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भारत की लॉजिस्टिक्स लागत GDP के 7.97% तक घटी

IPRS 3.0, जिसे एशियाई विकास बैंक के साथ विकसित किया गया है, औद्योगिक पार्कों को स्थिरता, हरित बुनियादी ढाँचा, कनेक्टिविटी, डिजिटल तत्परता और कौशल विकास के आधार पर रेटिंग देता है।
SMILE कार्यक्रम के तहत 8 राज्यों के 8 पायलट शहरों में लॉजिस्टिक्स योजनाएँ शुरू की गई हैं, ताकि मौजूदा लॉजिस्टिक्स अवसंरचना का आकलन किया जा सके और दक्षता बढ़ाते हुए लागत कम की जा सके।

भारत की लॉजिस्टिक्स कहानी का नया अध्याय

भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है और खुद को तेज, स्मार्ट और वैश्विक प्रतिस्पर्धी प्रणाली में बदल रहा है। एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म जो माल ढुलाई को सरल बनाते हैं, आधुनिक अवसंरचना जो देश के हर हिस्से को जोड़ती है — इन सबके माध्यम से अगली पीढ़ी का लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम तेजी से आकार ले रहा है। लक्षित नीति सुधारों, संस्थागत पुनर्गठन और तकनीक-आधारित समाधानों के साथ सरकार लॉजिस्टिक्स को भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक व्यापार स्थिति का प्रमुख इंजन बना रही है।

संरचनात्मक बदलावों की श्रृंखला इस बात को बदल रही है कि देशभर में लॉजिस्टिक्स की योजना कैसे बनाई जाती है, उसे कैसे लागू किया जाता है और कैसे बढ़ाया जाता है।
ULIP (Unified Logistics Interface Platform) जैसे प्लेटफ़ॉर्म विभागों के बीच डेटा को एकीकृत कर रहे हैं, जबकि LDB (Logistics Data Bank) 2.0 लाखों कंटेनरों की वास्तविक समय निगरानी प्रदान करता है।
हर HSN कोड को उसकी संबंधित लाइन मंत्रालय से जोड़ा गया है, जिससे जवाबदेही और नीति निर्माण दोनों मजबूत हुए हैं।

SMILE कार्यक्रम के तहत शहर एवं राज्य स्तर की लॉजिस्टिक्स योजनाएँ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप लाई जा रही हैं।
पिछले वर्ष अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से 145.84 मिलियन टन कार्गो का रिकॉर्ड परिवहन हुआ। रेल जाम को समर्पित मालवाहक गलियारों से कम किया जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों में NICDC के प्लग-एंड-प्ले पार्क निवेशकों को तैयार अवसंरचना प्रदान कर रहे हैं।

जमीनी स्तर पर, GST और ई-वे बिल जैसी सुधारों ने अंतरराज्यीय परिवहन से दशकों पुरानी रुकावटों को दूर किया है।
इन हस्तक्षेपों का उद्देश्य स्पष्ट है— लॉजिस्टिक्स लागत कम करना, दक्षता बढ़ाना और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की स्थिति को मजबूत करना।

गंगा के मैदान में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स

भारत गंगा के मैदान में एकीकृत मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स नेटवर्क विकसित कर रहा है, जो सड़क, रेल और जलमार्गों को जोड़कर परिवहन को तेज, सस्ता और हरित बना रहा है।

ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (EDFC), एक उच्च गति रेल माल लाइन, ने वैगन टर्नअराउंड समय को 15–16 दिनों से घटाकर 2–3 दिन कर दिया है और ट्रांजिट समय को 60+ घंटे से घटाकर 35–38 घंटे कर दिया है।
प्रयागराज में केंद्रीय नियंत्रण केंद्र के माध्यम से माल संचालन संचालित किए जा रहे हैं।
EDFC का वाराणसी में गंगा जलमार्ग से जुड़ना निर्माताओं को हल्दिया जैसे पूर्वी बंदरगाहों तक कार्गो पहुंचाने में अधिक सुविधा दे रहा है।

वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं का तेजी से विकास रोजगार सृजन, बेहतर इनवेंटरी प्रबंधन और समयबद्ध उत्पादन एवं निर्यात में सहायता कर रहा है।
इन परियोजनाओं में विश्व बैंक द्वारा $1.96 बिलियन (EDFC और रेल लॉजिस्टिक्स) और $375 मिलियन (गंगा जलमार्ग) का निवेश शामिल है।

लॉजिस्टिक्स पहले से अधिक क्यों महत्वपूर्ण

भारत की विकास यात्रा अब कुशल लॉजिस्टिक्स पर अधिक निर्भर है।
नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी और पीएम गतिशक्ति ने इस परिवर्तन को तेज किया है। परंतु रणनीति को सटीकता की आवश्यकता होती है — और वह शुरू होती है लॉजिस्टिक्स लागत के वास्तविक आंकड़ों से।

पहली बार—
DPIIT और NCAER की व्यापक वैज्ञानिक रिपोर्ट ने भारत की लॉजिस्टिक्स लागत को GDP के 7.97% पर रखा है।

यह अध्ययन 3,500+ उद्योग हितधारकों के प्राथमिक डेटा और MOSPI, RBI, GSTN जैसे स्रोतों के द्वितीयक डेटा पर आधारित है।
रिपोर्ट का निष्कर्ष:

  • लॉजिस्टिक्स लागत: ₹24.01 लाख करोड़

  • नॉन-सर्विसेज आउटपुट के मुकाबले: 9.09%

रिपोर्ट दर्शाती है कि छोटी कंपनियों पर लॉजिस्टिक्स लागत का बोझ अधिक है।
अध्ययन विभिन्न परिवहन मोड्स के लिए प्रति टन-किमी लागत भी प्रदान करता है।

यह स्पष्ट करता है कि लगभग 600 किमी की यात्रा में पहले और अंतिम 50 किमी में सुधार से कुल लागत काफी घट सकती है।
इससे अंतिम-मील संपर्क और मल्टीमॉडल इंटीग्रेशन का महत्व बढ़ जाता है।

नया इंटरैक्टिव डैशबोर्ड नीति-निर्माताओं और उद्योग दोनों को वास्तविक समय विश्लेषण और बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा।

2025: भारत की सप्लाई चेन को सुपरचार्ज करना

2025 में कई नई पहलें शुरू की गईं—
मापांकन, स्थानीय योजना, अवसंरचना और डेटा एकीकरण को मजबूत करने के लिए।

1. PM GatiShakti — एकीकृत योजना को गति

इस वर्ष निम्न प्रमुख लॉन्च किए गए:

  • सभी 112 आकांक्षी जिलों के लिए जिला मास्टर प्लान

  • PM GatiShakti – Offshore (समुद्री परियोजनाओं के लिए भू-स्थानिक डेटा एकीकरण)

  • PM GatiShakti Public: 230 datasets का सार्वजनिक उपयोग

  • National Master Plan Dashboard और Data Uploading System

  • Compendium Volume-3

  • LEAPS 2025 — लॉजिस्टिक्स नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए DPIIT पहल

2. SMILE — शहर स्तर पर लॉजिस्टिक्स योजना

ADB के सहयोग से विकसित SMILE कार्यक्रम
राज्य और शहर स्तर पर लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करता है।

8 राज्यों के 8 पायलट शहरों में—

  • ट्रंक रूट्स

  • आर्थिक गलियारे

  • लॉजिस्टिक्स गेटवे

  • शहरी माल ढुलाई

  • वेयरहाउस क्लस्टर

  • लास्ट-माइल कॉरिडोर

को एकीकृत ढंग से योजना में शामिल किया जा रहा है।

उद्देश्य:
तेज, सस्ता, स्वच्छ और संगठित शहरी लॉजिस्टिक्स प्रणाली।

3. LEADS 2025 — राज्यों की लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस रैंकिंग

LEADS अब धारणा-आधारित और वस्तुनिष्ठ दोनों प्रकार के डेटा को जोड़कर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का मूल्यांकन करता है।
API-आधारित टूल्स वास्तविक समय में सड़क गति, यात्रा समय और प्रतीक्षा समय को ट्रैक करते हैं।

4. LDB 2.0 — बाजारों को गति देने वाली दृश्यता

ULIP के साथ एकीकृत LDB 2.0:

  • वास्तविक समय कंटेनर ट्रैकिंग

  • रोड, रेल, समुद्र और हाई-सीज ट्रैकिंग

  • लाइव कंटेनर देरी हीटमैप

  • कंटेनर नंबर, वाहन नंबर, रेलवे FNR से ट्रैकिंग

5. IPRS 3.0 — औद्योगिक पार्कों की रैंकिंग

IPRS 3.0 पार्कों को तीन श्रेणियों में रैंक करता है:
Leader, Challenger, Aspirer

20 प्लग-एंड-प्ले पार्क NICDC के तहत विकसित हो रहे हैं।

6. HSN कोड गाइडबुक

12,167 HSN कोड्स को 31 मंत्रालयों से मैप किया गया है, जिससे उद्योग और सरकार दोनों के लिए स्पष्टता बढ़ी है।

निष्कर्ष

लॉजिस्टिक्स अब परदे के पीछे का तंत्र नहीं है —
भारत इसे अपनी प्रतिस्पर्धात्मक ताकत में बदल रहा है।

PM GatiShakti Public/Offshore, SMILE, LEAPS 2025, LEADS 2025, IPRS 3.0, LDB 2.0 जैसी पहलों के साथ भारत अपने लॉजिस्टिक्स को लागत केंद्र से वैश्विक प्रतिस्पर्धा की शक्ति में बदल रहा है।

विकास इंजन से वैश्विक नेतृत्व की ओर यात्रा शुरू हो चुकी है।


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