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ESTIC 2025 में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर उच्च स्तरीय पैनल चर्चा : भारत के जिम्मेदार एआई नवाचार और समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

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भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने उभरती विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार संगोष्ठी (ESTIC 2025) के दौरान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) पर एक उच्च स्तरीय पैनल चर्चा का आयोजन किया।

इस सत्र की अध्यक्षता एस. कृष्णन, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने की। इसमें सरकार, शिक्षाजगत और उद्योग क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिन्होंने इस बात पर विचार-विमर्श किया कि भारत कैसे जिम्मेदारीपूर्वक एआई का उपयोग करते हुए नवाचार, समावेश और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ा सकता है।

यह सत्र आगामी इंडिया–एआई इम्पैक्ट समिट 2026 की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी साबित हुआ, जिसमें भारत के उभरते एआई पारिस्थितिकी तंत्र — डिजिटल अवसंरचना का विस्तार, स्वदेशी बड़े भाषा मॉडलों (Large Language Models) का विकास, नैतिक एआई गवर्नेंस को सुदृढ़ करना, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना — जैसे विषयों पर केंद्रित चर्चाएँ होंगी।

मुख्य संबोधन

सत्र की शुरुआत करते हुए एस. कृष्णन, सचिव, MeitY ने कहा,

“किसी भी तकनीक का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि उसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है — वह जीवन की गुणवत्ता को कैसे बेहतर बनाती है और देश के लोगों को क्या अवसर प्रदान करती है। भारत के लिए यह वास्तव में एक बड़ा अवसर है कि हम एआई जैसी क्षैतिज और व्यापक तकनीक का उपयोग करके 2047 तक ‘विकसित भारत (Viksit Bharat)’ के लक्ष्य की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ें।”

इंडियाAI मिशन की भूमिका पर प्रकाश

अभिषेक सिंह, अतिरिक्त सचिव, MeitY, महानिदेशक, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) एवं सीईओ, इंडियाAI मिशन ने कहा,

“एआई नवाचार के मार्ग खोलने के लिए इंडियाएआई मिशन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद सभी खामियों को दूर करने पर केंद्रित है। भारत का सबसे बड़ा बल उसका मानव पूंजी है, लेकिन एआई मॉडल और अनुप्रयोग बनाने के लिए हमें किफायती कंप्यूटिंग, गुणवत्तापूर्ण डेटा सेट्स, और निरंतर निवेश की भी आवश्यकता है। मिशन की सात स्तंभों वाली रणनीति — सस्ती कंप्यूटिंग, डेटा प्लेटफ़ॉर्म, फाउंडेशन मॉडल्स, स्टार्टअप समर्थन, और सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई के लिए टूल्स — के माध्यम से हम एक ऐसा तंत्र बना रहे हैं जो भारत को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों के समकक्ष खड़ा करेगा। हमारा लक्ष्य ऐसे एआई अनुप्रयोग बनाना है जो न केवल भारत की जरूरतें पूरी करें बल्कि नवाचार, नैतिकता और विश्वास के वैश्विक मानक स्थापित करें।”

स्वदेशी एआई विकास की दिशा में प्रेरणा

डॉ. श्रीधर वेंबू, सह-संस्थापक एवं मुख्य वैज्ञानिक, Zoho Corporation ने कहा,

“हमें सीमित संसाधनों और बजट की चुनौतियों से उबरने के लिए एक अलग मार्ग तलाशना होगा। जब संसाधन सीमित होते हैं, तो वही प्रतिबंध हमें बेहतर और नवाचारी समाधान खोजने के लिए प्रेरित करते हैं। मेरा मानना है कि इस दिशा में नई विज्ञान की खोज होना बाकी है — एक ऐसी नींव जो पूरी तरह से बदल देगी कि हम इन समस्याओं को कैसे देखते और हल करते हैं।”

विभिन्न क्षेत्रों में एआई की परिवर्तनकारी भूमिका

सत्र में अग्रणी शोधकर्ताओं और नवाचारकर्ताओं ने एआई की परिवर्तनकारी संभावनाओं पर अपने विचार रखे:

  • डॉ. गीता मंजनाथ, संस्थापक, सीईओ और सीटीओ, निरामाई हेल्थ एनालिटिक्स ने बताया कि एआई आधारित नवाचार स्तन कैंसर की पहचान को अधिक सुलभ और किफायती बना रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता कम हो रही है।

  • डॉ. श्रीराम राघवन, उपाध्यक्ष, आईबीएम रिसर्च (AI), ने खुले नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र (Open Innovation Ecosystems) की शक्ति पर प्रकाश डाला, जो एआई विकास को तीव्र गति प्रदान करते हैं।

  • डॉ. अमित शेठ एनसीआर चेयर प्रोफेसर और निदेशक, एआई संस्थान, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलाइना ने बताया कि सामान्य एआई से उद्देश्य-आधारित, डोमेन-विशिष्ट प्रणालियों की ओर संक्रमण से ऊर्जा, विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों में उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

पैनल चर्चा — “नवाचार और समावेशन के लिए जिम्मेदार एआई”

इस विषय पर आयोजित पैनल चर्चा का संचालन शशि शेखर वैम्पति, सह-संस्थापक, DeepTech for Bharat Foundation एवं पूर्व सीईओ, प्रसार भारती ने किया।

इसमें प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया —

  • डॉ. हेरिक मयंक विन, सीटीओ, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), मुंबई

  • प्रो. बालारमन रवींद्रन, प्रमुख, डेटा साइंस एवं एआई विभाग, आईआईटी मद्रास

  • अभिषेक सिंह, अतिरिक्त सचिव, MeitY, सीईओ, इंडियाAI मिशन

  • डॉ. रिमझिम अग्रवाल, सह-संस्थापक एवं सीटीओ, ब्रेनसाइटएआई, बेंगलुरु

  •  देबजानी घोष, विशिष्ट फेलो, नीति आयोग एवं पूर्व अध्यक्ष, नैसकॉम

  • प्रो. पी. वेंकट रंगन, कुलपति, अमृता विश्व विद्यापीठम, कोयंबटूर

पैनल में भारत के एआई पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पहलुओं — डिजिटल अवसंरचना का विस्तार, स्वदेशी बड़े भाषा मॉडल्स का विकास, नैतिक एआई शासन की मजबूती, और वैश्विक साझेदारी को प्रोत्साहन — पर विस्तृत चर्चा हुई।

विशेष बल इस बात पर दिया गया कि तकनीकी प्रगति को राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं और सामाजिक समावेशन के लक्ष्यों के साथ संतुलित किया जाए।

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