तरह से नक्सलमुक्त क्षेत्र होगा।

मुख्यमंत्री ने बच्चों से मुस्कराते हुए पूछा — "बस्तर के शेर बच्चों ने रायपुर के जंगल सफारी में शेर देखा या नहीं?" इस मजाकिया अंदाज़ पर बच्चों सहित उपस्थित सभी लोग ठहाके लगाकर हँस पड़े।

श्री साय ने कहा कि राज्य सरकार आत्मनिर्भर बस्तर की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। बस्तर के लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए उन्हें दुग्ध उत्पादन से भी जोड़ा जा रहा है। सरकार शिक्षा के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सुनिश्चित कर रही है, ताकि क्षेत्र के बच्चों का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध हो सके।इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, विधायकगण श्री ईश्वर साहू एवं श्री सुशांत शुक्ला भी उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि नियद नेल्लानार योजना के अंतर्गत सुकमा जिले की पाँच सुदूर ग्राम पंचायतों—पालाचलमा, पोटकपल्ली, एलमागुंडा, ताड़मेटला एवं गोलापल्ली—के 100 स्कूली बच्चे राजधानी रायपुर के दो दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण पर आए हैं। भ्रमण के दौरान इन बच्चों को मंत्रालय, जंगल सफारी, रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण स्थलों का अवलोकन कराया गया। विदित हो कि नियद नेल्लानार योजना के तहत बस्तर के नक्सल प्रभावित पाँच जिलों के बच्चों को शैक्षणिक भ्रमण के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।


बस्तर संभाग को CSR मद में ₹104.71 करोड़ की राशि प्राप्त, जगदलपुर में 89 विकास कार्यों को स्वीकृति

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 रायपुर। बस्तर संभाग में कार्यरत उद्योगों से कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) के तहत वर्ष 2022 से 20 जून 2025 तक कुल ₹104.71 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है। यह जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने विधायक किरण देव के प्रश्न के लिखित उत्तर में छत्तीसगढ़ विधानसभा में दी।


मंत्री ने बताया कि कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के अनुसार, वे कंपनियाँ जिनकी नेटवर्थ ₹500 करोड़ या उससे अधिक, सालाना टर्नओवर ₹1000 करोड़ या उससे अधिक या फिर शुद्ध लाभ ₹5 करोड़ से अधिक है, उन्हें अपने पिछले तीन वर्षों के औसत शुद्ध लाभ का कम से कम 2% CSR मद में व्यय करना अनिवार्य है।

बस्तर संभाग के सात जिलों — सुकमा, कांकेर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोण्डागांव, बीजापुर और बस्तर — से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस अवधि में CSR मद में कुल ₹104.71 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है।

जगदलपुर क्षेत्र में ₹10.46 करोड़ से 89 कार्य स्वीकृत, 65 पूर्ण
जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र में CSR फंड से कुल ₹10.46 करोड़ की लागत से 89 विकास कार्यों को स्वीकृति दी गई है। इनमें से 65 कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 24 कार्य अभी अपूर्ण हैं।

मंत्री देवांगन ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ प्रस्तावित कार्यों को बजट की सीमा के कारण स्वीकृति नहीं मिल सकी। उन्होंने कहा कि CSR मद की राशि का उपयोग कंपनी अधिनियम के दिशा-निर्देशों और स्थानीय अनुशंसाओं के आधार पर नियमानुसार किया जाता है।

शुक्ला जी की जगह किसी दलित या ओबीसी को भेजा जा सकता था: कांग्रेस नेता उदित राज

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 नई दिल्ली। अंतरिक्ष मिशन Axiom-4 से लौट रहे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की वापसी पर कांग्रेस नेता उदित राज ने एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस बार अंतरिक्ष मिशन में किसी दलित या ओबीसी वर्ग के व्यक्ति को मौका दिया जाना चाहिए था।


उदित राज ने कहा,

“जब पहले राकेश शर्मा को अंतरिक्ष में भेजा गया था, उस समय एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय के लोग इतने पढ़े-लिखे नहीं थे। लेकिन अब वे पूरी तरह से सक्षम हैं। इस बार दलित को भेजने की बारी थी। ऐसा नहीं है कि नासा ने कोई परीक्षा लेकर चयन किया। ऐसे में शुक्ला जी की जगह किसी दलित या ओबीसी को भी भेजा जा सकता था।”

शुक्ला की वापसी पर राष्ट्रीय गौरव, पर बयान से उपजा विवाद

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो Axiom-4 अंतरिक्ष मिशन में शामिल थे, आज पृथ्वी पर सकुशल लौट रहे हैं। उनके साथ इस मिशन में अमेरिका की कमांडर पैगी व्हिट्सन, पोलैंड के स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू शामिल थे। चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन बिताए।

मिशन का संचालन अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स और Axiom Space द्वारा किया गया था। अंतरिक्ष यान ‘ड्रैगन ग्रेस’ भारतीय समयानुसार सोमवार शाम 4:45 बजे ISS से अलग हुआ और लगभग 22.5 घंटे की यात्रा के बाद मंगलवार दोपहर 3:01 बजे सैन डिएगो (कैलिफोर्निया) के तट पर प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग की।

स्पेसएक्स की जानकारी के मुताबिक, वापसी से पहले यान ने भारतीय समयानुसार दोपहर 2:07 बजे ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ प्रक्रिया पूरी की, जिसमें यान के थ्रस्टर्स को चलाकर उसकी गति को घटाया गया ताकि वह पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश कर सके।

विवाद के केंद्र में क्यों है बयान?

उदित राज का बयान ऐसे समय आया है जब भारत के लिए यह मिशन एक राष्ट्रीय उपलब्धि और गौरव का क्षण माना जा रहा है। उनकी टिप्पणी को कई लोग योग्यता के बजाय जातिगत पहचान को प्राथमिकता देने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं।

राहुल गांधी की आदिवासी नेताओं से मुलाकात पर भाजपा का हमला, केदार कश्यप ने कांग्रेस से किए तीखे सवाल

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 रायपुर। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेताओं से हुई मुलाकात पर भाजपा ने तीखा राजनीतिक हमला बोला है। प्रदेश के वन एवं सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने कांग्रेस नेताओं पर चापलूसी और मौन समर्थन का आरोप लगाते हुए पूछा कि क्या इस मुलाकात के दौरान आदिवासियों के वास्तविक हितों की बात उठी भी या नहीं।


"चरणवंदना करके लौट आए बैज और मरकाम": कश्यप का आरोप

केदार कश्यप ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व अध्यक्ष मोहन मरकाम और अन्य नेताओं ने दिल्ली जाकर राहुल गांधी से मुलाकात तो की, लेकिन क्या वे यह सवाल पूछने की हिम्मत जुटा पाए कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के किसी आदिवासी को राज्यसभा क्यों नहीं भेजा?

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, - "या फिर परंपरा अनुसार गांधी परिवार की चरणवंदना करके लौट आए?"

भाजपा मंत्री ने कांग्रेस और राहुल गांधी से पूछे तीखे सवाल
वन मंत्री केदार कश्यप ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर निम्नलिखित प्रश्नों के माध्यम से सीधा हमला बोला:

राज्यसभा में आदिवासी प्रतिनिधित्व क्यों नहीं?

जब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री थे, तो कांग्रेस ने तीनों राज्यसभा सांसद गैर-छत्तीसगढ़ से बनाए। क्या कोई भी छत्तीसगढ़ का आदिवासी योग्य नहीं था?

क्या राज्यसभा सीटें बेची गईं?
क्या दीपक बैज ने राहुल गांधी से पूछा कि राज्यसभा की सीटें किसके इशारे पर बेची गईं और इससे छत्तीसगढ़ के हितों का नुकसान क्यों किया गया?

राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल
यदि राहुल गांधी को आदिवासियों की इतनी फिक्र थी, तो भूपेश सरकार के समय हुए अन्यायों पर उन्होंने चुप्पी क्यों साधी?

धर्मांतरण पर कार्रवाई क्यों नहीं?
बस्तर और सरगुजा में धर्मांतरण से उत्पन्न तनाव को लेकर बस्तर के कमिश्नर और सुकमा के एसपी की चेतावनियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या राहुल गांधी ने इस विषय में कोई संज्ञान लिया?

तेन्दूपत्ता संग्राहकों के हितों की अनदेखी
भूपेश सरकार ने तेन्दूपत्ता संग्राहकों की चरणपादुका योजना बंद कर दी, इस पर बैज और मरकाम क्यों चुप रहे?

अब अचानक आदिवासी हितों की चिंता क्यों?
जब भूपेश सरकार के समय आदिवासियों के मुद्दों पर कांग्रेस नेता चुप थे, तो अब राहुल गांधी से मिलकर उनकी ‘जुबान खुली’ होगी – यह हास्यास्पद है।

पार्टी के भीतर कांग्रेस नेतृत्व पर भी सवाल
केदार कश्यप ने कहा कि मोहन मरकाम को डीएमएफ फंड पर सवाल उठाने की कीमत अध्यक्ष पद गंवाकर चुकानी पड़ी, जबकि दीपक बैज ने हाल ही में पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक में अपने नेतृत्व पर हुए हमले का भी कोई जवाब नहीं दिया।

विधानसभा के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू, वित्तीय और प्रशासनिक दस्तावेज होंगे प्रस्तुत

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MONSOON SESSION OF CHHATTISGARH : छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू हो गई है. सत्र की शुरुआत प्रश्नकाल से शुरू हुई. दोपहर 12 बजे प्रश्नकाल के बाद वित्त मंत्री ओपी चौधरी छत्तीसगढ़ बकाया कर, ब्याज और शास्ति का निपटान पटल पर रखेंगे.


प्रश्नकाल में सबसे पहले जगदलपुर विधानसभा के अंतर्गत सीएसआर मद से प्राप्त एंव व्यय राशि पर विधायक किरण सिंह देव का सवाल होेगा. जिसका जवाब उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन दे रहे हैं. इसके बाद सीएम विष्णुदेव साय पत्रों को पटल पर रखेंगे. सीएम राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन 2024 पटल पर रखेंगे. इसके बाद छत्तीसगढ़ मोटरयान कराधान अधिनियम अधिसूचना 2025 भी पटल पर रखेंगे.

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शुभांशु शुक्ला और Ax-4 मिशन के अंतरिक्षयात्री पृथ्वी पर लौट रहे हैं

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नई दिल्ली अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बनकर इतिहास रच चुके हैं, अब अपने साथी अंतरिक्षयात्रियों के साथ पृथ्वी की ओर लौट रहे हैं। वे Ax-4 मिशन का हिस्सा थे, जिसका संचालन निजी अंतरिक्ष कंपनी स्पेसएक्स और एक्सिओम स्पेस ने किया।

                                                         अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन रहे शुक्ला के साथ इस मिशन में शामिल थे मिशन कमांडर और पूर्व नासा विशेषज्ञ पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू।

Ax-4 मिशन का अंतरिक्ष यान ड्रैगन 'ग्रेस' सोमवार शाम 4:45 बजे (भारतीय समयानुसार) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से सफलतापूर्वक अलग हो गया। स्पेसएक्स ने 'एक्स' (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह यान मंगलवार दोपहर 3:01 बजे (IST) पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करेगा और अमेरिका के सैन डिएगो तट के समीप समुद्र में लैंडिंग करेगा।

Ax-4 मिशन 26 जून को ISS पहुँचा था और इसके तहत कई वैज्ञानिक प्रयोग और तकनीकी मिशन पूरे किए गए। शुक्ला की यह उपलब्धि न केवल भारतीय अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है, बल्कि निजी क्षेत्र की भागीदारी से अंतरिक्ष अन्वेषण में वैश्विक सहयोग की मिसाल भी पेश करती है।

मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में मलेरिया पर करारा प्रहार, मिशन मोड में सरकार का अभियान, ‘शून्य मलेरिया’ की ओर बढ़ते निर्णायक कदम

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और जनस्वास्थ्य के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ ने मलेरिया के स्थायी उन्मूलन की दिशा में एक निर्णायक अभियान फिर से प्रारंभ किया है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के मार्गदर्शन में, विभाग ने मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ एक अनुकरणीय रणनीतिक पहल करते हुए जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित किया है। ‘मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ के 12वें चरण ने न केवल अपने दायरे का विस्तार किया है, बल्कि अपने प्रभाव से यह स्पष्ट कर दिया है कि जब सरकार दृढ़ संकल्प और नीति आधारित कार्रवाई के साथ काम करती है, तो नतीजे ज़मीन पर दिखते हैं।


25 जून से जारी इस चरण के अंतर्गत राज्य के 10 जिलों में गहन जांच, उपचार और जनजागरूकता अभियान चलाया गया। अब तक 19,402 घरों का दौरा किया गया है और 98,594 लोगों की रक्त जांच की गई है। इनमें से 1,265 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए। सबसे अहम बात यह रही कि सभी संक्रमित व्यक्तियों को मौके पर ही दवा की पहली खुराक उपलब्ध कराई गई, वह भी पूरी सावधानी के साथ—पहले मरीजों को स्थानीय खाद्य पदार्थ खिलाया गया, ताकि दवा का प्रभाव सुरक्षित और प्रभावशाली रहे। प्रत्येक मरीज को उपचार कार्ड दिया गया है, ताकि फॉलोअप के जरिए पूरी निगरानी सुनिश्चित की जा सके।

इस अभियान का सकारात्मक असर सबसे अधिक बस्तर संभाग में देखा जा रहा है। 2015 की तुलना में यहां मलेरिया मामलों में 71 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। यह कोई सामान्य उपलब्धि नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित, सतत और वैज्ञानिक रणनीति का परिणाम है। राज्य का वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) भी 27.40 से घटकर 7.11 तक आ गया है, जो दर्शाता है कि मलेरिया पर राज्य ने प्रभावी नियंत्रण पाया है।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अभियान की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि मलेरिया से जंग अब केवल इलाज की नहीं, यह रणनीति और जनसहभागिता की लड़ाई बन गई है। उनका मानना है कि सरकार ने जो लक्ष्य तय किया है—2027 तक ‘शून्य मलेरिया’ और 2030 तक ‘पूर्ण मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़’—उसे केवल दस्तावेज़ी नहीं, बल्कि यथार्थ के रूप में साकार किया जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग की आयुक्त सह संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के प्रभाव से बस्तर संभाग में मलेरिया के मामलों में गिरावट आयी है। “हर संक्रमित व्यक्ति तक पहुंचना, उसका समय पर इलाज करना और भविष्य में संक्रमण की कोई गुंजाइश न रहे — यही हमारी प्राथमिकता है।” उन्होंने कहा कि हमारा फोकस लक्षणरहित मलेरिया मामलों पर है, ताकि बीमारी को जड़ से मिटाया जा सके।

इस अभियान की सफलता में मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, ग्राम पंचायतों और स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही है। यह केवल एक स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि अब एक जनआंदोलन बन चुका है। जांच और इलाज के साथ-साथ लोगों को मच्छरदानी के नियमित उपयोग, जलजमाव की रोकथाम और साफ-सफाई जैसे व्यवहारिक उपायों के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ सरकार का यह ठोस और संवेदनशील प्रयास, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की दूरदर्शिता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिणाम है, जो न केवल राज्य को मलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत और टिकाऊ कदम है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक प्रेरक मॉडल भी बन रहा है। आने वाले वर्षों में यह रणनीति अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय उदाहरण के रूप में स्थापित होगी।

मुख्यमंत्री साय की पहल से ‘श्री रामलला दर्शन योजना’ हो रही साकार - रजत जयंती वर्ष में आस्था और सांस्कृतिक चेतना की ऐतिहासिक पहल

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 रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के रजत जयंती वर्ष में प्रदेशवासियों को श्रीराम लला के दर्शन का सौभाग्य प्रदान करने की दिशा में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल से ‘श्री रामलला दर्शन योजना’ जन जन के जीवन से जुड़ रही है।


इस योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली विशेष ट्रेन दिनांक 15 जुलाई 2025 को रायपुर रेलवे स्टेशन से अयोध्या धाम के लिए रवाना होगी। इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय स्वयं इस विशेष दर्शन यात्रा को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ करेंगे। रायपुर संभाग के श्रद्धालुओं को लेकर रवाना होने वाली इस ट्रेन के प्रस्थान अवसर पर मंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण एवं अन्य जनप्रतिनिधिगण, छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के अध्यक्ष नीलू शर्मा, प्रबंध संचालक विवेक आचार्य, वरिष्ठ अधिकारीगण एवं दक्षिण पूर्व-मध्य रेलवे रायपुर मंडल के डीआरएम दयानंद, सीनियर डीसीएम अवधेश त्रिवेदी तथा आईआरसीटीसी – साउथ सेंट्रल ज़ोन के ग्रुप महाप्रबंधक पी. राजकुमार भी उपस्थित रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रदेशवासियों को उनके जीवनकाल में एक बार प्रभु श्रीराम लला के अयोध्या धाम दर्शन का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से 23 फरवरी 2024 को छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड एवं इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) के मध्य एक महत्वपूर्ण समझौता (एमओयू) संपादित किया गया था।

उक्त एमओयू के क्रियान्वयन की श्रृंखला में योजना की विधिवत शुरुआत रायपुर संभाग के श्रद्धालुओं के साथ 5 मार्च 2024 को हुई थी, जब मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने वरिष्ठ मंत्रीगणों एवं जनप्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति में रायपुर रेलवे स्टेशन से पहली विशेष ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।

इसके पश्चात् 11 मार्च को बिलासपुर संभाग के श्रद्धालुओं के लिए विशेष ट्रेन को उपमुख्यमंत्री अरुण साव द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इसी क्रम में 19 जून को सरगुजा संभाग की विशेष ट्रेन को सांसद चिंतामणि महाराज ने विधायकगण एवं जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में शुभारंभ किया। 26 जून को दुर्ग एवं बस्तर (संयुक्त) संभाग की पहली विशेष ट्रेन, जिसमें 850 श्रद्धालु शामिल थे, दुर्ग रेलवे स्टेशन से अयोध्या के लिए रवाना हुई। इन सभी अवसरों पर श्रद्धालुओं में अत्यंत उत्साह और आस्था का भाव देखने को मिला। साथ ही मीडिया प्रतिनिधिगण, आम नागरिक, जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी, छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड एवं आईआरसीटीसी के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि विगत वित्तीय वर्ष में ‘श्री रामलला दर्शन योजना’ के अंतर्गत लगभग 22,100 श्रद्धालुओं को अयोध्या धाम के दर्शन का अवसर प्राप्त हुआ। योजना के तहत विशेष साप्ताहिक ट्रेनें आगे भी रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा और दुर्ग-बस्तर (संयुक्त) संभागों के श्रद्धालुओं को श्रीराम लला के दर्शन हेतु नियमित रूप से अयोध्या धाम ले जाती रहेंगी।मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की यह पहल न केवल धार्मिक आस्था को मजबूती प्रदान कर रही है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक चेतना को भी गौरवपूर्ण स्थान दिला रही है।

 

विधानसभा में मुख्यमंत्री से मिले जैन समाज के प्रतिनिधि, साझा किए अनुभव और सेवा कार्य

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज विधानसभा परिसर में दुर्ग जिले से आए जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को जैन समाज द्वारा मानव सेवा एवं सामाजिक उत्थान के लिए संचालित विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी।


प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने विधानसभा परिसर के भ्रमण और सदन की कार्यवाही के अवलोकन के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि यह उनके लिए एक प्रेरणादायक अवसर रहा। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की कार्यप्रणाली को निकट से देखने का अवसर मिलना गौरवपूर्ण अनुभव है।

मुख्यमंत्री साय ने जैन समाज की सेवा भावना की सराहना करते हुए कहा कि समाज की सकारात्मक गतिविधियाँ प्रदेश के समावेशी विकास में सहायक सिद्ध हो रही हैं। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को उनके सामाजिक कार्यों के लिए शुभकामनाएँ दीं। इस अवसर पर दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव भी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नवीन विधानसभा परिसर में किया पौधरोपण

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज नवा रायपुर स्थित नवीन विधानसभा परिसर में विधिवत पूजा-अर्चना कर गुलमोहर का पौधा रोपित किया। मुख्यमंत्री साय 'एक पेड़ मां के नाम 2.0' वृक्षारोपण कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।


इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उप मुख्यमंत्री अरुण साव, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, वन मंत्री केदार कश्यप सहित मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्य एवं विधानसभा के सभी सदस्यों ने भी गुलमोहर का पौधारोपण किया।

कार्यक्रम में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, विधानसभा सचिव दिनेश शर्मा, अपर मुख्य सचिव (वन) ऋचा शर्मा, छत्तीसगढ वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव, प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोंपज संघ अनिल साहू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय,मुख्य वन संरक्षक राजू अगासमणि भी उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ में खाद की कोई कमी नहीं, डीएपी की कमी को पूरा करने एनपीके, एसएसपी और नैनो डीएपी का भरपूर स्टॉक

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 रायपुर :  राज्य में रासायनिक उर्वरको कोई कमी नहीं हैं। खरीफ सीजन 2025 के लिए सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरक सहकारी समितियों एवं नीजि विक्रय केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। वैश्विक परिस्थिति के चलते डीएपी खाद के आयात में कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में अन्य रासायनिक उर्वरकों की भरपूर आपूर्ति एवं वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। 


 
राज्य में डीएपी की आपूर्ति में कमी से किसानों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में 179000 बॉटल नैनो डीएपी, एनपीके उर्वरक का लक्ष्य से 25 हजार मेट्रिक टन अधिक तथा एसएसपी का निर्धारित लक्ष्य से 50 हजार मेट्रिक टन का अतिरिक्त भंडारण किया गया है। पोटाश के निर्धारित लक्ष्य 60 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध अब तक 77 हजार मेट्रिक टन से अधिक म्यूरेट ऑफ पोटाश का भंडारण किया गया है। नैनो डीएपी जो कि ठोस डीएपी के विकल्प के रूप में बीज/थरहा, जड़ उपचार एवं बोआई/रोपाई के पश्चात खड़ी फसल में छिड़काव के लिए  उपयोगी है। नैनो डीएपी की निरंतर आपूर्ति राज्य में सरकार द्वारा सुनिश्चित की गई है। 
 
चालू खरीफ सीजन के लिए डीएपी उर्वरक के निर्धारित 3.10 लाख मेट्रिक टन लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 1 लाख 63 मेट्रिक टन से अधिक का भंडारण हो चुका है। डीएपी की आपूर्ति निरंतर जारी है। अभी जुलाई माह में 48 हजार मेट्रिक टन डीएपी उर्वरक की आपूर्ति राज्य को होगी। राज्य के सहकारी क्षेत्र में उर्वरकों का भंडारण प्राथमिकता के आधार पर कराया गया है। राज्य के सहकारी क्षेत्र में डीएपी उर्वरक की उपलब्धता राज्य की कुल उपलब्धता का 62 प्रतिशत है। 
 
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक कुल 13.18 लाख मेट्रिक टन का भंडारण किया जा चुका है, जो गत वर्ष इसी अवधि में भंडारित 12.79 लाख मेट्रिक टन से लगभग 38 हजार मेट्रिक टन अधिक है। इस वर्ष एनपीके और एसएसपी का लक्षित मात्रा से क्रमशः 25,266 मेट्रिक टन एवं 71,363 मेट्रिक टन अधिक भंडारण किया गया है, जो डीएपी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा रहा है। राज्य में यूरिया 6 लाख मेट्रिक टन अधिक का भंडारण हुआ है। जुलाई एवं आगामी माह में यूरिया के शेष मात्रा की आपूर्ति होगी। 
 
यहां यह उल्लेखनीय है कि धान में यूरिया का उपयोग तीन बार किया जाता है। प्रथम बार बोआई/रोपाई के समय में, दूसरी बार कंसा निकलने के समय में बोआई/रोपाई से तीन चार सप्ताह बाद एवं तीसरी बार गभोट अवस्था में बोआई/रोपाई के 7 से 8 सप्ताह बाद, इस प्रकार यूरिया का सितम्बर माह के मध्य तक उपयोग किया जाता है। डीएपी उर्वरक का 1.63 लाख मेट्रिक टन भंडारण हुआ है। जुलाई माह के सप्लाई प्लान के अनुसार राज्य को 48 हजार 850 मेट्रिक टन डीएपी और मिलेगी। 
 
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जुलाई माह में 25 हजार टन एनपीके की आपूर्ति संभावित है। एनपीके की अतिरिक्त आपूर्ति को मिलाकर कुल अतिरिक्त एनपीके 50 हजार 266 मेट्रिक टन से 22 हजार मेट्रिक टन डीएपी प्रतिपूर्ति होगी। इसी तरह एसएसपी की कुल अतिरिक्त आपूर्ति 1.47 लाख मेट्रिक टन से 50 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति होगी। इस प्रकार राज्य में एनपीके और एसएसपी के अतिरिक्त आपूर्ति से 72 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित होगी। 
 
मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे- नैनो डीएपी, एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज का पर्याप्त भंडारण किया गया है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आह्वान - 'वेटलैण्ड मित्र' बनें, जैविक विरासत को बचाएं

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 रायपुर : जैव विविधता एवं आर्द्रभूमियों (वेटलैण्ड्स) के संरक्षण के उद्देश्य से आज नवा रायपुर स्थित दण्डकारण्य अरण्य भवन में एक उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उपमुख्यमंत्रीद्वय अरुण साव एवं विजय शर्मा सहित कैबिनेट के सभी मंत्री एवं विधायकगण उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना केवल आधारभूत ढांचे के विकास से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और जैविक विविधता की रक्षा से ही पूर्ण होती है। उन्होंने आह्वान किया कि हर जनप्रतिनिधि व नागरिक जैव विविधता एवं वेटलैण्ड संरक्षण के लिए व्यक्तिगत दायित्व समझें और 'वेटलैण्ड मित्र' बनकर इस अभियान को जनांदोलन में परिवर्तित करें।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि जैव विविधता और वेटलैण्ड्स का संरक्षण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि यह हमारी भावी पीढ़ियों की सुरक्षा का सवाल भी है। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से जैव विविधता के संरक्षण में भागीदारी सुनिश्चित करने और “वेटलैण्ड मित्र” बनकर जनजागरण फैलाने का आग्रह किया।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने व्यापक प्रस्तुति दी। उन्होंने 1992 के अर्थ सम्मिट, जैव विविधता अधिनियम 2002, राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड की भूमिका और जैव विविधता प्रबंधन समितियों की संरचना एवं कार्यों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य है, जहां जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ प्रभावी रूप से कार्य कर रही हैं।

आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय ने बताया कि वेटलैण्ड्स पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और जिला स्तरीय आर्द्रभूमि संरक्षण समितियों के गठन की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि इन समितियों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर वेटलैण्ड्स की निगरानी एवं संरक्षण को मजबूती मिल रही है।

कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई कि राज्य का गिधवा-परसदा पक्षी अभ्यारण्य अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित रामसर साइट बनने की पात्रता रखता है। इसके अतिरिक्त, बलौदाबाजार जिले के खोखरा ग्राम को छत्तीसगढ़ की पहली रामसर साइट के रूप में सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया प्रगति पर है।

कार्यशाला के अंत में सभी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से “वेटलैण्ड मित्र” के रूप में जुड़कर जैव विविधता और आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की गई। यह भागीदारी राज्य में पर्यावरणीय चेतना को जनआंदोलन का रूप देने में सहायक होगी।

इस अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव (वन) ऋचा शर्मा, छत्तीसगढ़ वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव राजेश कुमार चंदेले सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे।

पेंशन प्रकरणों की समीक्षा हेतु बैठक मंगलवार को

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 महासमुंद : संचालक पेंशन एवं भविष्य निधि रायपुर द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से अवगत कराया गया कि छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग द्वारा लंबित पेंशन प्रकरणों एवं आपत्तियां वाले पेंशन प्रकरणों की निरंतर समीक्षा की जा रही है।


बैठक में निर्णय लिया गया कि कार्यालय से संबंधित पेंशन प्रकरण जिसमे संभागीय संयुक्त संचालक कोष लेखा एवं पेंशन रायपुर द्वारा दस्तावेजों की कमियों के कारण (रेगुलर केस/रिवाइज्ड केस) आपत्ति लगाए गए है। उन प्रकरणों में नियमानुसार आपत्ति, दस्तावेजों की कमियों को पूर्ति कर प्रकरण पुनः प्रेषित करें। संभागीय संयुक्त संचालक कोष लेखा एवं पेंशन रायपुर द्वारा पेंशन भुगतान आदेश जारी किये जा चुके है किन्तु विभागीय जानकारी के अभाव में पेंशन प्रकरण कोषालय स्तर पर लंबित है उक्त प्रकरणों में जानकारी पूर्ण कर पेंशन प्रकरणों का निराकरण कराने के निर्देश दिए हैं। आगामी दो माहों में सेवानिवृत्त होने वाले शासकीय सेवकों के पेंशन प्रकरण यथाशीघ्र तैयार कर शासन के मंशानुरूप संभागीय संयुक्त संचालक कोष लेखा एवं पेंशन रायपुर को प्रेषित किए जाने कहा गया है।

समय सीमा बैठक में उक्त पेशन प्रकरणां की समीक्षा की जाएगी। इस हेतु समस्त आहरण एवं संवितरण अधिकारी वस्तु स्थिति की जानकारी मंगलवार 15 जुलाई तक जिला कोषालय अधिकारी महासमुंद के समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करेंगे। विभाग से संबंधित पेंशन प्रकरण / आपत्तिकृत पेंशन प्रकरण आभार पोर्टल पर प्रदर्शित है। आभार पोर्टल का अवलोकन कर नियमानुसार निराकरण की कार्यवाही करेंगें। निराकरण में किसी भी प्रकार की समस्या एवं दिक्कत होने की स्थिति में जिला कोषालय अधिकारी महासमुंद से सम्पर्क कर कर सकते है।

कलेक्टर ने किया पिथौरा संग्रहण केंद्र का औचक निरीक्षण धान उठाव में तेजी लाने के दिए निर्देश, सड़क मरम्मत के भी निर्देश

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 महासमुंद : कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने आज पिथौरा स्थित धान संग्रहण केंद्र का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने धान के भंडारण, सुरक्षा, परिवहन और उठाव की स्थिति का जायजा लिया। कलेक्टर ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को निर्देशित किया कि बरसात के मौसम को ध्यान में रखते हुए धान का शीघ्रता से उठाव सुनिश्चित किया जाए, जिससे धान की सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण रखरखाव किया जा सके। उन्होंने कहा कि धान भीगने या खराब होने की स्थिति में संभावित नुकसान को रोकना सुनिश्चित करें।


मौके पर डीएमओ राठौर ने बताया कि यहां कुल 2 लाख 53 हजार क्विंटल धान का भंडारण किया गया है। जिसमें 50 हजार क्विंटल धान का डी.ओ. (डिलिवरी ऑर्डर) पहले ही कट चुका है, इस पर कलेक्टर ने संबंधित परिवहन एजेंसी और फूड विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस धान का तत्काल उठाव प्रारंभ किया जाए और परिवहन में किसी भी प्रकार की देरी न हो।

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने संग्रहण केंद्र तक पहुंचने वाले मार्ग की स्थिति देखते हुए कहा कि बरसात में कीचड़ और जलभराव से उठाव कार्य प्रभावित न हो, इसके लिए सड़क की मरम्मत मुरूम या गिट्टी से शीघ्र की जाए। कलेक्टर ने गोदामों की साफ-सफाई, तिरपाल व्यवस्था, नमी नियंत्रण और सुरक्षा प्रबंधों का भी अवलोकन किया।

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि केंद्र में कार्यरत सभी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाया जाए और उठाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखी जाए। कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक दिवस उठाव की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए और कार्य में लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पिथौरा ओंकारेश्वर सिंह, खाद्य अधिकारी अजय यादव, डीएमओ राठौर एवं नान के अधिकारी उपस्थित रहे।

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