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मां- बेटियों की 'जलती चिता' पर सेंक रहे 'राजनीतिक रोटी' !


महासमुन्द नगर से लगे बेमचा गांव में एक परिवार की पांच बेटियों और उसकी मां ने ट्रेन से कटकर गत दिनों आत्महत्या कर ली। हृदय विदारक इस घटना ने सबको चिंतित कर दिया है। मानवता को झकझोर कर रख देने वाली इस घटना पर शोक संवेदना प्रकट करने होड़ सी मच गई है। पक्ष-विपक्ष के नेता, समाजसेवी पीड़ित परिवार से मिलकर ढांढस बंधा रहे हैं।





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आत्महत्या के लिए अनेक कारण दिन प्रतिदिन सामने आ रहे हैं। जो भी हुआ है, वह मानव समाज को झकझोर कर रख दिया है। बहुत ही भयंकर और दुःखद घटना है। जिससे हमारे तथाकथित सभ्य समाज को सबक लेने की आवश्यकता है। भविष्य में इस तरह की घटना की पुरावृत्ति ना होने पाए, इसके लिए इस घटना की दंडाधिकारी जांच कराकर मामले के रहस्य पर से पर्दा उठाए जाने की जरूरत है। ऐसा कहना है छत्तीसगढ़ नागरिक मंच महासमुन्द के संयोजक पंकज साहू का।





क्या हुआ कांग्रेस का वादा





'मीडिया' को जारी बयान में उन्होंने कहा है कि कुछ लोग इस घटना पर राजनीति कर रहे हैं। और जांच को प्रभावित कर रहे हैं। यह वही गांव है, जहाँ वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में आमसभा कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिया था। और आम जन समुदाय को संबोधित करते हुए ऐलान किया था कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो "किसानों का कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ और शराब की दुकानें साफ" अर्थात पूर्ण शराबबंदी की घोषणा की थी।





आत्महत्या या हत्या, जांच जरूरी





कथित तौर पर सामूहिक आत्महत्या के प्रकरण में अनेक लोग ज्ञापन सौंप कर दोषियों के विरुध्द कार्यवाही करने की मांग कर रहे हैं। ऐसा करते हुए अखबारों में इसकी खबर छपवा रहे हैं। उनसे एक सवाल है कि वे किन दोषियों पर और क्या कार्यवाही चाहते हैं ? कुछ दिनों पूर्व इसी ग्राम में विपक्ष की भूमिका में भाजपा दल के नेता, पूर्व विधायकों और पदाधिकारियों की जांच समिति ने पहुंचकर इसमें राजनीति करने का प्रयास किया। इसे शराब जनित घटना से जोड़ने का कृत्य किया। जिसका ग्रामवासियों ने जमकर नारेबाजी करते हुए विरोध किया। नतीजा जांच दल के जिले के प्रमुखों में आपस में ही विवाद हुआ। इस मामले में उन्होंने विपक्ष का धर्म तो निभाया। पर इन विपक्ष दल के इन प्रतिनिधियों को इतना बड़ा मुद्दा नजर नहीं आया। जो कि बेमचा ग्राम से लगा हुआ है। परसवानी से बिरकोनी तक 50 करोड़ के गर्म रेत पर्यावरण का चीरहरण का प्रत्यक्ष उदाहरण है। जो कि मीडिया ने प्रमुखता से उठाया है। उस पर ये जांच दल क्यों नही गए? अथवा जिला की भाजपा इसके लिए कब जांच समिति बनाएगी?





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मां- बेटियों की जलती चिता पर सेंक रहे राजनीतिक रोटी?





जिले में रेत के वैध-अवैध कारोबार में सत्ता की साठगांठ पर भाजपाइयों को जवाब देना चाहिए। अथवा यह माना जाएगा कि पक्ष और विपक्ष का गठबंधन है। जिसके लिए " ये रिश्ता क्या कहलाता है" का उदाहरण जनता दे रही है। यह माना जा रहा है कि महज औपचारिकता निभाई जा रही है। और मां-बेटियों की जलती चिता पर विपक्ष केवल राजनीतिक रोटी सेंकने का प्रयास कर रही है।


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