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डॉ. खूबचंद बघेल की पुण्यतिथि आज, CM और राज्यपाल सहित विस अध्यक्ष ने किया नमन


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नदृष्टा, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कृषक नेता स्वर्गीय डॉ. खूबचंद बघेल को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सादर नमन किया है।






https://twitter.com/bhupeshbaghel/status/1363691226097020931




मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा है कि डॉ. खूबचंद बघेल ने अपना पूरा जीवन समाज और किसानों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। कई रचनात्मक और किसान तथा मजदूर हितैषी गतिविधियों से जुड़कर जीवन के अंतिम समय तक वे छत्तीसगढ़ की सेवा करते रहे। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।






https://twitter.com/bhupeshbaghel/status/1363691232208162821




CM बघेल ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय चेतना जागृत करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने विधायक और राज्यसभा सांसद के रूप में भी क्षेत्र की उल्लेखनीय सेवा की। उन्हीं के सपनों के अनुरूप हम नवा-छत्तीसगढ़ का निर्माण कर रहे हैं। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए चिकित्सा क्षेत्र में डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना शुरु की गई है, जिसके तहत 5 लाख रुपए तक नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था मरीजों के लिए उपलब्ध कराई जा रही है।





राज्यपाल ने भी किया नमन





राज्यपाल अनुसुइया उइके ने डॉ. खूबचंद बघेल को नमन करते हुए कहा कि डॉ. बघेल छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के स्वप्नदृष्टा थे। उन्होंने सदैव किसानों और गरीबों के कल्याण का कार्य किया। वे छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए उनके योगदान एवं समाज कल्याण के कार्यों के लिए सदैव याद किए जाएंगे।





विस अध्यक्ष ने भी किया नमन





छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने छत्तीसगढ़ के स्वप्न दृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल की पुण्यतिथि पर याद करते हुए नमन किया। विस अध्यक्ष डॉ महंत ने कहा यह वही व्यक्ति है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे पहले सपना देखा था, इन्ही के अनेकों प्रयास के बदौलत छत्तीसगढ़ ना सिर्फ हमारे देश में एक पहचान मिली बल्कि विदेशों में भी छत्तीसगढ़ का नाम हुआ।





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छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वप्न दृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल हमेशा से छत्तीसगढ़ के विकास और छत्तीसगढ़ को एक अलग पहचान दिलाने के लिए कार्य किया, वे हमेशा छत्तीसगढ़ के दब्बूपन को दूर करने के लिए अनेक प्रयास किये, वे हमेशा यही चाहते थे की छत्तीसगढ़ को लोग क्यों ऐसे हीन भावना से देखते है, हमेशा इससे सौतेला व्यवहार क्यों करते हैं बस इन्ही बातों की चिंता उन्हें सताते रहती थी। जातिगत भेदभाव, कुरीतियों को मिटाने वाले इस महान व्यक्ति का निधन संसद के शीतकालीन सत्र के लिए भाग लेने दिल्ली गए हुए थे वहाँ दिल का दौरा पड़ने से उनकी आकस्मिक निधन हुआ।





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उन्होंने सन 1931 में सरकारी पद त्याग कर कांग्रेस में प्रवेश किया। इसके पूर्व इसके पूर्व प्रवेश किया। इसके पूर्व इसके पूर्व अप्रैल 1930 में रायपुर महाकौशल राजनीतिक परिषद के अधिवेशन में डॉक्टर बघेल ने भी हिस्सा लिया था, सन 1931 में डॉक्टर बघेल रायपुर जिला के डिक्टेटर और बाद में राज्य के आठवें डिक्टेटर नियुक्त हुए। जिला डिक्टेटर के पद पर रहते हुए डॉक्टर बघेल सामाजिक सुधार के प्रति भी जागरूक रहें। सन 1939 के त्रिपुरी के ऐतिहासिक कांग्रेस अधिवेशन में स्वयंसेवकों के कमांडर के रूप में कार्य किया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के तहत इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।





उनकी धर्मपत्नी 6 माह के लिए जेल गई





डॉक्टर बघेल के साथ उनकी धर्मपत्नी राजकुंवर देवी भी 6 माह के लिए जेल गई। रायपुर तहसील से 1946 के कांग्रेस चुनाव में डॉक्टर बघेल निर्विरोध चुने गए। इस तरह सन 1946 में डॉक्टर बघेल को तहसील कार्यालय कार्यकारिणी के अध्यक्ष और प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया। स्वतंत्रता के बाद उन्हें प्रांतीय शासन ने संसदीय सचिव नियुक्त किया।





राजनीति से 1968 तक जुड़े रहे डॉक्टर बघेल





1950 में आचार्य कृपलानी के आह्वान पर वे कृषक मजदूर पार्टी में शामिल हुए। 1951 के बाद आम चुनाव में वे विधानसभा के लिए पार्टी से निर्वाचित हुए। 1965 तक विधानसभा के सदस्य रहे। 1965 में राज्यसभा के लिए चुने गए राजनीति से 1968 तक जुड़े रहे।


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