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IUCN विश्व संरक्षण कांग्रेस में भारत ने विज्ञान और परंपरा का संगम पेश किया

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अबू धाबी- केंद्रीय राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज IUCN विश्व संरक्षण कांग्रेस में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उच्चस्तरीय राउंडटेबल संवाद में भाग लिया। इस सत्र का विषय था: ‘Nature's Promise for Climate and People’, जिसमें पर्यावरण और जलवायु संकट से निपटने के लिए विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान के बेहतर समाकलन पर चर्चा हुई।

कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक परंपराएँ और स्थानीय ज्ञान सदियों से स्थिरता और प्रकृति के साथ संतुलित जीवन की मिसाल रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की ‘Mission LiFE’ इसी ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़कर जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संरक्षण में व्यवहारिक रूप देने का प्रयास है।

मंत्री ने उदाहरण देते हुए बताया कि नीलगिरि के Toda जनजाति चींटियों के घोंसले देखकर मानसून का पूर्वानुमान लगाते हैं, जबकि अंडमान के Jarawas मछलियों के व्यवहार से चक्रवात का अंदाजा लगाते हैं। इसके अलावा, राजस्थान में स्टेप वेल्स और Silver Drops जैसी जल संरक्षण तकनीकें सतत जीवन शैली का प्रमाण हैं।

कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा, “विज्ञान और परंपरा एक-दूसरे के पूरक हैं, और इन दोनों का संगम ही स्थायी और प्रभावी समाधान की कुंजी है। आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान के संयोजन से हम सैद्धांतिक अवधारणाओं को व्यावहारिक कार्यों में बदल सकते हैं।”

भारत की यह पहल विकास और विरासत के साथ-साथ नवाचार का एक जीवंत उदाहरण है, जो वैश्विक स्तर पर प्रकृति-आधारित समाधानों को आगे बढ़ाने में योगदान दे रही है।



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