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विधि कार्य विभाग ने LIMBS और PFMS के एकीकरण से अधिवक्ता शुल्क भुगतान प्रक्रिया को किया पूर्णतः डिजिटल

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भारत सरकार की विशेष अभियान 5.0 के तहत दक्षता, पारदर्शिता और डिजिटल प्रशासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग (Department of Legal Affairs – DLA) ने प्रक्रियागत सरलीकरण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विभाग ने लीगल इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट एंड ब्रीफिंग सिस्टम (LIMBS) को पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) से एकीकृत कर दिया है। यह सुधार अधिवक्ताओं के शुल्क के वितरण की प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बना रहा है, जो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और डिजिटल इंडिया जैसी सरकार की प्रमुख पहलों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पहले अधिवक्ताओं को फीस का भुगतान करने की प्रक्रिया भौतिक दस्तावेजों पर निर्भर थी — जिसमें मैन्युअल सत्यापन और कागज़ी फाइलों को पे एंड अकाउंट्स ऑफिस तक भेजने की लंबी प्रक्रिया शामिल थी। इससे भुगतान में विलंब होता था और प्रणाली पेपर-इंटेंसिव बनी रहती थी। अब, e-Bill मॉड्यूल के उन्नत संस्करण के माध्यम से अधिवक्ताओं और विधि अधिकारियों को फीस का भुगतान पूरी तरह से डिजिटल और एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के माध्यम से किया जा रहा है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि भुगतान समयबद्ध और कुशलता से हो रहा है।

अब LIMBS पर तैयार किए गए बिल सीधे PFMS से जुड़े हुए हैं, जिससे उनका डिजिटल सत्यापन, स्वीकृति और भुगतान स्वतः हो जाता है। यह एक पेपरलेस सिस्टम है, जो रीयल-टाइम ट्रैकिंग, कम प्रसंस्करण समय और मानवीय त्रुटियों को समाप्त करता है। प्रत्येक दावे के लिए एक क्लेम रेफरेंस नंबर (CRN) उत्पन्न होता है, जिससे विभागीय इकाइयां भुगतान की स्थिति को वास्तविक समय में देख सकती हैं। भुगतान की स्वीकृति के बाद राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में PFMS के माध्यम से स्थानांतरित हो जाती है।

केंद्रीय एजेंसी अनुभाग (CAS) ने फरवरी 2025 में LIMBS के माध्यम से पैनल अधिवक्ताओं के भुगतान के लिए e-Bill मॉड्यूल लागू किया था, और अब इसे अन्य मुकदमेबाजी इकाइयों, जैसे दिल्ली उच्च न्यायालय में भी विस्तारित करने की तैयारी है। इसके अलावा, विधि अधिकारियों के रिटेनर शुल्क के लिए एक अलग मॉड्यूल विकसित करने पर भी विचार किया जा रहा है।

यह एकीकरण डिजिटल प्रशासन को सशक्त करता है, पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है और पर्यावरणीय स्थिरता को भी प्रोत्साहित करता है। इस एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म से विधिक शुल्क भुगतान प्रक्रियाओं में समानता और मानकीकरण सुनिश्चित हुआ है।

विशेष अभियान 5.0 के उद्देश्यों के अनुरूप यह पहल सरकारी प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, डिजिटल परिवर्तन को गति देती है और नागरिक-केंद्रित सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है। मैन्युअल प्रक्रियाओं को समाप्त करके और कार्यप्रवाह को मानकीकृत करके, विधि कार्य विभाग इस सुधार को अन्य कानूनी भुगतान श्रेणियों तक विस्तारित कर रहा है, जिससे विकसित भारत @2047 की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम उठाया गया है।

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