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IITF 2025 में युवाओं की भागीदारी का उत्सव

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नई दिल्ली में आयोजित 44वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले (IITF) में इस वर्ष का थीम “एक भारत श्रेष्ठ भारत” केवल मंडपों या सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ही नहीं, बल्कि उन युवा कारीगरों और उद्यमियों के चेहरों पर जीवंत होता दिखाई देता है, जो गर्व के साथ अपने स्टॉल संभाल रहे हैं। बिजनौर से मधुबनी, अलवर से कच्छ, और भूमध्यसागर पार ट्यूनीशिया तक—IITF 2025 भारत और विश्व के आर्थिक तथा सांस्कृतिक परिदृश्य को बदलने वाली युवा पीढ़ी की जीवंत झलक प्रस्तुत करता है।

भारत मंडपम की चौड़ी गलियारों में ये युवा प्रतिभागी केवल उत्पाद नहीं बेच रहे हैं। वे पारिवारिक विरासतों को आगे बढ़ा रहे हैं, पारंपरिक हस्तशिल्प में नवाचार कर रहे हैं, नई तकनीकों के साथ प्रयोग कर रहे हैं और अपने आत्मनिर्भर उद्यमी सफर को आकार दे रहे हैं।

इन युवाओं की कहानियों में MSME विकास, कौशल उन्नयन, ग्रामीण आजीविका और वैश्विक बाजार से जुड़ाव बढ़ाने वाली नीतियों की वास्तविक अभिव्यक्ति देखी जा सकती है। इन प्रयासों को सशक्त बनाता है मेरा युवा भारत (MY Bharat)—भारत सरकार की एक ऐतिहासिक पहल, जो युवाओं को नेतृत्व, नवाचार और राष्ट्रनिर्माण के लिए मंच प्रदान करती है।

IITF 2025 में, युवाओं की आकांक्षाएँ अवसर से मिलती हैं—और उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश के भविष्य को आकार देने का मौका मिलता है।

बिजनौर का गुड़ नवाचारक

उत्तर प्रदेश के बिजनौर से आए 26 वर्षीय नमन शर्मा नई पीढ़ी के उस संकल्प का प्रतीक हैं, जो अपनी मिट्टी से जुड़कर विरासत को आधुनिक पहचान देना चाहते हैं। भारत के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिलों में से एक बिजनौर का प्रतिनिधित्व करते हुए नमन कहते हैं—

“मैं गुड़ उद्योग को आधुनिक बनाना चाहता हूँ और लोगों को रसायन-मुक्त, प्राकृतिक उत्पाद देना चाहता हूँ।”

2018 से प्रयोग शुरू कर चुके नमन ने 2021 में अपनी कंपनी पंजीकृत की। उनके 21 वर्षीय भाई और 23 वर्षीय बहन उनकी मुख्य टीम हैं। वे 15 फैक्ट्री कर्मचारियों और पैकेजिंग यूनिट में 25 महिलाओं को रोजगार देते हैं।

IITF में उनकी यह पहली भागीदारी है, जो क्षेत्रीय आयोजनों में उल्लेखनीय सफलता के बाद संभव हुई। अब वे निर्यात बाजार को लक्ष्य बना रहे हैं और PMEGP के माध्यम से यूनिट विस्तार की तैयारी कर रहे हैं।

पद्मश्री विरासत को आगे बढ़ाता मधुबनी का युवा कलाकार

बिहार मंडप में मधुबनी कला के रंग सबका ध्यान आकर्षित करते हैं। इन्हीं रंगों के बीच 18 वर्षीय मधुरम कुमार झा खड़े हैं—जितवारपुर गाँव के, जो मधुबनी कला का केंद्र माना जाता है।

उनकी दादी पद्मश्री बऊआ देवी—मिथिला कला की अग्रणी हस्ती हैं। मधुरम बचपन से उनकी कला को देखते हुए बड़े हुए।

वे कहते हैं—
“जब दादी माँ पेंटिंग करती थीं, मैं उनके पास बैठ जाता था… देखकर सीखता था।”

पढ़ाई के साथ वे देशभर में प्रदर्शनियों में भाग लेते हैं। वे चाहते हैं कि मधुबनी कला “हर गली, हर देश” तक पहुँचे। आगे चलकर वे IRS अधिकारी या नौसेना में शामिल होना चाहते हैं।

वे बताते हैं—
“सरकार ने हमें नाम दिया है, पहचान दी है… दादी माँ की वजह से।”

राजस्थान की कुम्हार परंपरा को आगे बढ़ाती करिश्मा

राजस्थान मंडप में टेराकोटा के बर्तन करीने से सजे हैं। इनके बीच 20 वर्षीय करिश्मा परजापत अपने परिवार की कुम्हारी परंपरा का प्रतिनिधित्व करती हैं।

वे बताती हैं—
“हम मिट्टी तोड़ते हैं, गलाते हैं, भिगोते हैं… फिर पिता उसे आकार देते हैं और भट्टी में पकाते हैं।”

करिश्मा बीए कर रही हैं और साथ ही परिवार की इस कला में हाथ बँटा रही हैं। उनका स्टॉल महिला सशक्तिकरण निदेशालय द्वारा प्रायोजित है, और यह उनका दूसरा चयन है।

उनकी उपस्थिति भारतीय हस्तकला में युवा महिलाओं की बढ़ती भूमिका का मजबूत संकेत है।

800 वर्ष पुरानी कच्छ की घंटी कला के युवा शिल्पकार

गुजरात के 26 वर्षीय लुहार जावेद अब्दुल्ला जब अपनी कला के बारे में बताते हैं, तो मानों सदियों पुरानी कहानी सुनाते हैं—

“हमारा काम 800-900 साल पुराना है, और हमारे परिवार का 400 साल से अधिक।”

कच्छ की यह पारंपरिक तांबे की घंटियाँ, जो पहले मवेशियों के गलों में बांधी जाती थीं, अब वाद्ययंत्र, विंड चाइम और सजावटी वस्तुओं के रूप में बनाई जाती हैं। उनकी यूनिट में 20 कर्मचारी हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएँ हैं।

IITF उनके लिए व्यापार से आगे एक सांस्कृतिक मंच है—जहाँ हर घंटी कच्छ की विरासत को नई पहचान देती है।

सीमाओं के पार: अंतरराष्ट्रीय मंडप के युवा चेहरे

IITF 2025 में 12 देशों ने भाग लिया है। अंतरराष्ट्रीय मंडप वैश्विक संस्कृतियों और शिल्प का जीवंत संगम बन गया है।

इसी भीड़ में 26 वर्षीय अहमद शाहिद (ट्यूनीशिया) अपने हाथ से बने सिरेमिक, ऑलिव वुड उत्पाद और सजावटी वस्तुएँ प्रदर्शित कर रहे हैं।

वे कहते हैं—
“भारतीय लोग बहुत सवाल पूछते हैं… जानना चाहते हैं कि चीजें कैसे बनती हैं।”

IITF उनके लिए भारतीय बाजार को समझने, व्यापारिक साझेदारियों और निर्यात अवसरों का द्वार है।

युवा: परिवर्तन की धुरी

IITF 2025 “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की भावना को युवाओं की जीवंत भागीदारी के माध्यम से मजबूत बनाता है। ये युवा—
उद्यमी, कलाकार, नवप्रवर्तक—भारत की विविधता को अपनी रचनात्मक ऊर्जा के साथ प्रस्तुत करते हैं।

उनकी कहानियाँ दर्शाती हैं कि जब युवाओं को मंच मिलता है, तो वे परंपरा और नवाचार दोनों में नया जीवन फूँकते हैं।

यही युवा हैं जो आज देश की प्रगति को आगे बढ़ा रहे हैं—हर कला, हर तकनीक और हर विचार के साथ।


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