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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ESTIC 2025 का किया शुभारंभ — विज्ञान, नवाचार और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदम

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नई दिल्ली-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित “उभरता विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन (Emerging Science, Technology and Innovation Conclave – ESTIC 2025)” का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने देश-विदेश से आए वैज्ञानिकों, नवप्रवर्तकों, शिक्षाविदों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों का स्वागत किया।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने सबसे पहले भारतीय महिला क्रिकेट टीम को आईसीसी महिला विश्व कप 2025 में ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह जीत न केवल खेल जगत की उपलब्धि है, बल्कि देश की बेटियों की शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा, “यह भारत का पहला महिला विश्व कप है — और यह सफलता आने वाली पीढ़ियों की लाखों बेटियों को प्रेरित करेगी।”

प्रधानमंत्री ने बताया कि कल भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी एक और उपलब्धि हासिल की — देश के सबसे भारी संचार उपग्रह का सफल प्रक्षेपण। उन्होंने इस मिशन से जुड़े सभी वैज्ञानिकों और इसरो को बधाई दी।

विज्ञान, नवाचार और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निर्णायक कदम

मोदी ने कहा कि 21वीं सदी परिवर्तन का युग है, और भारत इस बदलाव के केंद्र में है। उन्होंने कहा कि इस सदी में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक विशेषज्ञों का साथ आना अत्यंत आवश्यक है, और इसी विचार से ESTIC का जन्म हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि “भारत अब केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं, बल्कि तकनीक के माध्यम से परिवर्तन लाने वाला अग्रणी राष्ट्र बन चुका है।” उन्होंने याद दिलाया कि कोविड महामारी के समय भारत ने रिकॉर्ड समय में स्वदेशी वैक्सीन तैयार की और दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक चलाया।

₹1 लाख करोड़ का “अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) कोष” लॉन्च

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त करने के लिए ₹1 लाख करोड़ के “RDI स्कीम फंड” का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि यह कोष निजी क्षेत्र को अनुसंधान एवं विकास में निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा।

उन्होंने बताया कि पहली बार उच्च जोखिम और उच्च प्रभाव वाले शोध कार्यों के लिए पूंजी उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा, अनुसंधान राष्ट्रीय निधि (Anusandhan National Research Foundation) की स्थापना की गई है ताकि भारतीय विश्वविद्यालयों में अनुसंधान का विस्तार हो सके।

भारत बन रहा है नवाचार का वैश्विक केंद्र

प्रधानमंत्री ने बताया कि बीते एक दशक में भारत का R&D व्यय दोगुना, पेटेंट पंजीकरण 17 गुना और स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा बन गया है।

उन्होंने कहा कि आज भारत के पास 6,000 से अधिक डीप-टेक स्टार्टअप्स हैं, जो स्वच्छ ऊर्जा, जैव-अर्थव्यवस्था और उन्नत सामग्रियों पर कार्य कर रहे हैं। भारत की बायो-इकोनॉमी 2014 में $10 बिलियन से बढ़कर आज $140 बिलियन तक पहुंच चुकी है।

अंतरिक्ष से लेकर AI तक: भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब चाँद और मंगल तक पहुंच चुका है, और यह किसानों व मछुआरों के लिए भी लाभदायक सिद्ध हो रहा है।

उन्होंने बताया कि भारत अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में भी वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने घोषणा की कि भारत “Global AI Summit” फरवरी 2026 में आयोजित करेगा, जो “मानव-केंद्रित और नैतिक AI” के लिए अंतरराष्ट्रीय ढांचे को गति देगा।

उन्होंने कहा, “भारत का उद्देश्य है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समाज के हर वर्ग तक पहुंचे और विकास का माध्यम बने।”

विज्ञान और तकनीक में महिलाओं की भागीदारी नई ऊंचाइयों पर

प्रधानमंत्री ने बताया कि अब भारत में हर वर्ष 5,000 से अधिक पेटेंट महिलाओं द्वारा दाखिल किए जा रहे हैं, जबकि एक दशक पहले यह संख्या 100 से भी कम थी।

उन्होंने कहा कि STEM शिक्षा में भारत में 43% छात्राएं नामांकित हैं, जो विश्व औसत से अधिक है। यह नारीशक्ति की वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक है।

 युवा नवाचार के अग्रदूत

प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा बढ़ रही है, और इस दिशा में देशभर में 10,000 “अटल टिंकरिंग लैब्स” कार्यरत हैं। उन्होंने घोषणा की कि इनकी संख्या बढ़ाकर 25,000 की जाएगी ताकि और अधिक छात्र वैज्ञानिक प्रयोग कर सकें।

साथ ही उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में 10,000 नई “प्रधानमंत्री अनुसंधान फैलोशिप” दी जाएंगी ताकि युवा शोधकर्ताओं को प्रोत्साहन मिल सके।

आत्मनिर्भरता की दिशा में नए शोध लक्ष्य

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब भारत को खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की दिशा में बढ़ना होगा। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे जैव-संवर्धित फसलें, स्वच्छ ऊर्जा भंडारण तकनीक, जीनोमिक विविधता मैपिंग और किफायती बायो-फर्टिलाइज़र जैसे क्षेत्रों में नवाचार करें ताकि भारत आत्मनिर्भर और विश्व में अग्रणी बन सके।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जब विज्ञान का विस्तार होता है, नवाचार समावेशी बनता है, और तकनीक परिवर्तन को प्रेरित करती है — तब राष्ट्र महान उपलब्धियों की ओर बढ़ता है।”

उन्होंने सभी वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तकों का आह्वान किया कि वे मिलकर एक विज्ञान-संचालित विकसित भारत के निर्माण में योगदान दें और अपने संबोधन का समापन “जय विज्ञान, जय अनुसंधान” के नारे के साथ किया।

पृष्ठभूमि

ESTIC 2025 (3–5 नवम्बर 2025) के दौरान 3,000 से अधिक प्रतिभागी — जिनमें नोबेल पुरस्कार विजेता, वैज्ञानिक, उद्योग विशेषज्ञ और नीति निर्माता शामिल हैं — 11 प्रमुख विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे, जैसे कि क्वांटम टेक्नोलॉजी, ग्रीन एनर्जी, बायो-मैन्युफैक्चरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और स्पेस टेक्नोलॉजी।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद, नोबेल पुरस्कार विजेता सर आंद्रे गीम और अन्य विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

https://youtu.be/OaAhy7lw2Wg

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