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आयुर्वेद नवाचार को नई दिशा: सिद्धि 2.0 राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू

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आयुष मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) ने आज विजयवाड़ा में अपने प्रमुख उद्योग–अनुसंधान इंटरफ़ेस कार्यक्रम सिद्धि 2.0 (Scientific Innovation in Drug Development, Healthcare & Integration) का दूसरा संस्करण लॉन्च किया। यह दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (RARI), विजयवाड़ा द्वारा, भारतीय उद्योग परिसंघ (CII), विजयवाड़ा ज़ोन के सहयोग से आयोजित किया गया है।

कार्यक्रम का शुभारंभ एक औपचारिक उद्घाटन सत्र से हुआ, जिसमें प्रो. वैद्य रबीनारायण आचार्य, महानिदेशक, CCRAS;के. दिनेश कुमार, IAS, निदेशक (आयुष), आंध्र प्रदेश सरकार; डॉ. एन. श्रीकांत, उप महानिदेशक, CCRAS; किरण भूपतिराजू, CEO, Laila Nutra Pvt. Ltd. एवं Chemiloids Life Sciences Pvt. Ltd.; डॉ. वी. नागलक्ष्मी, चेयरपर्सन, CII विजयवाड़ा ज़ोन; और डॉ. बी. वेंकटेश्वरलु, सहायक निदेशक (I/c), RARI विजयवाड़ा शामिल थे।

उद्घाटन समारोह में CCRAS ने अपनी औषधि-ऐतिहासिक पुस्तक “Evolution of Ayurveda, Siddha & Unani Drug Regulations in India” तथा Drug Inventory Management System पोर्टल जारी किया। यह सम्मेलन आयुर्वेद के वैज्ञानिक, औद्योगिक और वाणिज्यिक पारिस्थितिकी तंत्र को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रमुख राष्ट्रीय मंच के रूप में स्थापित किया गया है।

PRAGATI-2024 (Pharma Research in Ayurgan and Techno-Innovation) की गति को आगे बढ़ाते हुए, सिद्धि 2.0 अनुसंधान-आधारित उत्पाद विकास, स्वदेशी प्रौद्योगिकी उन्नति, तेज़ ट्रांसलेशनल पाथवे और उद्योग साझेदारी की दिशा में एक रणनीतिक कदम है—जो भारत के उभरते हुए आयुष नवाचार एजेंडे के प्रमुख तत्व हैं।


इस अवसर पर बोलते हुए CCRAS के महानिदेशक प्रो. रबीनारायण आचार्य ने बताया कि जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ बढ़ रही हैं और आयुर्वेद का वेलनेस-केंद्रित दृष्टिकोण आज और भी प्रासंगिक है। उन्होंने CII की इस भूमिका की सराहना की कि उसके सहयोग से CCRAS और औषधि उद्योग के बीच सीधे संवाद संभव हो रहे हैं। SPARK, SMART, PDF फेलोशिप और शोध-कार्यक्रमों जैसे CCRAS के विभिन्न उपक्रमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने सहयोगात्मक अनुसंधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और उद्योग सहभागियों को आश्वासन दिया कि संयुक्त कार्य से उत्पन्न IPR को समान रूप से साझा किया जाएगा।

के. दिनेश कुमार, IAS, निदेशक (आयुष), आंध्र प्रदेश सरकार, ने बताया कि राज्य में आयुर्वेद कॉलेजों और औषधि निर्माण इकाइयों की संख्या अभी भी सीमित है। उन्होंने राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सिद्धि 2.0 सभी प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर लाता है और यह भी जोड़ा कि आधुनिक विज्ञान ने जीवनकाल बढ़ाया है, जबकि आयुर्वेद स्वस्थ जीवनकाल सुनिश्चित कर सकता है।

उप महानिदेशक डॉ. एन. श्रीकांत ने बताया कि परिषद ने 150 से अधिक आयुर्वेदिक औषधीय फ़ॉर्मूलेशन, जिनमें हर्बो-मिनरल तैयारियाँ भी शामिल हैं, का सत्यापन किया है। उन्होंने उद्योग को CCRAS के व्यापक डेटा—गुणवत्ता, सुरक्षा और विषाक्तता अध्ययनों—का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया और संगठन की उद्योग-अनुकूल अनुसंधान नीति, जिसमें IPR साझा करने का प्रावधान है, का उल्लेख किया। उन्होंने आयुर्वेद-आधारित, AI-संचालित और प्रौद्योगिकी-सक्षम स्टार्टअप्स को मिल रहे CCRAS समर्थन को भी रेखांकित किया।

उद्योग परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करते हुए किरण भूपतिराजू (CEO, Laila Nutra Pvt. Ltd. एवं Chemiloids Life Sciences Pvt. Ltd.) ने वैश्विक बाज़ार में मजबूती के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और फ़ॉर्मूलेशन के आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

CII विजयवाड़ा ज़ोन की चेयरपर्सन डॉ. वी. नागलक्ष्मी ने कहा कि आयुर्वेद की पूरी क्षमता अभी सामने आना बाकी है। उन्होंने अनुसंधान, शिक्षा, निर्माण और उद्योग विकास के समन्वय के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि बढ़ी हुई शोध गतिविधि उद्योग के विकास और रोज़गार के बड़े अवसरों को जन्म देगी।

कार्यक्रम में CCRAS विशेषज्ञों तथा Himalaya Wellness Company जैसी प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। CCRAS वैज्ञानिकों ने अपनी सुविधाओं, प्रमुख शोध-परिणामों, विकसित उत्पादों एवं प्रौद्योगिकियों तथा विभिन्न स्तरों पर विकसित हो रहे फ़ॉर्मूलेशन प्रस्तुत किए। साथ ही, उद्योगों के साथ सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर भी चर्चा की गई। पहले दिन फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के विविध हितधारकों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली, जो आयुर्वेद क्षेत्र में सबूत-आधारित विकास को तेज़ करने की दिशा में उपयोगी रही।

सिद्धि 2.0 में दक्षिण भारत की 25 से अधिक प्रमुख आयुर्वेदिक फार्मास्यूटिकल कंपनियों—जैसे कि Himalaya Wellness Company, Oushadhi, IMPCOPS, Laila Nutra Pvt. Ltd., और Imis Pharmaceuticals—के प्रतिनिधियों सहित 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा शोधकर्ता, चिकित्सक, शिक्षाविद, राज्य आयुष अधिकारी और डॉ. NRS आयुर्वेदिक कॉलेज, विजयवाड़ा के स्नातकोत्तर छात्र भी उपस्थित रहे।

एक राष्ट्रीय ट्रांसलेशनल एक्सेलेरेटर के रूप में परिकल्पित, सिद्धि 2.0 का उद्देश्य CCRAS तकनीकों को उद्योग में व्यापक अपनाने को बढ़ावा देना, संस्थागत संबंधों को मजबूत करना, गुणवत्ता और नियामक ढाँचे को उन्नत करना और वैश्विक प्रतिस्पर्धी आयुर्वेदिक औषधि उद्योग के विकास का समर्थन करना है। वैज्ञानिक नवाचार और उद्योग सहयोग को एक साथ आगे बढ़ाते हुए, सिद्धि 2.0 आयुर्वेद के लिए एक आधुनिक, साक्ष्य-आधारित और विस्तार योग्य भविष्य की नींव रखता है, जो भारत की समग्र स्वास्थ्य दृष्टि के अनुरूप है।


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