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राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण ने रेड सैंडर्स किसानों और आंध्र विश्वविद्यालय को ₹3 करोड़ की एबीएस राशि वितरित की

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भारत की जैव विविधता संसाधनों के सतत उपयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (National Biodiversity Authority - NBA) ने आंध्र प्रदेश के 198 किसानों और रेड सैंडर्स (लाल चंदन) की खेती करने वालों सहित कुल 199 लाभार्थियों को ₹3.00 करोड़ की राशि वितरित की है। लाभार्थियों में एक शैक्षणिक संस्था — आंध्र विश्वविद्यालय — भी शामिल है। यह वितरण आंध्र प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के माध्यम से किया गया है और यह जैव विविधता अधिनियम के तहत एक्सेस एंड बेनिफिट-शेयरिंग (Access and Benefit Sharing – ABS) तंत्र का हिस्सा है।

यह पहल, जैव विविधता संरक्षण में समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एनबीए द्वारा किए गए लाभ-साझाकरण उपायों की श्रृंखला का हिस्सा है। इससे पहले, एनबीए ने आंध्र प्रदेश वन विभाग, कर्नाटक वन विभाग और आंध्र प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड को रेड सैंडर्स के संरक्षण के लिए ₹48.00 करोड़ तथा तमिलनाडु के किसानों को ₹55.00 लाख जारी किए थे।

वर्तमान वितरण के तहत, प्रत्येक किसान को ₹33,000 से लेकर ₹22.00 लाख तक की राशि प्राप्त होगी, जो इस बात पर निर्भर करेगी कि उन्होंने उपयोगकर्ताओं को कितनी मात्रा में रेड सैंडर्स की लकड़ी आपूर्ति की है। यह भी उल्लेखनीय है कि किसानों को उनकी लकड़ी की बिक्री कीमत की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त हुआ है।

लाभार्थी आंध्र प्रदेश के चार जिलों — चित्तूर, नेल्लोर, तिरुपति और कडप्पा — के 48 गांवों से हैं, जो इस मूल्यवान स्थानीय प्रजाति की खेती और संरक्षण में संलग्न ग्रामीण समुदायों की व्यापक भागीदारी को दर्शाता है।

इस पहल की शुरुआत एनबीए द्वारा 2015 में गठित रेड सैंडर्स पर विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों से हुई थी। समिति ने “रेड सैंडर्स के उपयोग से उत्पन्न संरक्षण, सतत उपयोग और निष्पक्ष एवं समान लाभ-साझाकरण के लिए नीति” शीर्षक से एक व्यापक नीति तैयार की थी। समिति के कार्य का एक महत्वपूर्ण परिणाम 2019 में विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा की गई नीति शिथिलता थी, जिसके तहत खेती से प्राप्त रेड सैंडर्स के निर्यात की अनुमति दी गई — यह वैध और सतत व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम था।

यह पहल इस बात का प्रमाण है कि किस प्रकार ABS जैसे नीतिगत उपकरण जैव विविधता संरक्षण को एक व्यवहार्य आजीविका विकल्प बना सकते हैं। यह लाभ-साझाकरण पहल जैव विविधता संरक्षण को आजीविका सुधार से जोड़ने, सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने और जैव विविधता के संरक्षकों को उनका उचित अधिकार सुनिश्चित करने के लिए एनबीए की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करती है। यह भारत के सबसे मूल्यवान और प्रतीकात्मक वृक्ष — रेड सैंडर्स — के दीर्घकालिक संरक्षण और निष्पक्ष लाभ-साझाकरण के प्रयासों में एक और मील का पत्थर है।

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