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पेंशन अदालत में लंबित मामलों का त्वरित समाधान, पेंशनभोगियों को मिली बड़ी राहत

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नई दिल्ली- पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनरों को त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत 24 दिसंबर 2025 को आयोजित पेंशन अदालत में कुल 30 मंत्रालयों/विभागों से जुड़े 1087 दीर्घकालिक पेंशन संबंधी मामलों पर सुनवाई की गई। इनमें से 815 शिकायतों का मौके पर ही समाधान कर दिया गया, जिससे इस व्यवस्था की प्रभावशीलता और संवेदनशीलता स्पष्ट होती है।

इस पेंशन अदालत में रक्षा, गृह, वित्त, डाक, आवासन एवं शहरी कार्य, नागरिक उड्डयन सहित विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित मामलों को शामिल किया गया। कई मामलों में वर्षों से लंबित पेंशन और बकाया राशि का निपटारा हुआ, जिससे पेंशनभोगियों को बड़ी राहत मिली।

कुछ प्रेरक और भावनात्मक समाधान उदाहरण

सत्यम मिश्रा (प्रयागराज)

114 दिनों से लंबित असाधारण पेंशन (Extra Ordinary Pension) का मामला जुलाई 2024 से अटका हुआ था। पेंशन अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी बात रखने के बाद बीएसएफ अधिकारियों ने जानकारी दी कि ₹5,73,728 की बकाया राशि (एक्स-ग्रेशिया सहित) का भुगतान कर दिया गया है और 1 दिसंबर 2025 से पेंशन प्रारंभ कर दी जाएगी।

दलजीत सिंह (रेवाड़ी, हरियाणा)

150 दिनों से अधिक समय से कम्यूटेशन राशि के भुगतान का मामला लंबित था। रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत PCDA(P), प्रयागराज ने बताया कि ₹12,02,656 की कम्यूटेशन राशि 10 नवंबर 2025 को उनके खाते में जमा कर दी गई है।

नसीम अख्तर (श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर)

अगस्त 2020 से पारिवारिक पेंशन का मामला लंबित था। पेंशन अदालत में जानकारी दी गई कि 24 दिसंबर 2025 को प्राधिकरण जारी कर दिया गया है और समस्त बकाया राशि शीघ्र भुगतान की जाएगी।

 कंचन बाला (ऊना, हिमाचल प्रदेश)

जनवरी 2021 से अविवाहित पुत्री को पारिवारिक पेंशन न मिलने का मामला। बीएसएफ अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि 10 दिनों के भीतर मामला निपटाया जाएगा।

मुक्ता चक्रवर्ती (गुवाहाटी, असम)

अक्टूबर 2020 से लंबित पारिवारिक पेंशन मामले में PAO-CBDT और CPAO को 10 दिनों के भीतर समीक्षा कर शीघ्र समाधान के निर्देश दिए गए।

मानिका दास (दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल)

229 दिनों से लंबित पारिवारिक पेंशन बकाया का मामला। अधिकारियों ने बताया कि ₹18 लाख की बकाया राशि शीघ्र जमा की जाएगी और 31 दिसंबर 2025 से नियमित पेंशन प्रारंभ होगी।

संवेदनशील प्रशासन की मिसाल

पेंशन अदालत ने यह सिद्ध कर दिया कि संवाद, तकनीक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति के माध्यम से वर्षों से अटके मामलों का समाधान संभव है। यह पहल न केवल पेंशनभोगियों के लिए राहत का माध्यम बनी, बल्कि सरकार की ‘Ease of Living’ की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करती है।

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