Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

बिहार में सहकार से समृद्धि: पैक्स सशक्तिकरण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती

Document Thumbnail

सरकार ने सहकारी समितियों को सशक्त बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए देशभर में, विशेषकर बिहार में, अनेक कदम उठाए हैं। किसानों को ऋण, भंडारण और विपणन की सुविधाएं सुगम बनाने के उद्देश्य से 2 लाख नई बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (एम-पैक्स), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित करने की योजना को स्वीकृति दी गई है। 15 नवंबर 2025 तक बिहार में 4,518 नई सहकारी समितियों का गठन हो चुका है।

बिहार, केंद्र प्रायोजित पैक्स कंप्यूटरीकरण परियोजना में भी सक्रिय भागीदारी कर रहा है। राज्य की 4,495 पैक्स में से 4,460 पैक्स को ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर से जोड़ा जा चुका है, जिससे कार्यकुशलता, पारदर्शिता और जिला एवं राज्य सहकारी बैंकों के साथ समन्वय में सुधार हुआ है। पैक्स के लिए मॉडल उपविधियों को अपनाया गया है, जिससे वे कृषि इनपुट आपूर्ति, भंडारण, खरीद, डेयरी, मत्स्य और अन्य ग्रामीण सेवाओं सहित 25 से अधिक विविध व्यावसायिक गतिविधियां कर सकती हैं।

पैक्स को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र, ब्याज अनुदान, उर्वरक-बीज वितरण, पीडीएस, एलपीजी/पेट्रोल/डीजल डीलरशिप, कस्टम हायरिंग, प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र, कॉमन सर्विस सेंटर आदि योजनाओं के लाभ वितरण केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। बिहार में पैक्स को बहु-सेवा केंद्रों में बदलने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

राज्य योजना के तहत बिहार में 7,221 गोदामों का निर्माण कर 17.14 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता सृजित की गई है। वर्ष 2025-26 में 278 गोदामों (2.49 लाख मीट्रिक टन क्षमता) को स्वीकृति दी गई है। विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के तहत 36 पैक्स (1.33 लाख मीट्रिक टन क्षमता) चिन्हित की गई हैं। 5,256 पैक्स कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में कार्य कर रही हैं। 2,271 पैक्स के पास उर्वरक लाइसेंस है, जिनमें से 1,681 को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र के रूप में उन्नत किया गया है।

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड और बिहार राज्य सहकारी बैंक द्वारा माइक्रो-एटीएम और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों हेतु अनुदान स्वीकृत किए गए हैं। राष्ट्रीय सहकारी डाटाबेस के अनुसार, देश में कस्टम हायरिंग सेंटर के रूप में कार्यरत 7,398 पैक्स में से 2,661 बिहार में हैं।

राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (NCCT) के माध्यम से प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बिहार में आरआईसीएम, पटना द्वारा अब तक 43,290 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया है। पैक्स सचिवों को सीएससी पोर्टल के माध्यम से 300 ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करने हेतु विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।

कृषि अवसंरचना निधि, कृषि विपणन अवसंरचना और कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन जैसी योजनाओं के तहत दी जा रही सब्सिडी से पैक्स स्तर पर गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर और प्रसंस्करण इकाइयों का विकास हो रहा है, जिससे अनाज की बर्बादी कम होगी और किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा।

सहकारिता मंत्रालय द्वारा ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन के तहत राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 लागू की गई है, जिसमें अगले दस वर्षों के लिए वित्तीय पहुंच, बहु-क्षेत्रीय विस्तार और तकनीक आधारित पारदर्शिता पर जोर दिया गया है। कर रियायतें, पैक्स के लिए लेन-देन सीमाओं में वृद्धि, कंप्यूटरीकरण के लिए 2,925.39 करोड़ रुपये का प्रावधान और एनसीडीसी के माध्यम से वित्तीय सहायता जैसे उपाय किए गए हैं।

इन सभी कदमों से सहकारी समितियों की वित्तीय स्थिरता, पारदर्शिता और दीर्घकालिक स्थायित्व सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। यह जानकारी केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में लिखित उत्तर में दी।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.