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राष्ट्रीय सम्मेलन “जीवंत संविधान: लोकतंत्र, गरिमा और विकास के 75 वर्ष” का डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में भव्य समापन

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डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन (DAF), सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन “जीवंत संविधान: लोकतंत्र, गरिमा और विकास के 75 वर्ष” का आज डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (DAIC), नई दिल्ली में समापन हुआ। यह कार्यक्रम भारत में संविधान अपनाए जाने के 75 वर्षों (Samvidhan @75) के अवसर पर पूरे देश में आयोजित कार्यक्रमों का भव्य समापन था।

सम्मेलन की शुरुआत मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त), DAF सचिव, अतिरिक्त सचिव और मंत्रालय के वरिष्ठ नेताओं के उद्घाटन भाषणों से हुई। वक्ताओं ने संविधान को एक गतिशील दस्तावेज़ बताया, जो भारत के लोकतांत्रिक विकास, सामाजिक न्याय और विकासात्मक प्राथमिकताओं का मार्गदर्शन करता है।

उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) द्वारा क्यूरेट की गई विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें संविधान निर्माण काल के दुर्लभ दस्तावेज, तस्वीरें और अभिलेखीय सामग्री प्रदर्शित की गईं।

सम्मेलन में दो प्रमुख पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं:

पैनल चर्चा – I:

“जीवंत संविधान का क्रियान्वयन: 21वीं सदी में लोकतंत्र, गरिमा और विकास”
इस चर्चा में उच्च शिक्षा के उपकुलपतियों, कानून के प्रोफेसरों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने संवैधानिक व्याख्या, लोकतांत्रिक मजबूती, अधिकार ढांचा और तकनीकी एवं सामाजिक बदलावों की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।

पैनल चर्चा – II:

“सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के संवैधानिक मार्ग: समकालीन भारत में डॉ. अम्बेडकर के दृष्टिकोण का साकार होना”

इसमें सार्वजनिक कानून, सामाजिक नीति और डिजिटल गवर्नेंस के विशेषज्ञों ने संवैधानिक उपायों पर चर्चा की, जिनसे हाशिए के समुदायों को सशक्त बनाया जा सके, डिजिटल विभाजन को पाटा जा सके और Viksit Bharat 2047 की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकें।

सम्मेलन में 700 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. अम्बेडकर चेयर प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉक्टोरल फेलो और दिल्ली के विभिन्न कॉलेजों के अंतिम वर्ष के छात्र शामिल थे। उनके सक्रिय योगदान ने विचार-विमर्श को और गहराई और जीवंतता प्रदान की।

सम्मेलन के मुख्य आकर्षणों में से एक थी प्रो. जेम्स स्टीफन मेका, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर चेयर प्रोफेसर, आंध्र विश्वविद्यालय द्वारा लिखित पुस्तक “One India through Digital India” का विमोचन। इसे मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) द्वारा जारी किया गया, जिन्होंने डिजिटल सशक्तिकरण को सामाजिक-आर्थिक विभाजन को पाटने के संवैधानिक उपकरण के रूप में महत्व दिया।

समापन सत्र में, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री ने “सभी पोर्टलों के एकीकरण का पहला चरण (Consolidation of All Portals of DoSJE)” लॉन्च किया। यह पहल मंत्रालय के विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों को एकीकृत करके पारदर्शिता, डेटा समेकन और सेवा वितरण में सुधार लाएगी।

सम्मेलन ने संविधान मूल्यों की रक्षा और लोकतंत्र, गरिमा और विकास को भारत के भविष्य के मार्गदर्शक के रूप में बनाए रखने के प्रति एक नई राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि की। यह आयोजन डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की स्थायी विरासत को सम्मानित करने और संविधान को भारत की अगली सदी का मार्गदर्शक बल मानने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।

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