महासमुंद। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त करना कोई अपराध नहीं। यह हर जिम्मेदार नागरिक का कानूनी हक है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करने के लिए अब झूठा मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। इसमें पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध है। पूर्वाग्रह से ग्रसित पुलिस अफसर जानबूझकर रिपोर्ट दर्ज कराए हैं। यह एफआईआर दोषपूर्ण है। उक्त बातें पत्रकारवार्ता में किसान मजदूर संघ के संयोजक ललित चंद्रनाहू (FIR Against Lalit Chandra) ने कही। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि उनके खिलाफ त्रिमूर्ति कालोनी निवासी एक शासकीय सेवक अजय विश्वास ने पुलिस थाना में गलत ढंग से रिपोर्ट दर्ज करवाया है। जिसमें 25 सालों से मानसिक रूप से प्रताड़ित कर ब्लेकमेलिंग करने और रुपये वसूलने का मिथ्या आरोप लगाया है। पुलिस ने बिना जांच किए ही मनगढ़ंत शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर लिया।
नए स्ट्रेन की जांच जरूरी : 4 दिन बाद आ सकती है रिपोर्ट
एफआईआर (FIR Against Lalit Chandra) में विलंब से रिपोर्ट दर्ज कराने का कारण बताना पड़ता है, वह कालम रिक्त है। चंद्रनाहू ने कहा कि थोड़ी देर के लिए यदि मिथ्या शिकायत पर विश्वास कर भी लिया जाए तो 25 सालों तक कथित तौर पर ब्लैकमेल होने के बावजूद उन्होंने पहले क्यों रिपोर्ट दर्ज नहीं कराया। इसका कारण दर्शाया जाना था, जो नही है। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता विश्वास द्वारा त्रिमूर्ति कॉलोनी महासमुन्द में सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर कब्जा कर बोरवेल्स खुदवाया गया है। जिसकी शिकायत चंद्रनाहू ने की है। इसी तरह जिला शिक्षा कार्यालय में शिक्षा अधिकारी का फर्जी हस्ताक्षर करके एक कर्मचारी का ट्रांसफर कर दिया था। जिसे बाद में जिला शिक्षा अधिकारी ने निरस्त किया। इसकी भी शिकायत की गई है। इस मामले की जांच जारी है। इस वजह से व्यक्तिगत द्वेश रखकर एफआईआर दर्ज करवाया है।

रुपये उगाही करने का अनर्गल आरोप है। शिकायत में रुपये मांगने की तिथि और समय का उल्लेख करना था, जो नही किया गया। इसी तरह किसान मजदूर संघ को फर्जी लेटरहेड का उपयोग किया जाना बताया गया है। इस संगठन के लेटरहेड से उच्च न्यायालय व सीएम कार्यालय से पत्र व्यवहार होते रहा है। तब यह फर्जी लेटर हेड कैसे हो गया? श्री चंद्रनाहू ने बताया कि बिना किसी प्रभावशाली व्यक्ति से मदद लिए बगैर आम नागरिक भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ सकते हैं। आरटीआई से यह संभव है। लेकिन, इस महत्वपूर्ण कानून को धत्ता बताया जा रहा है।
आरटीआई कार्यकर्ता के खिलाफ एफआईआर बिना जांच के दर्ज करना उन्हें हतोत्साहित करना है। पुलिस अफसरों के खिलाफ भी उन्होंने अनेक जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी है। जिससे दुर्भावनावश आनन-फानन में एफआईआर दर्ज करना प्रतीत होता है।
उन्होंने बताया कि 1970 से वे समाज सेवा में सक्रिय हैं। भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे हैं। इस दौरान कई बार भाजपा व कांग्रेस प्रवेश का प्रस्ताव भी आया। यदि धन अर्जित करना, राजनीति करना ध्येय होता तो वे किसी राजनीति पार्टी से जुड़कर लाभ का पद प्राप्त कर लेते। किंतु उन्होंने जनसेवा का रास्ता चुना। उन्होंने बताया कि आज तक जितने भी चुनाव प्रचार में भाग लिए हैं। किसी भी प्रत्याशी से एक रुपए भी नही लिया। और अपने स्वयं के व्यय से प्रचार कार्य करते रहे। सूचना के अधिकार में बड़े-बड़े भ्रष्टाचार उजागर कर शासन को लाभ पहुंचाने का काम किया है।
झूठी शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने की जानकारी पुलिस अधीक्षक महासमुन्द को 5 जनवरी 2021 को दी गई है। जिसमें उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है। इस संबंध में वस्तुस्थिति की जानकारी प्रेस क्लब महासमुन्द में आयोजित प्रेसवार्ता में दी गई। प्रेसवार्ता में पूर्व पार्षद पंकज साहू, किसान मजदूर संघ संयोजक ललित चन्द्रनाहू, सेवानिवृत्त सीईओ देवेंद्र दुबे, नपा महासमुन्द के पूर्व उपाध्यक्ष हरबंश सिंह ढिल्लो, सहकारी कार्यकर्ता प्रेम चन्द्राकर आदि उपस्थित थे।