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भारत ने EEZ में सतत मत्स्य पालन के लिए नए नियम अधिसूचित, मछुआरों और समुद्री निर्यात को मिलेगा मजबूती

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04 नवंबर 2025 को भारत सरकार ने “सतत मत्स्य संसाधनों के उपयोग के लिए एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन (EEZ) नियम” को अधिसूचित किया। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के समुद्री क्षेत्र की अछूती संभावनाओं को सशक्त करने और सतत और समावेशी ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल वित्तीय वर्ष 2025–26 के बजट में घोषित संकल्प का पालन करती है, जिसमें अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीपसमूह पर विशेष ध्यान के साथ EEZ और उच्च समुद्री क्षेत्रों से सतत मत्स्य संसाधन उपयोग के लिए सक्षम ढांचे का निर्माण करने का वादा किया गया था।

सहकारी समितियों और समुदाय आधारित मॉडल को प्राथमिकता

नए नियमों के तहत मछुआरा सहकारी समितियों और फिश फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (FFPOs) को गहरे समुद्री मत्स्य पालन और तकनीकी रूप से उन्नत जहाजों के संचालन के लिए प्राथमिकता दी गई है। EEZ नियम गहरे समुद्री मत्स्य पालन को सुसज्जित करेंगे और सीफ़ूड निर्यात को बढ़ाने के लिए मूल्य संवर्धन, ट्रेसबिलिटी और प्रमाणन पर जोर देंगे।

मदर-एंड-चाइल्ड जहाजों की अवधारणा के तहत मध्य-सागर में ट्रांसशिपमेंट को RBI के निगरानी तंत्र के साथ अनुमति दी जाएगी। अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप में यह व्यवस्था उच्च गुणवत्ता वाली मछली के निर्यात को बढ़ावा देगी।

समग्र सहायता और क्षमता निर्माण

सरकार मछुआरों और उनकी सहकारी समितियों/FFPOs को प्रशिक्षण, अंतरराष्ट्रीय अनुभव यात्राएं और क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रदान करेगी। मूल्य श्रृंखला के सभी पहलुओं जैसे प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, विपणन, ब्रांडिंग और निर्यात में सहायता दी जाएगी। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और Fisheries & Aquaculture Infrastructure Development Fund (FIDF) के माध्यम से आसान और किफायती ऋण भी उपलब्ध कराया जाएगा।

हानिकारक प्रथाओं पर रोक और सतत मत्स्य पालन

नए नियम LED लाइट फिशिंग, पेयर ट्रॉवलिंग और बुल ट्रॉवलिंग जैसी हानिकारक मत्स्य पालन प्रथाओं पर रोक लगाते हैं। जैव विविधता संरक्षण के लिए मछली प्रजातियों के लिए न्यूनतम कानूनी आकार निर्धारित किया जाएगा और Fisheries Management Plans राज्य सरकारों और हितधारकों के साथ मिलकर विकसित किए जाएंगे।

सी-केज फार्मिंग और समुद्री शैवाल खेती जैसी मारिकल्प्चर प्रथाओं को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे तटीय क्षेत्रों में मछली पकड़ने पर दबाव कम होगा और उत्पादन बढ़ेगा। ये उपाय विशेष रूप से लघु मछुआरों और उनकी सहकारी समितियों के लिए लाभकारी होंगे।

डिजिटल और पारदर्शी एक्सेस पास तंत्र

EEZ नियमों के तहत मेकैनिकाइज्ड और बड़े मोटरयुक्त जहाजों के लिए एक्सेस पास अनिवार्य होगा, जो ReALCRaft पोर्टल के माध्यम से नि:शुल्क ऑनलाइन प्राप्त किया जा सकता है। पारंपरिक और छोटे मछुआरे इस पास से मुक्त रहेंगे।

ReALCRaft पोर्टल MPEDA और EIC के साथ एकीकृत किया गया है ताकि फिश कैच और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र डिजिटल रूप से जारी किए जा सकें, जिससे ट्रेसबिलिटी, स्वास्थ्य अनुपालन और ईको-लेबलिंग सुनिश्चित होगी और भारतीय सीफ़ूड का वैश्विक प्रतिस्पर्धा में स्तर बढ़ेगा।

नियामक सुधार, समुद्री सुरक्षा और तटीय सुरक्षा

EEZ में मत्स्य संसाधनों को ‘भारतीय मूल’ के रूप में मान्यता दी जाएगी, ताकि निर्यात के समय उन्हें आयात के रूप में न माना जाए। Illegal, Unreported, and Unregulated (IUU) Fishing रोकने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की जाएगी।

मछुआरों और उनके जहाजों की सुरक्षा के लिए ट्रांसपोंडर का अनिवार्य उपयोग किया जाएगा और QR-कोडित आधार कार्ड/मछुआरा पहचान कार्ड की पहचान अनिवार्य होगी। ReALCRaft पोर्टल Nabhmitra एप्लिकेशन के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे सुरक्षित नेविगेशन और तटीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

समुद्री मत्स्य पालन का आधुनिकीकरण

ये सुधार समुद्री मत्स्य पालन के शासन को आधुनिक बनाने, सहकारी और समुदाय आधारित मॉडल को सशक्त करने और डिजिटल नवाचार और पारदर्शिता के माध्यम से ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं।

प्रमुख तथ्य

  • भारत की 11,099 किमी की लंबी तटरेखा और 23 लाख वर्ग किमी से अधिक EEZ में 50 लाख से अधिक मछुआरे समुदाय रहते हैं।

  • भारत का EEZ अभी तक गहरे समुद्र में उच्च मूल्य वाले संसाधनों का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाया था।

  • बजट 2025–26 में घोषणा की गई थी कि भारत दूसरे स्थान का विश्व मत्स्य उत्पादन देश है और सीफ़ूड निर्यात ₹60,000 करोड़ का है।

ReALCRaft पोर्टल के बारे में

ReALCRaft पोर्टल मछुआरों और तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नागरिक-केंद्रित ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करता है, जैसे मछली पकड़ने के जहाजों का पंजीकरण, लाइसेंसिंग, स्वामित्व हस्तांतरण आदि। वर्तमान में 2.38 लाख जहाज पोर्टल पर पंजीकृत हैं।

  • मोटरयुक्त जहाज: ~1.32 लाख

  • गैर-मोटरयुक्त पारंपरिक जहाज: 40,461

  • एक्सेस पास अनिवार्य जहाज: 64,187


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