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आज कांकेर और दुर्ग जिले के दौरे पर रहेंगे सीएम बघेल, कई कार्यक्रम में होंगे शामिल


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) आज कांकेर और दुर्ग जिले के दौरे(CM Baghel Kanker Tour) पर रहेंगे। वे कांकेर में जिलेवासियों को लगभग 342 करोड़ रूपए की राशि के विकास कार्यों की सौगात देंगे। निर्धारित दौरा कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री बघेल आज दोपहर 12 बजे शासकीय नरहरदेव उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल कांकेर का अवलोकन करेंगे। इसके बाद वे 12.40 बजे गोविन्दपुर हायर सेकेण्डरी स्कूल मैदान कांकेर पहुंचेंगे और वहां आमसभा में जैव विविधता पंजी का विमोचन करेंगे। साथ ही वन अधिकार समिति सम्मेलन को सम्बोधित करेंगे।





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सम्मेलन को संबोधित करने के बाद वे विभिन्न विकास और निर्माण कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास और हितग्राहियों को सामग्री का वितरण करेंगे। मुख्यमंत्री इसके बाद दोपहर 1.50 बजे गोविन्दपुर स्कूल ग्राउण्ड हेलीपेड कांकेर से हेलीकॉप्टर द्वारा दुर्ग जिले के पाटन के लिए प्रस्थान कर 2.20 बजे दुर्ग जिले के पाटन पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री बघेल पाटन के सतनाम भवन में दोपहर 2.25 बजे से आयोजित तहसील स्तरीय गुरू घासीदास जयंती और लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद वे दोपहर 3.15 बजे पाटन से हेलीकॉप्टर द्वारा प्रस्थान कर 3.35 बजे वापस रायपुर लौट आएंगे।





सीएम बघेल ने प्रदेशवासियों को दी छेरछेरा पर्व की शुभकामनाएं(CM Baghel Kanker Tour)





मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक पर्व छेरछेरा (chher chhera festival) की बधाई देते हुए प्रदेशवासियों की खुशहाली, सुख, समृद्धि की कामना की है। CM बघेल ने छेरछेरा पर्व की पूर्व संध्या पर जारी अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि नई फसल के घर आने की खुशी में महादान और फसल उत्सव के रूप में पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा पुन्नी तिहार मनाया जाता है।





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यह त्यौहार हमारी समाजिक समरसता, समृद्ध दानशीलता की गौरवशाली परम्परा का संवाहक है। इस दिन 'छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा' बोलते हुए गांव के बच्चे, युवा और महिला संगठन खलिहानों और घरों में जाकर धान और भेंट स्वरूप प्राप्त पैसे इकट्ठा करते हैं और इकट्ठा किए गए धान और राशि रामकोठी में रखते हैं और वर्ष भर के लिए अपना कार्यक्रम बनाते हैं।





मां शाकम्भरी जयंती





मुख्यमंत्री (CM Bhupesh Baghel) ने कहा कि छत्तीसगढ़ का किसान बहुत उदार होता है। किसानों द्वारा उत्पादित फसल सिर्फ उसके लिए नहीं बल्कि समाज के अभावग्रस्त और जरूरतमंद लोगों, कामगारों और पशु-पक्षियों के लिए भी काम आती है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक आज ही के दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी, आज ही मां शाकम्भरी जयंती है। इसलिए लोग धान के साथ साग-भाजी, फल का दान भी करते हैं।





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मान्यता है कि रतनपुर के राजा छह माह के प्रवास के बाद रतनपुर लौटे थे। उनकी आवभगत में प्रजा को दान दिया गया था। छेरछेरा के समय धान मिसाई का काम आखरी चरण में होता है। इस दिन छोटे-बड़े सभी लोग घरों, खलिहानों में जाकर धान और धन इकट्ठा करते हैं। इस प्रकार एकत्रित धान और धन को गांव के विकास कार्यक्रमों में लगाने की परम्परा रही है।





सरकार के साथ समाज और लोगों की भागीदारी जरूरी





छेरछेरा का दूसरा पहलू आध्यात्मिक भी है, यह बड़े-छोटे के भेदभाव और अहंकार की भावना को समाप्त करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में कुपोषण समाज की बहुत बड़ी समस्या है। कुपोषण दूर करने के लिए सरकार के साथ समाज और लोगों की भागीदारी जरूरी है। अपनी प्राचीन गौरवशाली परम्परा को आगे बढ़ाते हुए बच्चों के स्वस्थ, कुपोषण मुक्त, सुखद भविष्य के लिए सहयोग करें।


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