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अंतरराष्ट्रीय जैवमंडल अभयारण्य दिवस 2025: प्रकृति और मानव के संतुलन का उत्सव

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विश्वभर में 3 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय जैवमंडल अभयारण्य दिवस (International Day for Biosphere Reserves) मनाया जाता है — यह दिन उन क्षेत्रों के सम्मान में समर्पित है जहाँ प्रकृति और मानव समुदाय सामंजस्यपूर्ण रूप से सह-अस्तित्व करते हैं। ये अभयारण्य न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक हैं, बल्कि सतत विकास और सामुदायिक कल्याण के प्रयोगात्मक प्रयोगशालाओं के रूप में कार्य करते हैं।

भारत, जैवमंडल अभयारण्यों के वैश्विक नेटवर्क का एक अग्रणी सदस्य होने के नाते, इस दिवस को गर्व के साथ मनाता है। यहाँ पहाड़ों से लेकर तटीय क्षेत्रों और द्वीपों तक फैले 18 जैवमंडल अभयारण्य (Biosphere Reserves) हैं, जिनमें से 13 यूनेस्को द्वारा विश्व जैवमंडल नेटवर्क (WNBR) में शामिल हैं। ये अभयारण्य भारत की जैव विविधता, पारिस्थितिकीय समृद्धि और स्थानीय समुदायों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

भारत का जैवमंडल अभयारण्य नेटवर्क

भारत के पास वर्तमान में 91,425 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले 18 जैवमंडल अभयारण्य हैं। यह कार्यक्रम पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अधीन एक केंद्रीय प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme) के रूप में संचालित होता है, जिसमें वित्तीय साझेदारी अनुपात 60:40 है, जबकि पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 रखा गया है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 में जैव विविधता संरक्षण का बजट ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ कर दिया गया है, जो सरकार की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

2025 में हिमाचल प्रदेश के “कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व” का यूनेस्को में शामिल होना भारत की बढ़ती वैश्विक संरक्षण भूमिका को और मज़बूती प्रदान करता है।

जैवमंडल अभयारण्य क्या हैं?

जैवमंडल अभयारण्य ऐसे संरक्षित क्षेत्र होते हैं जिन्हें राष्ट्रीय सरकारें नामित करती हैं ताकि:

  • जैव विविधता का संरक्षण किया जा सके,

  • और साथ ही स्थानीय समुदायों के लिए सतत आजीविका के अवसर प्रदान किए जा सकें।

इन्हें “सतत विकास के अध्ययन केंद्र” (Learning Places for Sustainable Development) कहा जाता है।
इनका उद्देश्य सामाजिक और पारिस्थितिकीय प्रणालियों के बीच संबंधों को समझना और उन्हें संतुलित करना है।

विश्वभर में 26 करोड़ से अधिक लोग जैवमंडल अभयारण्यों में रहते हैं, जो कुल मिलाकर 7 मिलियन वर्ग किमी क्षेत्र को कवर करते हैं — यह ऑस्ट्रेलिया के आकार के बराबर है।

यूनेस्को का “मैन एंड बायोस्फीयर (MAB)” कार्यक्रम

यूनेस्को का Man and Biosphere Programme (MAB) एक अंतरराष्ट्रीय पहल है, जो पृथ्वी के पारिस्थितिकीय संतुलन को समझने और मानव कल्याण के साथ सामंजस्य स्थापित करने पर केंद्रित है।
इसका उद्देश्य है —

  • जैवमंडल में हो रहे प्राकृतिक और मानवीय परिवर्तनों का अध्ययन,

  • जैव और सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण को बढ़ावा देना,

  • और सतत विकास के लिए वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करना।

यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय समन्वय परिषद (MAB-ICC) के अंतर्गत संचालित होता है, जिसमें 34 सदस्य देश शामिल हैं।

 भारत की पहल और उपलब्धियाँ

भारत का जैवमंडल अभयारण्य कार्यक्रम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरणीय नेतृत्व का उदाहरण है।
यह कार्यक्रम न केवल पारिस्थितिक संरक्षण को बढ़ावा देता है बल्कि स्थानीय समुदायों के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण पर भी केंद्रित है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • स्थानीय समुदायों को आजीविका के वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराना

  • बफर और ट्रांज़िशन जोनों में इको-विकास गतिविधियाँ

  • सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से जैव विविधता पर दबाव कम करना

भारत के जैवमंडल अभयारण्य, प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलिफेंट, ग्रीन इंडिया मिशन, और राष्ट्रीय जैव विविधता कार्ययोजना (NBAP) जैसी राष्ट्रीय पहलों के साथ मिलकर एक समग्र संरक्षण ढांचा तैयार करते हैं।

संरक्षण से जुड़ी प्रमुख राष्ट्रीय योजनाएँ

  • प्रोजेक्ट टाइगर (1973): बाघ संरक्षण की भारत की सबसे सफल पहल, जिसने बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

  • प्रोजेक्ट एलिफेंट: एशियाई हाथियों की सुरक्षा, उनके आवास का संरक्षण और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने पर केंद्रित।

  • ग्रीन इंडिया मिशन: जलवायु परिवर्तन से निपटने और वन आच्छादन बढ़ाने की दिशा में राष्ट्रीय अभियान।

  • इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ हैबिटैट्स (IDWH): राज्य सरकारों को तकनीकी व वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली योजना।

  • ईको सेंसिटिव जोन (ESZ): संरक्षित क्षेत्रों के आसपास बफर जोन बनाकर पारिस्थितिकी की सुरक्षा सुनिश्चित करना।

भारत की वैश्विक स्थिति और उपलब्धियाँ

  • भारत विश्व में 9वें स्थान पर है कुल वन क्षेत्र के आधार पर।

  • वार्षिक वन वृद्धि दर में भारत तीसरे स्थान पर है (FAO रिपोर्ट, 2025)।

  • सामुदायिक भागीदारी और वैज्ञानिक प्रबंधन ने भारत को जैव विविधता संरक्षण में अग्रणी बनाया है।

भारत के प्रयासों ने पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने, जलवायु लचीलापन मजबूत करने और जैव विविधता को संरक्षित करने में निर्णायक योगदान दिया है।

निष्कर्ष

  • भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय जैवमंडल अभयारण्य दिवस का उत्सव मनाना उसकी सतत विकास और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
  • भारत के जैवमंडल अभयारण्य यह सिद्ध करते हैं कि प्रकृति संरक्षण और सामुदायिक कल्याण साथ-साथ चल सकते हैं।
  • यूनेस्को के साथ साझेदारी और सरकार के सुदृढ़ प्रयासों से भारत न केवल जैव विविधता संरक्षण का वैश्विक नेता बना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सतत जीवन शैली (Sustainable Living) का मार्गदर्शन भी कर रहा है। 


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