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उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने एसआरएम विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित किया, कहा – सफलता की कुंजी है चरित्र, मूल्य और परिश्रम

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भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज हरियाणा के सोनीपत स्थित एसआरएम विश्वविद्यालय, दिल्ली-एनसीआर के तृतीय दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।

सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने स्नातक छात्रों को बधाई दी और कहा कि उनकी डिग्रियां केवल शैक्षणिक उपलब्धि का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि यह उन मूल्यों, अनुशासन और दृढ़ता का भी प्रमाण हैं जो उन्होंने विश्वविद्यालय में अपने अध्ययन काल के दौरान अर्जित किए हैं।

उन्होंने छात्रों के गुरुजनों और मार्गदर्शकों की भी सराहना की और कहा कि आज की ये उपलब्धियाँ उनके अथक परिश्रम, मार्गदर्शन और समर्पण का परिणाम हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि जहाँ तकनीकी दक्षता और शैक्षणिक उत्कृष्टता आवश्यक हैं, वहीं छात्रों को जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज — मूल्य और चरित्र — को भी अपने साथ रखना चाहिए। उन्होंने कहा, “अच्छे संस्कार और अनुशासन ही चरित्र निर्माण की नींव हैं। जब चरित्र खो जाता है, तो सब कुछ खो जाता है।”

राधाकृष्णन ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों ने QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, जिसमें 54 भारतीय विश्वविद्यालय शामिल हुए हैं, जिससे भारत दुनिया में चौथे सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाले देश के रूप में उभरा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने शिक्षा के क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी रोडमैप तैयार किया है, जो बहुविषयक शिक्षण, लचीलापन और अनुसंधान-आधारित विकास को प्रोत्साहित करता है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे एनईपी 2020 द्वारा प्रदान किए गए अवसरों का पूरा लाभ उठाएं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना सर्वसमावेशी और न्यायसंगत विकास की है। उन्होंने बताया कि सरकार की छात्रवृत्तियों, वित्तीय सहायता और विशेष पहलों के कारण वंचित वर्गों (एससी/एसटी) के छात्रों का नामांकन बढ़ा है, और ग्रामीण क्षेत्रों तथा महिलाओं की भागीदारी में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

उन्होंने कहा कि सही शिक्षा और कौशल के साथ, भारतीय युवाओं में नवोन्मेषी, समावेशी और न्यायसंगत भारत के निर्माण की क्षमता है।

उपराष्ट्रपति ने छात्रों को सलाह दी कि वे स्वयं की तुलना दूसरों से न करें — आज अवसरों की कोई कमी नहीं है, हर व्यक्ति की अपनी विशिष्ट भूमिका है। उन्होंने कहा कि निरंतरता और समर्पण से ही सफलता प्राप्त होती है।

उन्होंने जीवन में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया — न सफलता में अत्यधिक उत्साहित हों और न असफलता में निराश। असफलताएँ जीवन का हिस्सा हैं, जो व्यक्ति को और अधिक मजबूत बनाती हैं।

उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है और खुशी एक मानसिक अवस्था है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे सकारात्मक सोच विकसित करें और अवसरों से भरी दुनिया में अपना मार्ग स्वयं बनाएं।

अंत में, उपराष्ट्रपति ने छात्रों से अपने माता-पिता को सदैव याद रखने का आग्रह किया, और कहा कि उनके त्याग और समर्पण के बिना यह सफलता संभव नहीं थी।

इस अवसर पर हरियाणा के पंचायत एवं विकास मंत्री कृष्ण लाल पंवार, एसआरएम विश्वविद्यालय, चेन्नई के संस्थापक और कुलाधिपति डॉ. टी. आर. पारिवेंदर, एसआरएम विश्वविद्यालय, सोनीपत के कुलाधिपति डॉ. रवि पचमुथु और कुलपति प्रो. परमजीत सिंह जसवाल भी उपस्थित रहे।

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