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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ‘टाइमलेस विज़डम ऑफ भारत’ सम्मेलन को किया संबोधित

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (20 दिसंबर 2025) हैदराबाद में ब्रह्माकुमारीज़ शांति सरोवर द्वारा आयोजित ‘टाइमलेस विज़डम ऑफ भारत: शांति और प्रगति के मार्ग’ विषयक सम्मेलन को संबोधित किया। यह सम्मेलन ब्रह्माकुमारीज़ शांति सरोवर की 21वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक समुदाय आज अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रहा है। इन परिवर्तनों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, सामाजिक संघर्ष, पारिस्थितिक असंतुलन और मानवीय मूल्यों के क्षरण जैसी गंभीर चुनौतियाँ भी सामने हैं। ऐसे समय में इस सम्मेलन का विषय अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि केवल भौतिक विकास से सुख और शांति प्राप्त नहीं होती, बल्कि आंतरिक स्थिरता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और मूल्य-आधारित दृष्टिकोण भी आवश्यक हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा ने हमें सत्य, अहिंसा और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश दिया है। हमारी आध्यात्मिक विरासत विश्व की मानसिक, नैतिक और पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती है। आधुनिकता और अध्यात्म का संगम हमारी सभ्यता की सबसे बड़ी शक्ति है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’—संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानने की भावना—आज वैश्विक शांति की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अध्यात्म सामाजिक एकता और राष्ट्रीय प्रगति की सशक्त नींव है। जब व्यक्ति मानसिक स्थिरता, नैतिक मूल्यों और आत्मसंयम का विकास करता है, तो उसका व्यवहार समाज में अनुशासन, सहिष्णुता और सहयोग को बढ़ावा देता है। आध्यात्मिक चेतना से प्रेरित लोग अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं। ऐसे व्यक्ति राष्ट्र निर्माण में भी सक्रिय योगदान देते हैं।

राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि ब्रह्माकुमारीज़ संगठन दशकों से भारतीय सार्वभौमिक मूल्यों का प्रसार विभिन्न देशों में कर रहा है। यह संगठन लोगों के बीच शांति और सकारात्मकता का संचार कर समाज के नैतिक और भावनात्मक ताने-बाने को मजबूत कर रहा है। इस प्रकार यह राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


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