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टीबी मुक्त भारत अभियान: उन्मूलन की दिशा में सशक्त पहल

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टीबी मुक्त भारत अभियान (राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम) पूरे देश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत लागू किया जा रहा है।

टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत, अनिर्धारित टीबी मामलों की पहचान करने, टीबी से होने वाली मौतों को कम करने और नए संक्रमणों को रोकने के लिए एक नए दृष्टिकोण को लागू किया गया है। इसमें संवेदनशील आबादी की पहचान, छाती का एक्स-रे द्वारा स्क्रीनिंग, सभी संभावित टीबी मामलों के लिए शुरुआती न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (NAAT), त्वरित और उचित उपचार आरंभ करना, उच्च-जोखिम वाले टीबी मामलों के प्रबंधन के लिए विभेदित टीबी देखभाल, पोषण सहायता तथा घर के संपर्कों और पात्र संवेदनशील आबादी को निवारक उपचार शामिल है। निक्षय पोर्टल का उपयोग पूरे देश में सभी टीबी रोगियों का विवरण दर्ज करने के लिए किया जाता है।

समुदाय की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAM) द्वारा प्रदान की जाने वाली समग्र प्राथमिक देखभाल सेवाओं के माध्यम से किया जाता है। जनसामान्य को शिक्षित करने और लक्षणों, टीबी की रोकथाम तथा समय पर उपचार के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए गहन सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियाँ संचालित की जाती हैं। जनभागीदारी गतिविधियाँ विद्यालयों, पंचायती राज संस्थानों, स्वयं सहायता समूहों, आंगनवाड़ी केंद्रों, स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों और सिविल सोसायटी संगठनों की भागीदारी से लागू की जाती हैं।

पोषण सहायता के लिए, 1 नवंबर 2024 से सरकार ने निक्षय पोषण योजना (NPY) के तहत टीबी रोगियों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 500 रुपये से 1,000 रुपये प्रति माह प्रति रोगी कर दिया है, जो संपूर्ण उपचार अवधि के लिए लागू होगा।

निक्षय पोषण योजना के तहत, अप्रैल 2018 से अब तक 4,322 करोड़ रुपये 1.35 करोड़ टीबी रोगियों को वितरित किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, निक्षय मित्र पहल के तहत, सितंबर 2022 से अब तक 20.3 लाख टीबी रोगियों को कुल 45.66 लाख फूड बास्केट वितरित की गई हैं।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, अनुप्रिया पटेल ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।


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