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डॉ. अभिलक्ष लिंखी ने फतेहगढ़ साहिब, पंजाब में मछली पालन और आधुनिक मत्स्य परियोजनाओं का किया अवलोकन

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आज केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिंखी ने पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले का दौरा किया और मछली किसानों एवं मत्स्य उद्यमियों से Recirculatory Aquaculture Systems (RAS) और झींगा पालन से जुड़ी समस्याओं और चुनौतियों पर चर्चा की।

डालुतपुर गांव, बसी पठाना में आधुनिक RAS सुविधाओं का दौरा करते हुए, डॉ. लिंखी ने प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के अंतर्गत चल रही मत्स्य परियोजनाओं और गतिविधियों की समीक्षा की। उन्हें स्थानीय किसानों द्वारा अपनाई गई नवीनतम प्रथाओं के बारे में जानकारी दी गई, जिनकी मदद से बंजर भूमि को उत्पादक मत्स्य पालन केंद्र में बदलकर रोजगार और आजीविका के अवसर उत्पन्न किए गए हैं। इस बातचीत में लगभग 35–40 प्रगतिशील मछली किसान शामिल हुए और अपने अनुभव एवं सुझाव साझा किए।

डॉ. लिंखी ने प्रौद्योगिकी-संचालित मछली पालन, किसानों की क्षमता निर्माण और विविध प्रजातियों के पालन के महत्व पर जोर दिया ताकि आय में वृद्धि हो और ग्रामीण आजीविका सुदृढ़ हो। उन्होंने यह भी दोहराया कि सरकार प्रधान मत्स्य योजनाओं के तहत आधुनिक मत्स्य पालन प्रथाओं को बुनियादी ढांचा, नवाचार और क्षमता संवर्धन के माध्यम से समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है।

 इस दौरे ने यह भी रेखांकित किया कि सरकार पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में खारी जल मत्स्य पालन को प्राथमिकता दे रही है। ये क्षेत्र, जो अक्सर कृषि क्षेत्रों से खारी जल के प्रभाव से प्रभावित होते हैं, मत्स्य पालन के माध्यम से भूमि उपयोग अनुकूलन के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करते हैं।

पृष्ठभूमि –

भारत के अंतर्देशीय जल संसाधनों की संभावना विशाल और अधिकांशतः अछूती है। देश में 1.95 लाख किलोमीटर नदियाँ और नहरें, 6.06 लाख हेक्टेयर खारी जल क्षेत्र, 3.65 लाख हेक्टेयर तालाब और ओक्सबो झीलें, 27.56 लाख हेक्टेयर टैंक और तालाब तथा 31.53 लाख हेक्टेयर जलाशय हैं। इससे सतत अंतर्देशीय मत्स्य विकास की अपार संभावनाएँ हैं।

भारत की अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन राष्ट्रीय मत्स्य उत्पादन का 75% योगदान देता है। 2024–25 में अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन 139.07 लाख मीट्रिक टन रहा। 2013–14 से 2024–25 के बीच अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में 142% वृद्धि हुई, जो 61 लाख टन से बढ़कर 147.37 लाख टन हो गया। इस विस्तार ने भारत के कुल राष्ट्रीय मत्स्य उत्पादन को 195 लाख टन तक बढ़ा दिया।

प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत भारत में ₹3,300 करोड़ का निवेश किया गया है, जिससे 12,000 RAS यूनिट्स, 4,000 बायोफ्लॉक सिस्टम्स, 59,000 पिंजरे और 561 हेक्टेयर पेन बनाए गए हैं। इससे राष्ट्रीय औसत मत्स्य पालन उत्पादकता 4.77 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गई है।

पंजाब में प्रगति:

PMMSY के तहत पंजाब में ₹187 करोड़ का निवेश हुआ, जिसमें केंद्र का हिस्सा ₹72 करोड़ है। राज्य का मत्स्य उत्पादन लक्ष्य 2.21 लाख टन है, जबकि 2023–24 में वास्तविक उत्पादन 1.84 लाख टन रहा। आधुनिक मत्स्य पालन प्रथाओं के माध्यम से पिछले पांच वर्षों में किसानों की आय में लगभग ₹500 करोड़ की वृद्धि हुई और 2020–21 से मत्स्य उत्पादन में 35,000 टन की बढ़ोतरी हुई।

खारी जल मत्स्य पालन:

हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में 2024–25 के लिए 263.80 हेक्टेयर क्षेत्र में खारी जल मत्स्य पालन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जिसमें ₹36.93 करोड़ का बजट आवंटित किया गया, जो प्रारंभिक लक्ष्य 200 हेक्टेयर से अधिक है। मुक्तसर साहिब (पंजाब) और सिरसा (हरियाणा) में खारी जल मत्स्य पालन क्लस्टर की स्वीकृति और अधिसूचना महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं। इसके अलावा, हरियाणा के सिरसा, पंजाब के मुक्तसर और राजस्थान के चूरू जिलों में खारी जल क्लस्टर के विकास के लिए अधिसूचना जारी की गई है।

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