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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में योगदान देने वाले देशों के सेना प्रमुखों से की मुलाकात

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नई दिल्ली- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज राष्ट्रपति भवन में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सैनिक योगदान देने वाले देशों (Troop Contributing Countries) के सेना प्रमुखों और उप-प्रमुखों के साथ, उनके जीवनसाथियों सहित, भेंट की। यह भेंट सेना प्रमुखों के सम्मेलन (Army Chiefs’ Conclave) के तहत आयोजित की गई।



राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि वे अपने-अपने देशों के श्रेष्ठ मूल्यों और आदर्शों के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन अनुभव, विशेषज्ञता और शांति व समृद्धि के प्रति समर्पण की भावना का प्रतीक है।

राष्ट्रपति ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षक अब तक विश्वभर में 71 मिशनों में तैनात किए गए हैं, जिनका उद्देश्य निर्दोष नागरिकों — विशेषकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों — के कष्टों को कम करना है। उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थितियों में भी शांति सैनिकों ने साहस और करुणा का असाधारण उदाहरण प्रस्तुत किया है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का दृढ़ समर्थक है। उन्होंने गर्व व्यक्त किया कि भारत शांति अभियानों में आरंभ से ही सक्रिय योगदानकर्ता रहा है और हमारे शांति सैनिकों ने दुनिया के कई चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने शांति अभियानों में लैंगिक समानता के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। महिला शांति रक्षकों ने स्थानीय समुदायों को सशक्त किया है और विश्वास का माहौल बनाया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सभी देशों को मिलकर ऐसे ढांचे तैयार करने चाहिए जो सैनिक योगदान देने वाले देशों को अधिक सशक्त आवाज़ दें। साथ ही, स्थानीय समुदायों के साथ सक्रिय सहभागिता से स्थायी शांति की दिशा में काम किया जाना चाहिए।

अंत में, राष्ट्रपति मुर्मु ने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मेलन और इसी भावना से आयोजित अन्य कार्यक्रम नए विचारों, गहरे सहयोग और स्थायी मित्रता को प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा कि “हम सब मिलकर ऐसा विश्व बनाएं जहाँ हर बच्चा सुरक्षित नींद सोए, हर समुदाय सौहार्द में फले-फूले और संघर्ष केवल इतिहास के पन्नों तक सीमित रह जाए।”



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