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कोल इंडिया और IIT मद्रास मिलकर बनाएंगे “सस्टेनेबल एनर्जी सेंटर”: भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की दिशा में ऐतिहासिक कदम

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कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने बुधवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT मद्रास) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत IIT मद्रास में “सस्टेनेबल एनर्जी सेंटर” (Centre for Sustainable Energy) की स्थापना की जाएगी। इस समझौते पर सीआईएल के निदेशक (तकनीकी) अच्युत घाटक और IIT मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर सीआईएल के अध्यक्ष पी. एम. प्रसाद, साथ ही दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

यह केंद्र सतत ऊर्जा प्रौद्योगिकियों (Sustainable Energy Technologies) में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास (R&D) और क्षमता निर्माण पहलों का एक प्रमुख केंद्र होगा। CIL द्वारा वित्तपोषित और उसके रणनीतिक विविधीकरण लक्ष्यों के अनुरूप, यह केंद्र कोयला खदानों के पुनःउपयोग, निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों के विकास, और भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य में कोयले को एक मूल्यवान फीडस्टॉक के रूप में पुनर्परिभाषित करने के समाधान विकसित करने पर केंद्रित रहेगा। यह साझेदारी देश की नेट-जीरो (Net-Zero) 2070 की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए स्वदेशी अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास के माध्यम से भारत की ऊर्जा परिवर्तन यात्रा में नेतृत्व करने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

इस अवसर पर बोलते हुए, सीआईएल के अध्यक्ष पी. एम. प्रसाद ने कहा कि कोल इंडिया एक ऊर्जा प्रदाता से भारत की स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण यात्रा का एक प्रमुख सक्षमकर्ता बनने की दिशा में परिवर्तन कर रहा है। उन्होंने कहा, “यह समझौता कोल इंडिया की सतत विकास यात्रा में एक ऐतिहासिक कदम है। IIT मद्रास के साथ इस सहयोग के माध्यम से, कोल इंडिया ऊर्जा सुरक्षा, डीकार्बोनाइजेशन और सामाजिक-आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी समाधान विकसित करने का लक्ष्य रखता है।”

IIT मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि ने कहा कि उद्योग–शैक्षणिक सहयोग IIT मद्रास की यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, जो भारत को निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर करने में मदद कर रहा है। उन्होंने कहा, “कोल इंडिया के साथ यह साझेदारी हमारे इस मिशन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। हम मिलकर ऐसे स्केलेबल और प्रभावशाली समाधान विकसित करेंगे जो भारत के सतत ऊर्जा भविष्य का समर्थन करें।”

यह केंद्र मानव संसाधन विकास में भी योगदान देगा, जिसमें पीएचडी, पोस्टडॉक्टरल और इंटर्नशिप कार्यक्रम शामिल होंगे, ताकि शोधकर्ताओं और इंजीनियरों की नई पीढ़ी को भारत के हरित ऊर्जा परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया जा सके।

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