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अंगोला की नेशनल असेंबली में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संबोधन

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अंगोला की नेशनल असेंबली की अध्यक्ष महामहिम कैरोलिना सेरक्वेइरा ने राष्ट्रपति मुर्मु का गर्मजोशी से स्वागत किया और कहा कि अंगोला की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मु की ऐतिहासिक यात्रा भारत और अंगोला के द्विपक्षीय संबंधों में एक नया मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि भारत की परिवर्तनकारी विकास यात्रा अंगोला के लिए प्रेरणा है और भारत के अफ्रीका के प्रति निरंतर समर्थन और प्रतिबद्धता की गहरी सराहना की।

अंगोला की संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि औपनिवेशिक विरोधी संघर्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों का इतिहास भारत और अंगोला को जोड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अंगोला अफ्रीका के सबसे सशक्त लोकतंत्रों में से एक है।

राष्ट्रपति ने दोनों देशों की संसदों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ाने का आह्वान किया ताकि पारस्परिक समझ और सहयोग को प्रोत्साहित किया जा सके।

उन्होंने अंगोला की संसद में महिलाओं के उल्लेखनीय प्रतिनिधित्व की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि संसद में 39 प्रतिशत से अधिक महिला सदस्य होने के साथ, अंगोला समावेशी शासन का प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है। उन्होंने भारत में हाल ही में पारित किए गए उस कानून का भी उल्लेख किया जो विधायी संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए लाया गया है।

द्विपक्षीय संबंधों पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि व्यापार और आर्थिक सहयोग हमारी साझेदारी का महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग ने आर्थिक संबंधों को और मजबूत किया है। उन्होंने डिजिटल तकनीक, रक्षा, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला।

राष्ट्रपति ने अंगोला में बुनियादी ढांचे, सुशासन और कृषि, ऊर्जा तथा पर्यटन जैसे क्षेत्रों में हुई प्रगति की सराहना की। उन्होंने कहा कि अंगोला अफ्रीका की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण सहभागी के रूप में उभर रहा है। उन्होंने अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष के रूप में अंगोला की अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व भूमिका की भी प्रशंसा की।

राष्ट्रपति ने कहा कि जब दुनिया संघर्षों और अनिश्चितताओं के दौर से गुजर रही है, तब वैश्विक दक्षिण के देश विशेष रूप से प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने अफ्रीका में शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता दोहराई और अंगोला के सांसदों से भारत-अंगोला साझेदारी की पूरी क्षमता को साकार करने के लिए एक साथ काम करने का आग्रह किया।

इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मु ने लुआंडा में डॉ. एंतोनियो आगोस्टिन्हो नेतो की स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। डॉ. नेतो, जो अंगोला के प्रथम राष्ट्रपति थे, देश की एकता, प्रतिरोध और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक हैं और उन्होंने अंगोला की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राष्ट्रपति ने साओ मिगेल किला भी देखा, जो 16वीं सदी का औपनिवेशिक युग का दुर्ग है और अब सशस्त्र बलों के संग्रहालय के रूप में कार्य करता है। यह संग्रहालय अंगोला के सैन्य इतिहास, औपनिवेशिक काल और स्वतंत्रता संघर्ष की कहानी प्रस्तुत करता है।



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