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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने IIT गुवाहाटी में NEST क्लस्टर का शुभारंभ किया, असम में ₹635 करोड़ की परियोजनाओं की आधारशिला रखी

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केंद्रीय संचार तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी में “नॉर्थ ईस्टर्न साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NEST) क्लस्टर” का शुभारंभ किया और असम में ₹635 करोड़ की कई परिवर्तनकारी विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी।

यह आयोजन असम सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों तथा वैज्ञानिक और उद्यमी समुदाय की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।

असम में ₹635 करोड़ की विकास परियोजनाओं की आधारशिला

सिंधिया ने कहा कि “असम उभरते हुए उत्तर-पूर्व का धड़कता दिल है, जहाँ ब्रह्मपुत्र नदी निरंतरता, साहस और सृजनशीलता का प्रतीक है।” उन्होंने कहा कि असम अब भारत के पूर्वोत्तर पुनर्जागरण का द्वार होने के साथ-साथ नवाचार और संपर्कता का केंद्र बन रहा है।

इन परियोजनाओं में प्रमुख हैं:

  • 65 नए माध्यमिक विद्यालय भवनों का निर्माण – ₹455 करोड़

  • चायगांव–उकियुम सड़क का उन्नयन – ₹102.69 करोड़

  • सिलोंजन–धनसिरी पर घाट पर RCC पुल का निर्माण – ₹20.59 करोड़

  • रामफलबिल (कोकराझार) में औद्योगिक एस्टेट का विकास – ₹14.40 करोड़

  • लखीबाजार (बक्सा) में औद्योगिक एस्टेट का विकास – ₹18.40 करोड़

उन्होंने कहा, “हर ईंट जो रखी जा रही है, हर कक्षा जो बन रही है — यह आकांक्षाओं की पूर्ति के प्रति एक वादा है।”

IIT गुवाहाटी में “NEST क्लस्टर” — पूर्वोत्तर का नवाचार केंद्र

₹22.98 करोड़ की लागत से स्थापित NEST क्लस्टर पूर्वोत्तर भारत के नवाचार तंत्र का केंद्रीय केंद्र बनेगा। यह चार प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित होगा —

  1. ग्रासरूट इनोवेशन (स्थानीय नवाचार)

  2. सेमीकंडक्टर एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)

  3. बाँस आधारित प्रौद्योगिकियाँ

  4. बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक

यह क्लस्टर, DoNER मंत्रालय की युवा-केंद्रित पहलों जैसे NE-SPARKS और अष्टलक्ष्मी दर्शन के पूरक के रूप में कार्य करेगा, जिसके तहत देशभर के 3,200 छात्र पूर्वोत्तर का दौरा करेंगे, जबकि 800 पूर्वोत्तर छात्र ISRO जैसी वैज्ञानिक संस्थाओं में शैक्षणिक भ्रमण करेंगे।

अनुसंधान और नवाचार की नई दिशा

IIT गुवाहाटी के प्रदर्शनी क्षेत्र का दौरा करते हुए मंत्री ने छात्रों और शोधकर्ताओं से बातचीत की, जिन्होंने 6G संचार, बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर, बाँस ऊतक संवर्धन और कम लागत वाले MRI सिस्टम जैसी परियोजनाएँ प्रस्तुत कीं।

उन्होंने बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर परियोजना की प्रशंसा करते हुए कहा —
“यदि आप इसे आगे बढ़ा लेते हैं, तो यही भविष्य होगा।”

कार्यक्रम में कामरूप जिले की 30 ग्रामीण महिलाओं को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने इंडस्ट्री 4.0 तकनीकों के माध्यम से पर्यावरण-अनुकूल खिलौने बनाने का प्रशिक्षण पूरा किया है।

असम में मोदी युग का परिवर्तन

सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में उत्तर-पूर्व का कायाकल्प हुआ है —
“लैंडलॉक्ड से लैंड-लिंक्ड” बनकर यह क्षेत्र अब भारत के विकास का अग्रदूत बन चुका है।

उन्होंने बताया कि 10% ग्रॉस बजटरी सपोर्ट नीति के माध्यम से क्षेत्र में ₹6.2 लाख करोड़ से अधिक का निवेश किया गया है, जिससे विकास, उद्यमिता और सशक्तिकरण को बल मिला है।

उन्होंने बोगीबील ब्रिज, भूपेन हजारिका सेतु, सेला टनल और जोगीघोपा मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क जैसी परियोजनाओं का उल्लेख किया, जिन्होंने असम की कनेक्टिविटी को नई दिशा दी है।

विकसित पूर्वोत्तर, विकसित भारत

मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर अब भारत का “पूर्वी द्वार” बन चुका है।
उन्होंने असम के लोकाचार — “Xobhe xokolore loi thoka xomaj” (सबको साथ लेकर चलने वाला समाज) — की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज शुरू की गई हर परियोजना उस भावना को और मजबूत करती है।

माँ कामाख्या के आशीर्वाद का स्मरण करते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि असम शिक्षा, नवाचार और उद्यमिता के बल पर विकसित भारत @2047 की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

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