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भारत में चीता पुनर्वास परियोजना: वैश्विक सहयोग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकृति का पुनर्जागरण

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Summary / Key Points :

  • दुनिया का पहला अंतर-खगोलीय बड़े मांसाहारी जीव का पुनर्वास भारत में सफल हुआ; 2022-23 में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते भारत आए।

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को पहले आठ चीते Kuno राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े।

  • दिसंबर 2025 तक भारत में कुल 30 चीते हैं: 12 वयस्क, 9 अर्धवयस्क और 9 शावक, जिसमें 11 संस्थापक और 19 भारत में जन्मे चीते शामिल हैं।

  • मुखी, भारत में जन्मी पहली चीता शावक, अब पांच स्वस्थ शावकों की मां बन चुकी है।

  • परियोजना ने 450 से अधिक "चीता मित्र", 380 प्रत्यक्ष रोजगार और स्थानीय समुदायों के लिए 5% इको-टूरिज्म राजस्व साझा किया।

  • भारत 2032 तक 17,000 किमी² में 60–70 चीते की स्व-संवहनीय मेटापॉपुलेशन स्थापित करने के मार्ग पर है, और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य इसके अगले चरण के लिए तैयार है।

परियोजना का ऐतिहासिक संदर्भ:

  • भारतीय उपमहाद्वीप में 1952 में एशियाई चीता विलुप्त घोषित किया गया था।

  • Kuno NP को पुनर्वास स्थल के रूप में चुना गया, 24 गांवों का पुनर्वास कर 6,258 हेक्टेयर अतिक्रमण रहित घासभूमि उपलब्ध कराई गई।

  • परियोजना का उद्देश्य 60–70 चीते की मेटापॉपुलेशन स्थापित करना और घासभूमि/अर्ध-सूखी पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरोद्धार करना है।भारत में चीता पुनर्वास परियोजना: वैश्विक सहयोग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकृति का पुनर्जागरणभारत में चीता पुनर्वास परियोजना: वैश्विक सहयोग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकृति का पुनर्जागरण

महत्वपूर्ण उपलब्धियां:

  • 2023 तक भारत में जन्मे पहले शावकों का रिकॉर्ड; दूसरी पीढ़ी के शावक 2025 में जन्मे।

  • प्रत्येक चीता के क्षेत्राधिकार और व्यवहार का अध्ययन किया गया।

  • स्थानीय समुदायों को शामिल करते हुए रोजगार और जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए।

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के साथ MoU के तहत जीन्स, प्रशिक्षण और तकनीकी हस्तांतरण।

  • अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट अलायंस (IBCA) की स्थापना: भारत मुख्यालय, 150 करोड़ रुपये का बजट, सात बड़ी बिल्ली प्रजातियों के संरक्षण के लिए वैश्विक पहल।

निष्कर्ष:

Project Cheetah केवल पुनर्वास नहीं, बल्कि भारत का पारिस्थितिक संतुलन, विज्ञान, कूटनीति और समुदाय के सम्मिलन का प्रतीक है। भारत में चीते की मौजूदगी विश्व को प्रेरणा देती है कि विलुप्त प्रजातियों को वैज्ञानिक, सामुदायिक और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से पुनर्जीवित किया जा सकता है।


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