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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 10 और 11 नवंबर को रहेंगे गुजरात प्रवास पर, अहमदाबाद में करेंगे निवेशकों से मुलाकात

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 रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 10 और 11 नवंबर को दो दिवसीय गुजरात प्रवास पर रहेंगे। इस दौरान वे अहमदाबाद में आयोजित “छत्तीसगढ़ इनवेस्टर कनेक्ट” कार्यक्रम में शामिल होंगे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से वन-टू-वन मुलाकात कर राज्य में औद्योगिक निवेश की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।


पहले स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में होंगे शामिल

प्रवास के पहले दिन मुख्यमंत्री साय नर्मदा जिले स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेंगे। इसके बाद वे अगले दिन अहमदाबाद पहुंचकर निवेशकों से संवाद करेंगे।

पहले स्थगित हुआ था कार्यक्रम

गौरतलब है कि “छत्तीसगढ़ इनवेस्टर कनेक्ट” कार्यक्रम पहले जुलाई-अगस्त में आयोजित होना था, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे स्थगित कर दिया गया था। अब यह कार्यक्रम गुजरात में उद्योगपतियों की भागीदारी के साथ आयोजित किया जा रहा है।

 सारांश:

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का यह दौरा छत्तीसगढ़ में औद्योगिक निवेश बढ़ाने और नए रोजगार अवसर सृजित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

बंदूकधारी सात इनामी नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, कई बड़ी वारदातों में थे शामिल

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 गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में नक्सल मोर्चे पर बड़ी सफलता मिली है। पुलिस और सुरक्षा बलों के समक्ष सात इनामी नक्सलियों ने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। आत्मसमर्पण करने वालों में चार महिला और तीन पुरुष नक्सली शामिल हैं। इनमें डिविजन कमेटी सदस्य सुनील और उदंती एरिया कमेटी प्रमुख एरिना जैसे बड़े नक्सली नेता भी शामिल हैं।


प्रमुख नक्सलियों पर था लाखों का इनाम

आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों पर कुल ₹37 लाख का इनाम घोषित था। पुलिस ने बताया कि ये सभी नक्सली लंबे समय से गरियाबंद, उदंती और आसपास के इलाकों में सक्रिय थे और कई बड़ी नक्सली वारदातों में शामिल रहे हैं।

इनामी सूची इस प्रकार है —

  • सुनील — ₹8 लाख
  • एरिना — ₹8 लाख
  • विद्या — ₹5 लाख
  • लुदरो — ₹5 लाख
  • नंदनी — ₹5 लाख
  • कांति — ₹5 लाख
  • मल्लेश — ₹1 लाख

वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ समर्पण

आत्मसमर्पण की यह कार्रवाई आईजी अमरेश मिश्रा, एसपी निखिल राखेचा और पुलिस विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में संपन्न हुई। समर्पण के दौरान नक्सलियों ने अपने पास मौजूद 6 हथियार भी सुरक्षा बलों को सौंप दिए।

स्वास्थ्य विभाग में 1009 नए पदों की स्वीकृति, मुख्यमंत्री बोले— चिकित्सा शिक्षा के विस्तार से युवाओं को मिलेगा रोजगार और नई संभावनाएँ

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 रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य ने अपनी 25 वर्षों की स्वर्णिम यात्रा में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। राज्य गठन के समय जहां केवल एक चिकित्सा महाविद्यालय और कुछ चुनिंदा नर्सिंग कॉलेज थे, वहीं मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री के दृढ़ संकल्प, योजनाबद्ध नीतियों और राज्य शासन के निरंतर प्रयासों से आज चिकित्सा, नर्सिंग तथा फिजियोथैरेपी शिक्षा के विस्तार और विद्यार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। कॉलेजों के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक मानव संसाधन की व्यवस्था भी मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश एवं मार्गदर्शन में सुनिश्चित की जा रही है, जिससे शैक्षणिक गुणवत्ता और सेवा विस्तार दोनों को मजबूती मिली है।


“हमारी सरकार ने छत्तीसगढ़ में चिकित्सा शिक्षा को नई ऊँचाई पर पहुँचाने का संकल्प लिया है। हमारी सरकार ने छत्तीसगढ़ में चिकित्सा शिक्षा के विस्तार और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए 1009 नए पदों की स्वीकृति दी है। राज्य गठन के समय केवल एक मेडिकल कॉलेज था, आज पूरे प्रदेश में मेडिकल, नर्सिंग और फिजियोथैरेपी संस्थानों का जाल बिछ चुका है। यह निर्णय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करेगा और प्रत्येक जिले में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित होगा।”- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

1009 नए पदों की स्वीकृति

छत्तीसगढ़ शासन के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेश में मेडिकल, नर्सिंग और फिजियोथैरेपी शिक्षा को और सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से कुल 1009 नए पदों के सृजन और स्वीकृति को मंजूरी दी है। यह निर्णय उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने, स्नातक और स्नातकोत्तर प्रशिक्षण को सशक्त करने तथा स्थानीय रोजगार के नए अवसर सृजित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

नए स्वीकृत पदों का वितरण

  • मेडिकल कॉलेज रायगढ़ — 39 पद
  • डीकेएस रायपुर — 1 पद
  • मेडिकल कॉलेज बिलासपुर — 20 पद
    गवर्नमेंट फिजियोथेरेपी कॉलेज, जगदलपुर, जशपुर, मनेंद्रगढ़ — प्रत्येक में 36 पद (कुल 108 पद)
  • गवर्नमेंट फिजियोथेरेपी कॉलेज, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़ — प्रत्येक में 36 पद (कुल 108 पद)
    (कुल 6 नवीन फिजियोथेरेपी कॉलेजों हेतु कुल 216 पद)
  • नवीन मेडिकल कॉलेज — दंतेवाड़ा, मनेंद्रगढ़, कुनकुरी-जशपुर — प्रत्येक में 60 पद (कुल 180 पद)
    नवीन मेडिकल कॉलेज — जांजगीर-चांपा और कबीरधाम — प्रत्येक में 60 पद (कुल 120 पद)
  • सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, बिलासपुर — 55 पद
  • मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर (रेडियोथेरपी विभाग हेतु) — 7 पद
  • नवीन नर्सिंग महाविद्यालय — दंतेवाड़ा, बैकुंठपुर, बीजापुर, बलरामपुर और जशपुर — कुल 210 पद
  • नवीन नर्सिंग महाविद्यालय — नवा रायपुर, पुसौर-रायगढ़, जांजगीर-चांपा और कुरूद-धमतरी — कुल 168 पद
    (नर्सिंग महाविद्यालयों हेतु कुल 378 पद)
  •  
  • स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय का आभार प्रकट करते हुए कहा है कि इन पदों की स्वीकृति से चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे का उल्लेखनीय विस्तार होगा तथा विभिन्न विशेषज्ञताओं में राज्य की क्षमता बढ़ेगी ।शासकीय नर्सिंग और फिजियोथैरेपी प्रशिक्षण संस्थानों के विस्तार से क्षेत्रीय स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धता बेहतर होगी, जिससे प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिलेगी।

चिकित्सा शिक्षा विभाग की आयुक्त  शिखा राजपूत तिवारी ने कहा है कि जब पूरा राज्य अपने गठन के 25 वर्षों की रजत जयंती महोत्सव के कई श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम देश के माननीय उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की गरिमामयी उपस्थिति में मना रहा है, उसी समय स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में यह अभूतपूर्व प्रगति छत्तीसगढ़ के दृढ़ संकल्प और दूरदर्शी नीति-निर्देशन का परिणाम है।

 

महासमुंद : अवैध रेत उत्खनन के मामले में चार नौकाएं जब्त

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रायपुर। महासमुंद जिले में अवैध रेत उत्खनन पर रोक लगाने के लिए प्रशासन द्वारा लगातार सख्त कार्रवाई की जा रही है। कलेक्टर विनय लंगेह के निर्देशानुसार खनिज, राजस्व एवं पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने आज ग्राम बड़गांव स्थित महानदी रेत घाट में कार्रवाई करते हुए नियम विरुद्ध रेत निकासी में प्रयुक्त चार नौकाएँ जब्त कीं।

जिला प्रशासन द्वारा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिले में खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन एवं भण्डारण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चलाकर निरंतर जांच और कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। 


राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल में देशभक्तिमय हुआ वातावरण, राष्ट्रगीत का हुआ सामूहिक गायन

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रायपुर। राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज प्रातः 10 बजे छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के मुख्यालय में विशेष आयोजन हुआ। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाइव प्रसारण के माध्यम से राष्ट्रगीत का सामूहिक गायन किया गया। पूरा परिसर देशभक्ति और उत्साह के वातावरण से गूंज उठा। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्बोधन का सीधा प्रसारण देखा गया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रगीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर इसे “मां भारती की आराधना और राष्ट्र की आत्मा की अभिव्यक्ति” बताया।

महाप्रबंधक वेदव्रत सिरमौर ने अपने संबोधन में कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह भारत माता की आराधना और राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “यह गीत हमारे स्वाधीनता संग्राम का प्रेरणास्रोत रहा है और आज भी देश की एकता, अखंडता तथा सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बना हुआ है। हमें गर्व है कि हम इस ऐतिहासिक अवसर पर अपने राष्ट्रगीत को सामूहिक रूप से गाकर न केवल अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा प्रकट कर रहे हैं, बल्कि नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना भी संचारित कर रहे हैं।”

कार्यक्रम में पर्यटन मंडल के महाप्रबंधक वेदव्रत सिरमौर, उपमहाप्रबंधक पूनम शर्मा, अनुराधा दुबे सहित समस्त अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में वंदे मातरम का गायन कर मातृभूमि के प्रति अपनी श्रद्धा और एकता का संदेश दिया।

छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के कार्यालय में देशभक्ति गीतों और नारों की गूंज के बीच वंदे मातरम वर्ष के शुभारंभ का यह समारोह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गया। समारोह में उपस्थित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस अवसर को ऐतिहासिक और प्रेरणादायी बताया।

गुणवत्तापूर्ण कार्य करते हुए सिंचाई परियोजनाओं के कार्य में लाएँ गति – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने प्रदेश में संचालित सभी निर्माणाधीन एवं प्रगतिरत सिंचाई परियोजनाओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त की और निर्देश दिए कि सभी कार्य गुणवत्तापूर्ण ढंग से संपन्न हों तथा निर्माण कार्यों की गति में तेजी लाई जाए।

मुख्यमंत्री साय ने विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशानिर्देश देते हुए कहा कि जल संसाधन परियोजनाएँ प्रदेश के सर्वांगीण विकास की धुरी हैं। उन्होंने कहा कि जनता को स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता और कृषि कार्यों के लिए पर्याप्त जलापूर्ति सुनिश्चित करने हेतु सिंचाई परियोजनाओं का निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण होना अत्यंत आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सभी निर्माणाधीन एवं प्रगतिरत सिंचाई परियोजनाओं के कार्यों में गति लाने के स्पष्ट निर्देश दिए।

बैठक में जल संसाधन विभाग के सचिव राजेश सुकुमार टोप्पो ने मुख्यमंत्री को पावर पॉइंट प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से प्रदेश की निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया।

बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद सहित जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।



भारतीय हॉकी के 100 गौरवशाली वर्ष : मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हुआ भव्य उत्सव

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भारतीय हॉकी के गौरवशाली 100 वर्षों का भव्य उत्सव शुक्रवार को नई दिल्ली के ऐतिहासिक मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में खेल प्राधिकरण (SAI) और हॉकी इंडिया द्वारा मनाया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ केंद्रीय संसदीय और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री थिरु उदयनिधि स्टालिन, ओडिशा के खेल और युवा सेवा मंत्री सूर्यवंशी सूरज, अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) के अध्यक्ष दातो तैयब इक़राम, तथा अनेक गणमान्य व्यक्ति, हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी और राष्ट्रीय टीमों के सदस्य उपस्थित थे।

यह उत्सव 1925 से अब तक भारतीय हॉकी की सौ वर्ष की गौरवशाली यात्रा का प्रतीक रहा — एक ऐसा सफर जिसमें खेल, गर्व और एकता का संगम देखने को मिला।

केंद्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, “हॉकी भारत की खेल यात्रा का स्वर्णिम अध्याय रही है। ओलंपिक में हॉकी के माध्यम से भारत ने दुनिया को दिखाया कि हम क्या कर सकते हैं। आज जब देशभर में एक हजार से अधिक मैच खेले जा रहे हैं, पूरा भारत इस उपलब्धि पर गर्व कर रहा है। सरकार खिलाड़ियों और खेल को हर संभव सहयोग देती रहेगी।”

किरेन रिजिजू ने कहा, “हॉकी की इस प्रेरणादायी यात्रा का हिस्सा होना सौभाग्य की बात है। हॉकी इंडिया को बधाई, जिसने हमारे महान खिलाड़ियों को वर्तमान सितारों के साथ सम्मानित किया, जिससे इतिहास और भविष्य का सुंदर संगम हुआ है।”

FIH अध्यक्ष दातो तैयब इक़राम ने कहा, “भारत ने बीते 100 वर्षों में हॉकी जगत में नेतृत्व और नवाचार का उदाहरण प्रस्तुत किया है। टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में भारत की सफलता इसके पुनर्जागरण की निशानी है। आने वाले 100 वर्ष और भी उज्ज्वल होंगे।”

कार्यक्रम का आकर्षण रहा खेल मंत्री की कप्तानी में स्पोर्ट्स मिनिस्टर इलेवन और हॉकी इंडिया इलेवन के बीच प्रदर्शनी मैच, जिसमें खेल मंत्रालय की टीम ने 3–1 से जीत दर्ज की। हॉकी इंडिया ने इस अवसर पर हॉकी के महान खिलाड़ियों — गुरबक्स सिंह, हरबिंदर सिंह, अजीत पाल सिंह, अशोक कुमार, बी.पी. गोविंदा, असलम शेर खान, ज़फर इक़बाल, ब्रिगेडियर हरचरण सिंह, सुनीत कुमार, रोमियो जेम्स, असुंता लकड़ा और सुभद्रा प्रधान — को सम्मानित किया।

दिन का एक विशेष आकर्षण रहा पुस्तक “100 इयर्स ऑफ़ इंडियन हॉकी” का लोकार्पण, जिसमें हॉकी के गौरवपूर्ण इतिहास, संघर्ष और पुनर्जागरण की यात्रा को दर्ज किया गया है। इसके साथ ही प्रदर्शनी में ओलंपिक की ऐतिहासिक झलकियों और दुर्लभ तस्वीरों को प्रदर्शित किया गया।

भारत भर में इस अवसर पर नेशनल हॉकी फेस्टिवल मनाया गया, जिसमें 500 जिलों में 36,000 से अधिक खिलाड़ियों ने 1,000 से अधिक प्रदर्शनी मैच खेले — जिससे यह आयोजन एक सच्चे राष्ट्रीय उत्सव में परिवर्तित हो गया।

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप तिर्की ने कहा, “आज का दिन उन सभी के प्रति सम्मान का है जिन्होंने भारतीय हॉकी की नींव रखी। सरकार और सभी हितधारकों के सहयोग से हम आने वाले वर्षों में और अधिक गौरवशाली क्षणों के साक्षी बनेंगे।”

हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने कहा, “यह क्षण पूरे हॉकी परिवार का है। हम सरकार और सभी राज्यों का धन्यवाद करते हैं, जिनके सहयोग से यह उत्सव संभव हुआ।”



नगरीय निकायों में सभी सुविधाएं होंगी ऑनलाइन, यूपीआई से कर सकेंगे भुगतान

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन एवं उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव के दूरदर्शी नेतृत्व में राज्य में ई-गवर्नेस परियोजना के तहत शहरी प्रशासन को अधिक दक्ष, पारदर्शी और नागरिक केंद्रित बनाने का बड़ा फैसला लिया गया है। राज्य शहरी विकास अभिकरण (SUDA) प्रदेश के सभी 192 नगरीय निकायों में नागरिक सेवाओं को पूरी तरह ऑनलाइन उपलब्ध कराएगा। यह पहल "एक राज्य - एक प्लेटफार्म" और "डिजिटल छत्तीसगढ़" के लक्ष्य को साकार करेगा।

उप मुख्यमंत्री साव ने नगरीय प्रशासन विभाग की इस नई पहल के बारे में कहा कि ई-गवर्नेस परियोजना सुशासन के नए युग की शुरुआत होगी। इससे नागरिकों को सभी शहरी सेवाएँ घर बैठे, समय पर और पारदर्शी रूप से मिलेंगी। उन्होंने कहा कि यह सुविधा शासन को लोगों के और पास लाएगी और अब "शासन जनता के द्वार पर" की सोच धरातल पर दिखेगी।

एक पोर्टल पर नगरीय निकायों की कई सुविधाएं

परियोजना के तहत एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा, जिसमें नागरिक सेवा पोर्टल, मोबाइल एप्लीकेशन, भवन अनुमति प्रणाली, वित्तीय प्रबंधन प्रणाली, शिकायत निवारण मॉड्यूल, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली तथा निर्णय सहायता डैशबोर्ड जैसी प्रमुख सेवाएँ सम्मिलित होंगी। ये सभी मॉड्यूल क्लाउड आधारित डेटा सेंटर से संचालित होंगे, जिससे सभी नगरों का डेटा सुरक्षित, एकीकृत और रियल-टाइम में उपलब्ध रहेगा।

सभी कर ऑनलाइन जमा होंगे

ई-गवर्नेस प्रणाली से लोग अपने मोबाइल या कम्प्यूटर से प्रत्येक सेवा का लाभ ले सकेंगे। संपत्ति कर, जल कर, व्यापार कर और ठोस अपशिष्ट शुल्क जैसी सभी देनदारियाँ ऑनलाइन जमा की जा सकेंगी। नागरिकों को बैंक, यूपीआई, वॉलेट या नेट-बैंकिंग जैसे माध्यमों से त्वरित भुगतान की सुविधा मिलेगी, जिससे राज्य के राजस्व संग्रह में वृद्धि होगी।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि यह परियोजना आम लोगों को केंद्र में रखकर बनाई गई है और बेहतर प्रशासन की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने बताया कि ई-गवर्नेंस प्रणाली शुरू होने से पूरे राज्य के नगरीय निकायों का कामकाज एक जैसा और पारदर्शी होगा। फैसले अब तथ्यों और तकनीक के आधार पर लिए जाएंगे, जिससे लोगों को तेज़ और भरोसेमंद सेवाएं मिलेंगी।

साव ने कहा कि यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के “डिजिटल इंडिया” के विज़न पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन सरकार की मुहर है। इससे छत्तीसगढ़ में ऐसा सिस्टम बनेगा, जहां जनहित की सुविधाएं कागजों पर नहीं बल्कि डिजिटल माध्यम से घर बैठे भी मिलेंगी। नागरिकों को लगेगा कि सरकार सच में उनके द्वार पर है। उन्होंने कहा कि सेवाएं पारदर्शी होंगी, तकनीक जनकल्याण का साधन बनेगी और छत्तीसगढ़ डिजिटल सुशासन का एक आदर्श उदाहरण बनकर देश में नई पहचान बनाएगा।

एआई और डेटा एनालिटिक्स का भी उपयोग

ई-गवर्नेंस परियोजना में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डेटा एनालिटिक्स का भी उपयोग किया जाएगा। यह प्रणाली नागरिकों के शिकायतों के पैटर्न का विश्लेषण कर संभावित समस्याओं का पूर्वानुमान लगाएगी और अधिकारियों के प्रदर्शन का आंकलन करेगी। इससे नीतिगत निर्णयों में सटीकता आएगी और शहरी निकायों का संचालन "स्मार्ट गवर्नेस" के स्तर पर पहुंचेगा।

15,000 वंचित छात्रों को मिलेगी फ्री ऑनलाइन कोचिंग: सामाजिक न्याय विभाग का पीडब्ल्यू(PW) फाउंडेशन से समझौता

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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार ने आज पीडब्ल्यू फाउंडेशन (Physics Wallah Foundation) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत 15,000 पात्र अभ्यर्थियों – जिनमें अनुसूचित जाति (SC), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) तथा पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के लाभार्थी शामिल हैं – को निःशुल्क संरचित ऑनलाइन कोचिंग प्रदान की जाएगी।

यह समझौता 7 नवम्बर 2025 को दोपहर 12 बजे शास्त्री भवन, नई दिल्ली में, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव की उपस्थिति में संपन्न हुआ।

इस पहल के अंतर्गत पीडब्ल्यू फाउंडेशन UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षाओं की तैयारी के लिए उच्च गुणवत्ता की डिजिटल कोचिंग निःशुल्क उपलब्ध कराएगा। इसमें लाइव और रिकॉर्डेड लेक्चर, टेस्ट सीरीज़, मेंटरशिप, काउंसलिंग और अध्ययन सामग्री शामिल होगी। इस पहल का उद्देश्य वंचित वर्गों के छात्रों के लिए प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी को सुलभ बनाना है।

यह साझेदारी गैर-वित्तीय सहयोग (Non-Financial Collaboration) के रूप में कार्य करेगी, जिसमें विभाग पात्र छात्रों का चयन पारदर्शी ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से करेगा, जबकि पीडब्ल्यू फाउंडेशन बिना किसी शुल्क के अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कोचिंग सामग्री उपलब्ध कराएगा।

इस अवसर पर विभाग के सचिव ने कहा —

“यह सहयोग गुणवत्तापूर्ण कोचिंग सुविधाओं को हाशिए पर बसे वर्गों के छात्रों तक पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डिजिटल सशक्तिकरण और समावेशी शिक्षा के माध्यम से हम युवाओं को ऐसे अवसर प्रदान करना चाहते हैं जिससे वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो सकें।”

यह पहल सरकार की “समावेशी मानव संसाधन विकास” (Inclusive Human Resource Development) की प्रतिबद्धता को सशक्त बनाती है तथा संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य-4 (SDG-4) — “सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना” — के अनुरूप है।

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान 8 नवम्बर से फिर खुलेगा, सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया जाएगा

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राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (एनज़ेडपी) 08 नवम्बर 2025 से आगंतुकों के लिए पुनः खोला जाएगा। दिल्ली ज़ू प्रशासन ने सूचित किया है कि चिड़ियाघर खुलने के बाद सभी आवश्यक सुरक्षा और एहतियाती उपायों का पालन किया जाएगा।

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान को 28.08.2025 को जल पक्षी एवियरी में एवियन इन्फ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) के पॉजिटिव केस की रिपोर्ट आने के बाद 30.08.2025 से आगंतुकों के लिए बंद कर दिया गया था। इसके बाद सक्षम प्राधिकारियों द्वारा जारी सभी जैव सुरक्षा (बायोसेफ्टी) और निगरानी (सर्विलांस) दिशानिर्देशों का पूर्ण रूप से पालन किया गया।

केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा जारी ‘एवियन इन्फ्लुएंजा की तैयारी, नियंत्रण और रोकथाम हेतु कार्यवाही (संशोधित 2021)’ के अध्याय 6 के तहत निर्धारित सभी दिशानिर्देशों का सख्ती से अनुपालन किया गया। बंदी अवधि के दौरान हर 15 दिन के अंतराल पर चार बार सैंपलिंग की गई, और एनआईएचएसएडी, भोपाल की रिपोर्ट के अनुसार, अंतिम पॉजिटिव केस के बाद सभी नमूने नकारात्मक पाए गए।

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान अपने वन्यजीवों के स्वास्थ्य और कल्याण के साथ-साथ आगंतुकों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है।


बस्तर में कृषि क्रांति : 25 वर्षों में फसल क्षेत्र दोगुना, बीज वितरण में 10 गुना वृद्धि

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रायपुर। वनों और पहाड़ियों की गोद में बसे बस्तर ने पिछले 25 वर्षों में एक ऐसी कृषि क्रांति देखी है, जिसने जिले की आर्थिक और सामाजिक तस्वीर ही बदल दी है। कभी जहां खेती-किसानी कठिनाईयों से घिरी थी, वहीं आज खेत लहलहा रहे हैं और किसानों के चेहरों पर खुशहाली की चमक दिखाई दे रही है। यह परिवर्तन बस्तर के मेहनतकश अन्नदाताओं की अथक मेहनत, राज्य सरकार की किसानोन्मुख नीतियों और कृषि विभाग के निरंतर प्रयासों का परिणाम है।

खेती के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि

वर्ष 2000 में जिले का कुल फसल उत्पादन क्षेत्र 1.58 लाख हेक्टेयर था, जो वर्ष 2025 में बढ़कर 2 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है। यानी करीब 26 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि। यह विस्तार बस्तर के उन दुर्गम इलाकों तक पहुँचा है, जहाँ कभी असमतल भूमि और पहाड़ी ढलानों पर खेती करना चुनौतीपूर्ण था। इस बदलाव के पीछे विभाग की योजनाओं, जल संरक्षण कार्यों और किसानों को समय पर तकनीकी सहायता का बड़ा योगदान रहा है।

बीज वितरण में भी दस गुना से अधिक की वृद्धि

वर्ष 2000 में जिले में 3,109 क्विंटल बीज किसानों को उपलब्ध कराए गए थे, जो अब बढ़कर 32 हजार 253 क्विंटल तक पहुँच चुके हैं। कृषि कार्यों में 10 गुना की अद्भुत वृद्धि को दर्शाता है। उच्च गुणवत्ता वाले, रोग-प्रतिरोधी बीजों की उपलब्धता ने किसानों की उत्पादकता को नई ऊँचाई दी है। 

लोहंडीगुड़ा विकासखंड के ग्राम गुनपुर के किसान नकुल भारती ने बताया कि पहले अच्छे बीज के लिए शहर जाना पड़ता था, अब गाँव में ही आसानी से मिल जाता है। नई तकनीक और बीजों ने हमारी खेती का रूप ही बदल दिया है।

सिंचित क्षेत्र में हुई सात गुना की वृद्धि

जहाँ वर्ष 2000 में सिंचाई की सुविधा केवल 3 हजार 669 हेक्टेयर भूमि तक सीमित थी, वहीं आज यह बढ़कर 24 हजार 280 हेक्टेयर तक पहुँच चुकी है। तालाबों के जीर्णाेद्धार, नहरों के विस्तार और ड्रिप एवं स्प्रिंकलर इरिगेशन जैसी आधुनिक तकनीकों ने सूखे इलाकों को भी हरा-भरा बना दिया है। इन प्रयासों से फसल चक्र मजबूत हुआ है और किसानों की जलवायु परिवर्तन से निपटने की क्षमता भी बढ़ी है। उप संचालक कृषि राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि विभाग किसानों को प्रशिक्षण देकर उन्नत तकनीक अपनाने के लिए निरंतर प्रोत्साहित कर रहा है।

किसान के उत्पादों सेे मिला आत्मबल

राज्य सरकार द्वारा किसानों को धान का वाजिब दाम दिलाने के लिए की गई नीति सुधारों से बस्तर के किसानों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन आया है। वर्ष 2000 में जहां धान का समर्थन मूल्य मात्र 510 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अब बढ़कर 3,100 रुपये तक पहुँच चुका है। इसी प्रकार, ग्रेड-ए धान का मूल्य 540 रुपये से बढ़कर 3,100 रुपये हो गया है। यह छह गुना से अधिक की वृद्धि किसानों के जीवन में आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुकी है। ग्राम कलचा की महिला किसान जयंती बघेल ने मुस्कुराते हुए कहा कि पहले खेती से बस गुजारा चलता था, अब बच्चों की पढ़ाई और घर की जरूरतें पूरी हो रही हैं।

आधुनिक तकनीक और नई सोच की दिशा में कदम

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना जैसी योजनाओं ने बस्तर के किसानों को नई दिशा दी है। कृषि विभाग अब मिलेट्स, दलहन और तिलहन फसलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ जैविक खेती पर भी जोर दे रहा है। पिछले 25 वर्षों में बस्तर का यह परिवर्तन केवल कृषि का विकास नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पुनर्जागरण की कहानी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने किसानों के कल्याण को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी है। कृषि, जल संसाधन और सहकारिता विभागों के समन्वित प्रयासों से आज बस्तर आत्मनिर्भर, समृद्ध और हरित हो रहा है।

भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का भूटान में सार्वजनिक प्रदर्शन : भारत और भूटान के बीच आध्यात्मिक व सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक

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आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सौहार्द्र के एक गहन प्रतीक के रूप में, भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष, जो नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में विराजमान हैं, 8 से 18 नवंबर 2025 तक सार्वजनिक दर्शन के लिए भूटान के साम्राज्य में प्रदर्शित किए जाएंगे।

यह प्रदर्शनी भूटान की राजधानी थिम्फू में आयोजित ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल (GPPF) का हिस्सा है, जो विश्व शांति और मानवता के कल्याण के लिए समर्पित एक प्रमुख आयोजन है। यह आयोजन भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के 70वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित हो रहा है। भूटान विश्व का एकमात्र वज्रयान बौद्ध राज्य है।

इस पवित्र अवशेष यात्रा दल का नेतृत्व भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार करेंगे। उनके साथ वरिष्ठ भारतीय भिक्षुओं और अधिकारियों का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी रहेगा।

भूटान के प्रधानमंत्री त्सेरिंग टोबगे ने कहा कि इस उत्सव की संकल्पना भूटान के राजा द्वारा की गई थी, ताकि पृथ्वी पर शांति का संदेश दिया जा सके। यह ऐतिहासिक यात्रा भारत के संस्कृति मंत्रालय और इंटरनेशनल बौद्ध कन्फेडरेशन (IBC) के संयुक्त प्रयास से आयोजित की जा रही है। यह दूसरी बार है जब ये पवित्र अवशेष भूटान ले जाए जा रहे हैं — पहली बार वर्ष 2011 में राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के विवाह समारोह के अवसर पर ले जाए गए थे।

श्रद्धा और संस्कृति का संगम

अवशेषों को थिम्फू के ताशीछो जोंग के कुएनरे हॉल में सार्वजनिक दर्शन के लिए स्थापित किया जाएगा, जो भूटान सरकार का मुख्यालय और देश के मठवासी समुदाय का केंद्र है।
प्रधानमंत्री टोबगे ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने इन पवित्र अवशेषों को थिम्फू लाने की अनुमति दी, जिससे दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूती मिली है।


विशेष प्रदर्शनियां

आध्यात्मिक अनुभव को और समृद्ध करने के लिए IBC द्वारा तीन विशेष प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी:

  1. गुरु पद्मसंभव: भारत में “गुरु रिनपोछे” के जीवन और उनके पवित्र स्थलों पर केंद्रित।

  2. शाक्य वंश की पवित्र धरोहर: बुद्ध अवशेषों की खोज और उनके महत्व पर आधारित।

  3. बुद्ध का जीवन और उपदेश: बुद्ध के ज्ञानोदय के मार्ग की प्रेरक यात्रा।

इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली अपनी बौद्ध कला और विरासत गैलरी से चयनित दुर्लभ मूर्तियां प्रदर्शित करेगा।

साझा बौद्ध विरासत की मिसाल

बौद्ध धर्म सदियों से भूटान की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का मूल रहा है। गुरु पद्मसंभव की शिक्षाओं ने न केवल भूटान में बौद्ध धर्म को सशक्त किया, बल्कि देश की ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस (GNH) की अवधारणा को भी आकार दिया, जो करुणा और कल्याण पर आधारित है।

यह प्रदर्शनी भारत की उस परंपरा को आगे बढ़ाती है जिसके तहत उसने मंगोलिया, थाईलैंड, वियतनाम और रूस के काल्मिकिया क्षेत्र में बुद्ध अवशेषों का प्रदर्शन किया है। यह आयोजन पिपरहवा ज्वेल रिलिक्स की भारत में वापसी के बाद हो रहा है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "राष्ट्रीय धरोहर की वापसी" के रूप में वर्णित किया था।

भूटान में इन पवित्र अवशेषों का प्रदर्शन शांति, करुणा और सांझी आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है — जो भारत और भूटान के विशेष संबंधों को और प्रगाढ़ बनाता है।


TEC और IIT बॉम्बे के बीच उन्नत दूरसंचार तकनीक और मानकीकरण पर सहयोग समझौता

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दूरसंचार विभाग (DoT), भारत सरकार के तकनीकी अंग टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (TEC) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT बॉम्बे) के साथ एक सहयोग ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का उद्देश्य उन्नत दूरसंचार प्रौद्योगिकियों, वैश्विक मानकीकरण गतिविधियों, और संयुक्त अध्ययन व अनुसंधान में सहयोग को बढ़ावा देना है।

यह साझेदारी भारत-विशिष्ट मानक और परीक्षण ढांचे विकसित करने, भविष्य की नेटवर्क प्रौद्योगिकियों जैसे 6G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), नेक्स्ट जनरेशन नेटवर्क (NGN), VoIP आदि पर अनुसंधान करने और ITU-T (इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन – टेलीकम्युनिकेशन स्टैंडर्डाइजेशन सेक्टर) के अध्ययन समूहों में भारत की भागीदारी को सुदृढ़ करने पर केंद्रित है।

यह समझौता 7 नवम्बर 2025 को अमित कुमार श्रीवास्तव, उप महानिदेशक (मोबाइल टेक्नोलॉजी), TEC और प्रो. सचिन पतवर्धन, डीन (अनुसंधान एवं विकास), IIT बॉम्बे द्वारा हस्ताक्षरित किया गया। इस अवसर पर सैयद तौसीफ अब्बास, वरिष्ठ उप महानिदेशक एवं प्रमुख (TEC), जितेंद्र बी. चव्हाण, उप महानिदेशक (WR TEC), मुंबई, और प्रो. प्रसन्न एस. चपोर्कर, विद्युत अभियांत्रिकी विभाग, IIT बॉम्बे उपस्थित थे।

यह सहयोग TEC और IIT बॉम्बे के बीच अगली पीढ़ी की दूरसंचार तकनीकों और मानकीकरण गतिविधियों पर घनिष्ठ रूप से कार्य करने के लिए एक औपचारिक ढांचा स्थापित करता है।

प्रमुख सहयोग क्षेत्र:

  • 6G: 6G आर्किटेक्चर और सक्षम प्रौद्योगिकियों का अध्ययन, 3GPP एवं संबंधित वैश्विक मंचों में अनुसंधान और मानकीकरण गतिविधियों में योगदान।

  • कोर नेटवर्क: दूरसंचार कोर नेटवर्क पर संयुक्त अध्ययन और तकनीकी योगदान।

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): AI-आधारित बुद्धिमान नेटवर्क, स्वचालन और पूर्वानुमानित रखरखाव के लिए AI-संचालित दूरसंचार अनुप्रयोगों का विकास।

  • उपग्रह संचार प्रणाली: दूरस्थ क्षेत्रों और ग्रामीण संपर्क अनुप्रयोगों के लिए कम लागत वाले स्वदेशी उपग्रह संचार टर्मिनलों का डिजाइन और विकास।

  • सिग्नलिंग आवश्यकताएं और प्रोटोकॉल: NGN, VoIP, IMT-2020/2030 सहित टेलीकॉम नेटवर्क के लिए सिग्नलिंग आवश्यकताओं और प्रोटोकॉल पर संयुक्त अध्ययन।

यह साझेदारी स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास (R&D) को गति देने और वैश्विक मानकीकरण प्रक्रियाओं में भारत की भूमिका को मजबूत करने में मदद करेगी। साथ ही, यह सहयोग आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए स्वदेशी अनुसंधान, डिजाइन और विनिर्माण क्षमताओं को सुदृढ़ करेगा — जिससे भारत-विशिष्ट मानक, परीक्षण ढांचे और समाधान विकसित होंगे, जो देश की दूरसंचार सुरक्षा को मजबूत करेंगे और आयात पर निर्भरता घटाएँगे।

टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (TEC) के बारे में

TEC, दूरसंचार विभाग (DoT) का तकनीकी अंग है। यह भारत में दूरसंचार उपकरणों और नेटवर्क के लिए तकनीकी मानक, विनिर्देश और अनुरूपता मूल्यांकन आवश्यकताओं को तैयार करता है। TEC यह सुनिश्चित करता है कि देश में दूरसंचार प्रणालियाँ वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हों और ITU-T, ITU-R जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करता है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IIT बॉम्बे) के बारे में

IIT बॉम्बे, जिसे भारत सरकार द्वारा "Institute of Eminence" के रूप में मान्यता प्राप्त है, विज्ञान, अभियांत्रिकी, डिजाइन, प्रबंधन और मानविकी के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह दूरसंचार नेटवर्क सिग्नलिंग, NGN, 5G/6G तकनीक, और AI अनुप्रयोगों के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार में अग्रणी है।

भारत–यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में तेजी, नई दिल्ली में हुई महत्वपूर्ण प्रगति

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यूरोपीय संघ (EU) के वरिष्ठ वार्ताकारों की एक टीम ने 3 से 7 नवम्बर 2025 तक भारत–यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत के लिए नई दिल्ली का दौरा किया। यह सप्ताहभर की चर्चा एक व्यापक, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते की दिशा में चल रहे प्रयासों का हिस्सा थी। वार्ता के दौरान वस्तुओं, सेवाओं, निवेश, व्यापार एवं सतत विकास, मूल-उत्पत्ति नियमों तथा तकनीकी व्यापार बाधाओं सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।

इस वार्ता के तहत वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने यूरोपीय आयोग की वाणिज्य महानिदेशक साबिन वेयंड से विस्तृत बैठकें कीं। ये बैठकें 5–6 नवम्बर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की गईं, जिनमें भारत–EU FTA वार्ताओं की प्रगति की समीक्षा की गई। दोनों पक्षों ने एक संतुलित और लाभकारी व्यापार समझौते की दिशा में प्रयासों को और तेज़ करने पर सहमति व्यक्त की।

वाणिज्य सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत एक ऐसा परिणाम चाहता है जो आर्थिक वृद्धि और विकास को प्रोत्साहित करे और जिसमें लाभों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित हो। उन्होंने यूरोपीय संघ की उभरती नियामक व्यवस्थाओं, जैसे Carbon Border Adjustment Mechanism (CBAM) और प्रस्तावित नए इस्पात विनियमन, के क्रियान्वयन में स्पष्टता और पूर्वानुमेयता की आवश्यकता पर भी बल दिया।

दोनों पक्षों ने कई वार्ता क्षेत्रों में हुई महत्वपूर्ण प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और सकारात्मक गति को बनाए रखने पर सहमति जताई। चर्चाओं के दौरान कई मुद्दों पर समान दृष्टिकोण विकसित हुआ और शेष मतभेदों को सुलझाने के लिए आने वाले हफ्तों में तकनीकी स्तर की वार्ताओं को जारी रखने पर जोर दिया गया।

इन वार्ताओं और समीक्षात्मक बैठकों ने भारत और यूरोपीय संघ, दोनों की साझेदारी को और गहरा करने तथा एक महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की उनकी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाया — जो लचीली, सतत और समावेशी आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करेगा।

छत्तीसगढ़ बनेगा मध्य भारत का टेक्नोलॉजी और नवाचार हब : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) नवा रायपुर के 10वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय ‘मेक इन सिलिकॉन’ संगोष्ठी का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन भारत को सेमीकंडक्टर निर्माण और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ अपना रजत जयंती वर्ष मना रहा है और आज राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ का भी ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेशवासियों और ट्रिपल आईटी परिवार को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संस्थान महान शिक्षाविद् डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर स्थापित है, जिन्होंने शिक्षा, एकता और औद्योगिक विकास को राष्ट्र की प्रगति से जोड़ा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत आज तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने सेमीकंडक्टर मिशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और चिप निर्माण के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं। यह मिशन न केवल बुनियादी ढांचा विकसित कर रहा है, बल्कि युवाओं को सशक्त बनाने और नवाचार को प्रोत्साहन देने का भी कार्य कर रहा है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सेमीकंडक्टर आज आधुनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है— मोबाइल, सैटेलाइट, रक्षा प्रणाली और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सभी इससे जुड़े हैं। ऐसे में ‘मेक इन सिलिकॉन’ जैसी पहल भारत की चिप क्रांति को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ इस मिशन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की नई औद्योगिक नीति में सेमीकंडक्टर सेक्टर के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कुशल मानव संसाधन, सुदृढ़ औद्योगिक ढांचा, निर्बाध बिजली आपूर्ति और तकनीकी विकास के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध है। नवा रायपुर में सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना का भूमिपूजन हो चुका है, जिससे युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि नवा रायपुर को आईटी और इनोवेशन हब के रूप में विकसित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य का ‘छत्तीसगढ़ अंजोर विजन डॉक्यूमेंट’ सतत विकास पर केंद्रित है, जिसमें सेमीकंडक्टर को प्रमुख क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इज ऑफ डूइंग बिज़नेस के साथ अब स्पीड आफ डूइंग बिज़नेस पर भी बल दे रही है।

मुख्यमंत्री ने देशभर से आए विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस संगोष्ठी से न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश को लाभ मिलेगा। उन्होंने आह्वान किया कि “हम सब मिलकर छत्तीसगढ़ को मध्य भारत का ज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का केंद्र बनाएं तथा भारत के सेमीकंडक्टर मिशन में सक्रिय योगदान दें।”

वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी ने कहा कि जब मैं पढ़ाई कर रहा था, तब छत्तीसगढ़ में एक भी राष्ट्रीय स्तर का संस्थान नहीं था। किंतु पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता के कारण आज प्रदेश में आईआईटी, आईआईएम, एचएनएलयू, एम्स, एनआईटी और ट्रिपल आईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान स्थापित हुए हैं। इन संस्थानों ने राज्य को उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नई पहचान दी है।

चौधरी ने कहा कि वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ में शिक्षा और तकनीकी विकास की अपार संभावनाएँ हैं। आज का युग टेक्नोलॉजी-ड्रिवन इकोनॉमी का है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर डाउन होने से विश्वभर में जिस प्रकार कार्य प्रभावित हुए, उससे स्पष्ट है कि पावर टेक्नोलॉजी आज जीवन, अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रणाली को किस हद तक प्रभावित करती है। इसलिए हमें इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अभी से तैयार रहना होगा।

उन्होंने कहा कि नवाचार, कौशल और काबिलियत ही भविष्य में आपकी वास्तविक उपयोगिता सिद्ध करेंगे। बड़ी उपलब्धियाँ वही व्यक्ति प्राप्त करता है, जो अपनी क्षमता को निरंतर तराशता है। युवाओं को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि परिवर्तन हमेशा दृष्टिकोण, संकल्प और निरंतर प्रयास से आता है। साउथ कोरिया के तकनीकी परिवर्तन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि “हमें भी उसी प्रकार शिक्षा, तकनीक और शोध में निवेश बढ़ाकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना होगा।”

वित्त मंत्री ने युवाओं से आह्वान किया कि वे तकनीकी दक्षता, शोध और रचनात्मक सोच को अपने जीवन का आधार बनाएं, क्योंकि आने वाला समय उन्हीं का होगा जो ज्ञान और नवाचार को अपनी शक्ति बनाएंगे।

उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने कहा कि सेमीकंडक्टर और औद्योगिक क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ‘मेक इन सिलिकॉन’ संगोष्ठी एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप शैक्षणिक संस्थान सेमीकंडक्टर क्षेत्र में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार उच्च शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने युवाओं से कहा कि “आपका नवाचार और आपका संकल्प भारत की तकनीकी पहचान को नई ऊँचाई देगा।”

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) नवा रायपुर के निदेशक प्रो. ओम प्रकाश व्यास ने अतिथियों को संस्थान की 10 वर्षों की उपलब्धियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि संस्थान में विकसित भारत की अवधारणा के अनुरूप शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। छात्रों के कौशल विकास और क्षमता निर्माण के लिए उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण एवं उद्योग आधारित परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।

इस अवसर पर ट्रिपल आईटी इलाहाबाद के निदेशक प्रो. मुकुल सुतावणे, आईआईटी इंदौर के प्रो. संतोष विश्वकर्मा, मनोज कुमार मजूमदार सहित शिक्षाविद् एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहीं।

उल्लखेनीय है कि ‘मेक इन सिलिकॉन’ - स्वदेशी सेमीकंडक्टर इंफ्रास्ट्रक्चर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी - ट्रिपल आईटी नया रायपुर के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी (ECE) विभाग के माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स और वीएलएसआई डिजाइन समूह द्वारा आयोजित की जा रही है। इस संगोष्ठी का उद्देश्य भारत की सेमीकंडक्टर क्षमताओं को सशक्त बनाना और आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण को प्रोत्साहित करना है। यह आयोजन शिक्षा जगत, उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच नवाचार, ज्ञान-विनिमय और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक सशक्त मंच है, जिससे भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सके।

संगोष्ठी में वीएलएसआई डिजाइन और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में उन्नत तकनीक, जैसे नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स, एमईएमएस, क्वांटम डिवाइस, तथा उद्योग-शिक्षा सहयोग पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। इन क्षेत्रों में प्रगति न केवल तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करेगी बल्कि भारत के अनुसंधान और औद्योगिक विकास के बीच एक सशक्त सेतु का कार्य भी करेगी।

राष्ट्रीय मिशन के तहत यह पहल सेमीकंडक्टर उपकरण, पैकेजिंग और फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता एवं नवाचार को गति देने का प्रयास है। संगोष्ठी में नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स की सहभागिता से कौशल विकास, आपूर्ति श्रृंखला सुदृढ़ीकरण और सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया गया है। यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत मिशन की भावना के अनुरूप भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर नवाचार और निर्माण का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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