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महिला मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा: भारत सरकार की बहुआयामी पहल

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“जन स्वास्थ्य और स्वच्छता; अस्पताल और डिस्पेंसरी’’ भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में शामिल है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य भी आता है। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, अस्पतालों, सामुदायिक देखभाल और पुनर्वास की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है।

फिर भी, भारत सरकार राज्य सरकारों का समर्थन करती है और एक व्यापक, बहु-आयामी और समन्वित दृष्टिकोण अपनाती है, जो अधिकार आधारित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, टेली-मेंटल हेल्थ सेवा, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, कार्यस्थल सुरक्षा उपाय, लिंग-संवेदनशील कानून प्रवर्तन इंटरफेस और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों को जोड़ती है। इन पहलों का उद्देश्य महिलाओं में तनाव को रोकना, कम करना और प्रबंधित करना है।

मुख्य पहल और कार्यक्रम:

  1. केन्द्रीय मार्गदर्शन और प्रशिक्षण:

    • केंद्रीय कर्मचारियों के लिए डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल एंड ट्रेनिंग (DoPT) के तहत यौन उत्पीड़न रोकथाम, लिंग-संवेदनशीलता, लचीले कार्य समय और आंतरिक शिकायत तंत्र के दिशा-निर्देश।

  2. आपातकालीन सहायता और सुरक्षा:

    • महिला हेल्पलाइन (181), बाल हेल्पलाइन (1098), और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली ERSS-112।

    • ज़ीरो FIR और ई-FIR जैसी सुविधा।

  3. कानूनी और मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा:

    • मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017: आत्महत्या के प्रयास को अपराधमुक्त करना, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों का पंजीकरण और निगरानी।

    • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) और जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (DMHP) के तहत 767 जिलों में सेवाएँ।

    • 1.81 लाख प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप-स्वास्थ्य केंद्रों को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में अपग्रेड किया गया।

    • टेली-मेंटल हेल्थ कार्यक्रम Tele-MANAS: 53 सेल्स, 20 भाषाओं में सेवा, 29.82 लाख कॉल्स।

  4. महिला सुरक्षा और सहायता:

    • मिशन शक्ति के तहत One Stop Centres (OSC): 864 OSCs, 12.67 लाख महिलाओं को सहायता।

    • महिला हेल्प डेस्क: 14,649 पुलिस स्टेशनों में, महिला अधिकारियों द्वारा संचालित।

    • SHe-Box पोर्टल: कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों के लिए केंद्रीय मंच।

  5. सुरक्षित कार्यस्थल और रोजगार:

    • चार श्रम संहिता (वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, कार्यस्थल सुरक्षा और स्वास्थ्य) लागू।

    • समान कार्य के लिए समान वेतन, रात की शिफ्ट और खतरनाक काम में महिलाओं की अनुमति सुरक्षित वातावरण के तहत।

    • कार्यदिवस 8 घंटे और 48 घंटे प्रति सप्ताह, ओवरटाइम स्वीकृति और दोगुना वेतन।

    • निःशुल्क वार्षिक स्वास्थ्य जांच।

  6. सामाजिक-सामर्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण:

    • कौशल भारत, उद्यमिता और जीविका कार्यक्रम।

    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, वित्तीय समावेशन, माइक्रोक्रेडिट और स्वयं-सहायता समूह।

इन सभी पहलों को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर लागू किया जाता है, जो स्वास्थ्य सेवा वितरण के मुख्य एजेंट हैं। केंद्र सरकार नीति मार्गदर्शन, क्षमता निर्माण, तकनीकी दिशा-निर्देश, वित्तीय सहायता, अंतर-मंत्रालय समन्वय और निगरानी के माध्यम से समर्थन देती है।

इन उपायों का उद्देश्य महिलाओं में तनाव को रोकना और कम करना, समय पर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना, हिंसा और उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करना और महिलाओं की गरिमा, लचीलापन और कल्याण को बढ़ावा देना है।

सूचना स्रोत: मंत्री राज्य महिला एवं बाल विकास, सवित्री ठाकुर, लोकसभा में आज दिए गए उत्तर के अनुसार।

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