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स्ट्रोक की रोकथाम और पुनर्वास में समग्र एवं निवारक देखभाल प्रदान करने में आयुष प्रणालियों की महत्वपूर्ण भूमिका: आयुष मंत्रालय

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आयुष मंत्रालय ने स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के लिए आयुष प्रणालियों की समग्र, निवारक और पुनर्वासात्मक देखभाल की भूमिका पर बल दिया है। भारत में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक होने के नाते, स्ट्रोक से निपटने के लिए आयुष प्रणालियाँ एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाती हैं, जो शरीर की संतुलन प्रणाली को सुदृढ़ करने, लचीलापन बढ़ाने और दीर्घकालिक पुनर्प्राप्ति को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है — जिससे पारंपरिक चिकित्सा उपचार को प्रभावी रूप से पूरक बनाया जा सके।

आयुष और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने कहा,

“स्ट्रोक की बढ़ती चुनौती व्यापक और एकीकृत स्वास्थ्य रणनीतियों की आवश्यकता को रेखांकित करती है। निवारक देखभाल और दीर्घकालिक पुनर्वास पर आधारित आयुष प्रणालियाँ पारंपरिक स्ट्रोक प्रबंधन को महत्वपूर्ण रूप से पूरक कर सकती हैं। आयुष मंत्रालय साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो और स्ट्रोक के राष्ट्रीय बोझ को कम किया जा सके। हमारा ध्यान मजबूत शोध सहयोग और जन-जागरूकता बढ़ाने पर है, जो स्ट्रोक की घटनाओं को कम करने और सतत पुनर्प्राप्ति मार्गों को समर्थन देने में परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकता है।”

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा,

“आयुष प्रणालियाँ सामूहिक रूप से स्ट्रोक जैसी जटिल न्यूरोलॉजिकल विकारों को समझने और प्रबंधित करने के लिए एक समग्र ढाँचा प्रदान करती हैं। मंत्रालय सहयोगात्मक और अनुवादात्मक अनुसंधान को बढ़ावा दे रहा है ताकि आयुष आधारित उपचारों की चिकित्सीय क्षमता को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित और विस्तारित किया जा सके, जिससे स्ट्रोक की रोकथाम, पुनर्वास और समग्र तंत्रिका स्वास्थ्य के लिए एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल को सुदृढ़ किया जा सके।”

आयुष प्रणालियाँ शरीर, मन और पर्यावरण के बीच संतुलन पर जोर देती हैं। इनकी निवारक दर्शनशास्त्र और समग्र उपचार पद्धतियाँ न केवल रोग प्रबंधन पर केंद्रित हैं, बल्कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, पुनरावृत्ति कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने पर भी ध्यान देती हैं।

आयुर्वेद में स्ट्रोक को वात दोष की असंतुलन स्थिति के रूप में समझा जाता है, जिससे शरीर के एक हिस्से में कमजोरी या पक्षाघात हो सकता है। आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य संतुलन बहाल करना है — जिसमें शुद्धिकरण, पुनर्स्थापन और पुनर्वासात्मक चिकित्सा शामिल हैं जो रक्त संचार, तंत्रिका कार्य और समग्र जीवन शक्ति को बढ़ावा देती हैं।

होम्योपैथी को सहायक उपचार के रूप में प्रभावी पाया गया है, विशेषकर न्यूरोलॉजिकल सुधार, मोटर रिकवरी और स्ट्रोक के बाद जीवन की गुणवत्ता में सुधार में।

आयुष मंत्रालय ने बताया कि विभिन्न आयुष प्रणालियाँ स्ट्रोक की रोकथाम, प्रबंधन और पुनर्वास के लिए विशिष्ट और पूरक दृष्टिकोण प्रदान करती हैं, जो शारीरिक और न्यूरोलॉजिकल दोनों प्रकार की पुनर्प्राप्ति को लक्षित करती हैं।

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