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विश्व खाद्य दिवस 2025 पर आयुष मंत्रालय ने ‘आयुर्वेद आहार’ के माध्यम से स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई

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विश्व खाद्य दिवस 2025 के अवसर पर, जिसका विषय है “हैंड इन हैंड फॉर बेटर फूड्स एंड अ बेटर फ्यूचर” (Hand in Hand for Better Foods and a Better Future), आयुष मंत्रालय ने एक स्वस्थ और अधिक टिकाऊ ग्रह के निर्माण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया है। इस दिशा में ‘आयुर्वेद आहार’ जैसी अग्रणी पहलें — जो संतुलन, स्वास्थ्य और प्रकृति पर आधारित भारत की विशिष्ट खाद्य दर्शनशैली है — एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

आयुष मंत्रालय के परामर्श से भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हाल ही में आयुर्वेद आहार श्रेणी-A के तहत उत्पादों की एक विस्तृत और प्रमाणिक सूची जारी की है। यह सूची प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों पर आधारित है और इससे आयुर्वेद आधारित पोषण के क्षेत्र में गुणवत्ता, विकास और वैश्विक विश्वास को प्रोत्साहन मिलेगा।

केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा —

 “इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस का विषय भारत की पारंपरिक बुद्धिमत्ता से गहराई से जुड़ा है। आयुर्वेद आहार केवल भोजन नहीं है, बल्कि यह एक दर्शन है जो स्वास्थ्य, स्थिरता और प्रकृति के प्रति करुणा को एकजुट करता है। FSSAI के साथ हमारे सहयोग के माध्यम से, हम आयुर्वेद आहार को वैश्विक पोषण का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहते हैं, ताकि बेहतर भोजन एक बेहतर और रोग-मुक्त भविष्य की ओर ले जाए।”

FSSAI द्वारा अधिसूचित आयुर्वेद आहार विनियम (Regulations) ने भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य बुद्धिमत्ता और आधुनिक खाद्य सुरक्षा मानकों के एकीकरण में नए मापदंड स्थापित किए हैं। अब, उत्पादों की यह निश्चित सूची उपभोक्ताओं और खाद्य व्यवसायों दोनों के लिए एक स्पष्ट और प्रमाणिक संदर्भ प्रदान करेगी, जो पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान पर आधारित है।

वैद्य राजेश कोटेचा, सचिव, आयुष मंत्रालय ने कहा — 

“आयुर्वेद आधारित खाद्य प्रणालियों के प्रति वैश्विक रुचि भारत के समग्र पोषण में योगदान को रेखांकित करती है। यह सूची निर्माताओं के लिए स्पष्टता और उपभोक्ताओं के लिए विश्वास प्रदान करती है। यह स्वास्थ्य खाद्य क्षेत्र में नवाचार और स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ा अवसर है, जहाँ आयुर्वेद का ज्ञान जीवनशैली और आहार से जुड़ी बीमारियों को रोकने में मदद कर सकता है।”

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (NIA), जयपुर के प्रोफेसर अनुपम श्रीवास्तव ने कहा —

“मुख्यधारा की पोषण नीति में आयुर्वेदिक आहार सिद्धांतों को शामिल करना इस बात का उदाहरण है कि भारत पारंपरिक ज्ञान के माध्यम से टिकाऊ और सजग खाद्य आदतों को कैसे दिशा दे रहा है। आयुष मंत्रालय और FSSAI का यह सहयोग वास्तव में ‘बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य’ के लिए हाथ में हाथ डालकर कार्य करने का आदर्श उदाहरण है।”

भारत की पारंपरिक खाद्य प्रणालियाँ — विशेष रूप से विविध और संतुलित भारतीय थाली — अब वैश्विक स्तर पर अपनी पोषणीयता और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए सराही जा रही हैं। आयुर्वेद की प्राचीन आहार परंपराओं से प्रेरणा लेकर, ये मॉडल मौसमी आहार, स्थानीय स्रोतों और सजग उपभोग पर बल देते हैं, जो सतत खाद्य प्रणालियों के वैश्विक आह्वान के अनुरूप हैं।

जैसे-जैसे विश्व भोजन के साथ अपने संबंध को पुनर्परिभाषित कर रहा है, भारत संतुलन का प्रतीक बनकर उभर रहा है — यह दर्शाते हुए कि पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान एक साथ मिलकर मजबूत, स्वस्थ और टिकाऊ समाजों का निर्माण कर सकते हैं। आयुष मंत्रालय, FSSAI और अन्य हितधारकों के सहयोग से, ‘आयुर्वेद आहार’ को पोषण, स्थिरता और वैश्विक कल्याण का पर्याय बनाने के अपने मिशन पर दृढ़तापूर्वक अग्रसर है।

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