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आईएनएस त्रिकंड ने ग्रीस के साथ समुद्री युद्धाभ्यास में दिखाई ताकत

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भारत-ग्रीस द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास का पहला संस्करण सम्पन्न

भूमध्य सागर- भारतीय नौसेना और हेलेनिक नौसेना (ग्रीस) के बीच आयोजित पहला द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास 18 सितम्बर 2025 को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। यह अभ्यास भारत और ग्रीस के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अभ्यास दो चरणों में हुआ — 13 से 17 सितम्बर तक सलामिस नौसैनिक अड्डे पर हार्बर फेज़ और 17-18 सितम्बर को समुद्र में संचालनात्मक चरण। भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस त्रिकंड ने किया।

हार्बर फेज़ के दौरान, दोनों नौसेनाओं के कर्मियों ने आपसी समझ और समन्वय बढ़ाने के लिए कई गतिविधियों में भाग लिया। प्रमुख कार्यक्रमों में क्रॉस-डेक विज़िट्स, पेशेवर बातचीत और हेलेनिक नौसेना के एली क्लास फ्रिगेट HS Themistokles पर आयोजित प्री-सेल कॉन्फ्रेंस शामिल थे। सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के दौरान भारत के ग्रीस में राजदूत रुद्रेंद्र टंडन, सलामिस नौसैनिक अड्डे के कमांडर कमोडोर स्पायरीडॉन मैन्टिस, हेलेनिक नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी और उनके परिवार भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर भारत की समृद्ध परंपराओं का प्रदर्शन किया गया और दोनों नौसेनाओं के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूत किया गया। इसके अतिरिक्त, जहाज के दल ने एथेंस स्थित सेक्रेड रॉक ऑफ़ एक्रोपोलिस का भी भ्रमण किया।

सी फेज़ के दौरान, दोनों नौसेनाओं ने जटिल समुद्री युद्धाभ्यास और सामरिक अभ्यास किए। इनमें नाइट VBSS ऑपरेशन्स (Visit, Board, Search, Seizure), समुद्र में पुनःपूर्ति (Replenishment-at-Sea), संयुक्त पनडुब्बी-रोधी युद्धाभ्यास, समन्वित तोप दागना तथा क्रॉस-डेक हेलीकॉप्टर ऑपरेशन्स शामिल थे। इन अभियानों ने न केवल दोनों नौसेनाओं की पेशेवर क्षमताओं को प्रमाणित किया, बल्कि चुनौतीपूर्ण समुद्री परिस्थितियों में संयुक्त रूप से कार्य करने की उनकी क्षमता को भी दर्शाया।

इस पहले द्विपक्षीय अभ्यास का सफल आयोजन भारत और ग्रीस के बीच समुद्री सुरक्षा एवं सहयोगात्मक सहभागिता पर बढ़ते सामरिक सामंजस्य (Strategic Convergence) को रेखांकित करता है। दोनों देश वैश्विक समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में समान हित रखते हैं। यह सहयोग सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के आदान-प्रदान, पारस्परिक संचालन क्षमता (Interoperability) के विकास और दोनों नौसेनाओं के बीच पेशेवर संबंधों को प्रगाढ़ बनाने का अवसर प्रदान करता है।

अभ्यास के समापन के बाद आईएनएस त्रिकंड भूमध्य सागर में अपने अगले चरण के अभियान के लिए रवाना हो गया।


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