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भारतीय रेल का व्यापक आधुनिकीकरण: विद्युतीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा और हाइड्रोजन ट्रेन परियोजनाओं से हरित भविष्य की ओर कदम

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भारतीय रेल सुरक्षा, समयबद्धता, विश्वसनीयता और यात्री सुविधा को बढ़ाने के लिए अपने बुनियादी ढांचे और रोलिंग स्टॉक (Engine, Coaches आदि) को लगातार आधुनिक तकनीक अपनाते हुए उन्नत कर रही है। ये सुधार भारतीय रेल को आधुनिक बनाने और यात्रियों की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा करने पर केंद्रित हैं।

आधुनिक तकनीक और रेल नेटवर्क के विद्युतीकरण (Electrification) के कारण कोयला आधारित इंजन और डीजल इंजनों के उपयोग में कमी आई है।

रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण

भारतीय रेल पर ब्रॉड गेज (BG) नेटवर्क का लगभग 99.2% विद्युतीकरण किया जा चुका है। शेष नेटवर्क का विद्युतीकरण कार्य जारी है।

विद्युतीकरण की प्रगति इस प्रकार है:

  • अवधि
  • रूट किलोमीटर
  • 2014 से पहले (लगभग 60 वर्ष)
  • 21,801
  • 2014–25
  • 46,900

ऊर्जा-कुशल आधुनिक इंजन

भारतीय रेल अत्याधुनिक तीन-फेज IGBT तकनीक पर आधारित लोकोमोटिव का निर्माण और संचालन कर रही है।
इनमें रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम होता है, जिससे ब्रेक लगाने पर ऊर्जा वापस सिस्टम में जाती है और ये अधिक ऊर्जा-कुशल बनते हैं।

भाप इंजन का सीमित उपयोग

कोयला आधारित भाप इंजन अब केवल निम्न स्थानों पर उपयोग किए जाते हैं:

  • यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त पर्वतीय रेल मार्गों पर

  • मौसमी स्टीम ट्रेनें

  • IRCTC के सहयोग से चार्टर्ड ट्रेनों में

नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग

भारतीय रेल ने अपने ट्रैक्शन (Train Operation) के लिए आवश्यक बिजली को सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने की योजना बनाई है, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा।

नवंबर 2025 तक:

  • 812 MW सौर ऊर्जा संयंत्र

  • 93 MW पवन ऊर्जा संयंत्र
    स्थापित किए जा चुके हैं और रेल ट्रैक्शन की आवश्यकता पूरी कर रहे हैं।

इसके अतिरिक्त:

  • 100 MW नवीकरणीय ऊर्जा (RTC मोड) SECI से प्राप्त होना शुरू

  • 1,500 MW हाइब्रिड (सोलर + विंड + स्टोरेज) नवीकरणीय क्षमता भी ट्रैक्शन के लिए सुनिश्चित

ट्रैक्शन खर्च

वर्ष 2023–24 में भारतीय रेल का कुल ट्रैक्शन खर्च ₹29,614 करोड़ था।

हाइड्रोजन ट्रेन परियोजना

भारतीय रेल ने RDSO द्वारा तैयार मानकों के अनुसार अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की अत्याधुनिक परियोजना शुरू की है। यह परियोजना साफ-सुथरी और हरित उर्जा आधारित भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

2030 तक नेट ज़ीरो कार्बन लक्ष्य

भारतीय रेल 2030 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जक बनने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है। इसके लिए बिजली की आवश्यकता धीरे-धीरे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरी की जाएगी।


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