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भारत में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट निर्माण को बढ़ावा: ₹7,280 करोड़ की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी

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प्रमुख बिंदु

  • सरकार ने देश में सिन्‍टर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के समेकित घरेलू विनिर्माण इकोसिस्टम की स्थापना के लिए ₹7,280 करोड़ की योजना को मंजूरी दी।

  • इस योजना के तहत 6,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MTPA) की घरेलू उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी, जिसमें रेयर अर्थ ऑक्साइड से लेकर तैयार मैग्नेट तक पूरी वैल्यू चेन शामिल होगी।

  • यह पहल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और रक्षा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगी।

  • यह योजना नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (NCMM) और MMDR अधिनियम सुधारों जैसी नीतिगत पहलों से समर्थित है।

  • आयात निर्भरता कम करते हुए भारत की वैश्विक उन्नत सामग्री वैल्यू चेन में भागीदारी को सशक्त बनाएगी और दीर्घकालिक औद्योगिक विकास को गति देगी।

परिचय

केंद्र सरकार ने ‘सिन्‍टर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) विनिर्माण को प्रोत्साहन देने की योजना’ को मंजूरी दी है, जिसका कुल वित्तीय परिव्यय ₹7,280 करोड़ है। इस योजना का उद्देश्य भारत में 6,000 MTPA की एकीकृत REPM विनिर्माण क्षमता स्थापित करना है, जिसमें कच्चे रेयर अर्थ ऑक्साइड से लेकर अंतिम मैग्नेट उत्पाद तक संपूर्ण प्रक्रिया शामिल होगी।

इस घरेलू इकोसिस्टम के निर्माण से इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए आवश्यक इनपुट में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। यह पहल आत्मनिर्भर भारत, मजबूत आपूर्ति शृंखला और नेट ज़ीरो 2070 के राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप है।

रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) क्या हैं?

रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट सबसे शक्तिशाली स्थायी मैग्नेटों में से एक होते हैं। इनका उपयोग उन तकनीकों में होता है जहाँ छोटे आकार में उच्च चुंबकीय क्षमता की आवश्यकता होती है, जैसे—

  • इलेक्ट्रिक वाहनों की मोटर

  • पवन ऊर्जा टरबाइन जनरेटर

  • उपभोक्ता एवं औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स

  • एयरोस्पेस और रक्षा प्रणालियाँ

  • सटीक सेंसर और एक्ट्यूएटर

उन्नत इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों के लिए REPM अत्यंत आवश्यक हैं, इसलिए भारत में इनका घरेलू उत्पादन दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धा और आपूर्ति सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

भारत की वर्तमान स्थिति और योजना की आवश्यकता

भारत के पास रेयर अर्थ खनिजों का बड़ा भंडार है, विशेष रूप से मोनाजाइट, जो आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र में पाया जाता है। देश में लगभग 1.315 करोड़ टन मोनाजाइट उपलब्ध है, जिसमें अनुमानित 72.3 लाख टन रेयर अर्थ ऑक्साइड मौजूद हैं।

इसके अतिरिक्त, गुजरात और राजस्थान में हार्ड रॉक क्षेत्रों में 12.9 लाख टन REO संसाधन चिन्हित किए गए हैं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा किए गए व्यापक अन्वेषण से 48.26 करोड़ टन रेयर अर्थ अयस्क संसाधनों की पहचान भी हुई है।

इसके बावजूद, भारत अभी भी REPM के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है। वर्ष 2022–23 से 2024–25 के बीच भारत ने 60% से 80% तक मूल्य के आधार पर और 85% से 90% तक मात्रा के आधार पर आयात चीन से किया। अनुमान है कि 2030 तक REPM की घरेलू मांग दोगुनी हो जाएगी।

योजना के प्रमुख घटक

  • देश में 6,000 MTPA की एकीकृत REPM विनिर्माण क्षमता का निर्माण।

  • वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से अधिकतम 5 लाभार्थियों का चयन, प्रत्येक को 1,200 MTPA तक की क्षमता।

  • ₹6,450 करोड़ की बिक्री-आधारित प्रोत्साहन राशि, जो 5 वर्षों में दी जाएगी।

  • ₹750 करोड़ की पूंजी सब्सिडी, जिससे अत्याधुनिक विनिर्माण इकाइयों की स्थापना को समर्थन मिलेगा।

  • कुल 7 वर्षों की कार्यान्वयन अवधि—2 वर्ष की स्थापना अवधि और 5 वर्ष का प्रोत्साहन चरण।

राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से तालमेल

यह योजना भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण, रक्षा आत्मनिर्भरता, और रणनीतिक विनिर्माण लक्ष्यों के अनुरूप है। REPM ऊर्जा-कुशल मोटरों और पवन ऊर्जा प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे यह पहल नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य को भी समर्थन देती है।

यह योजना नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (NCMM), MMDR अधिनियम संशोधन 2023, और अन्य खनन सुधारों के साथ मिलकर भारत की क्रिटिकल मिनरल वैल्यू चेन को मजबूत करती है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य और भारत का अवसर

वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ और मैग्नेट आपूर्ति शृंखलाओं में बार-बार व्यवधान देखने को मिले हैं। ऐसे में भारत ने ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, जाम्बिया, पेरू, जिम्बाब्वे, मोजाम्बिक सहित कई देशों के साथ सहयोग समझौते किए हैं।

इसके साथ ही खानिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) विदेशों में रणनीतिक खनिज परिसंपत्तियों के अधिग्रहण और अन्वेषण में सक्रिय भूमिका निभा रही है, जिससे भारत की दीर्घकालिक आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

निष्कर्ष

सिन्‍टर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट विनिर्माण योजना भारत की औद्योगिक क्षमता को मजबूत करने, आयात निर्भरता कम करने और उन्नत तकनीकी निवेश को आकर्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल रोजगार सृजन, स्वच्छ ऊर्जा अपनाने और आत्मनिर्भर भारत एवं विकसित भारत @2047 के विजन को साकार करने में अहम भूमिका निभाएगी।

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