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झारखंड में जीएसटी सुधारों का प्रभाव: उद्योग, कृषि और पर्यटन को बढ़ावा

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परिचय

सन् 2000 में गठित झारखंड भारत का एक पूर्वी राज्य है, जो अपनी प्रचुर प्राकृतिक संपदाओं, सुदृढ़ इस्पात और भारी इंजीनियरिंग उद्योगों, तथा विशाल लौह अयस्क भंडारों के लिए जाना जाता है। राज्य के लगभग 29% क्षेत्र पर वन और वनों से आच्छादित भूमि है, जो भारत में सबसे अधिक है। जनजातीय बहुल यह राज्य कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर भी काफी निर्भर है, जो इसकी बड़ी आबादी के आजीविका का प्रमुख स्रोत हैं।

हाल के जीएसटी सुधारों से राज्य की अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। प्रमुख उद्योगों में कर दरों में भारी कमी के कारण लागत घटने, उपभोक्ता वहनशीलता बढ़ने, और औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार हुआ है। इससे कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हुई है।

इस्पात एवं भारी इंजीनियरिंग उत्पाद

झारखंड के औद्योगिक विकास की रीढ़ इस्पात और भारी इंजीनियरिंग क्षेत्र है, जो भारत के कुल इस्पात उत्पादन का लगभग 20–25% योगदान देता है। जमशेदपुर (टाटा स्टील) और बोकारो (सेल-बोकारो स्टील प्लांट) जैसे प्रमुख औद्योगिक केंद्र यहां स्थित हैं। सिंहभूम और बोकारो जिलों में फैले इस उद्योग ने 1 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया है (2022–23 के अनुसार, 1,04,309 व्यक्ति)।

राज्य के इस्पात उत्पादों के प्रमुख उपभोक्ता घरेलू निर्माण, अवसंरचना, ऑटोमोबाइल और पूंजीगत वस्तु उद्योग हैं। साथ ही, अमेरिका, चीन, जापान, नेपाल, बांग्लादेश और यूरोप जैसे देशों में मूल्य संवर्धित इस्पात उत्पादों का निर्यात भी होता है।

जीएसटी सुधारों के तहत इस्पात उपभोक्ता क्षेत्रों में कर में कमी की गई है —

  • 350cc तक की दोपहिया गाड़ियों और छोटे कारों पर कर 28% से घटाकर 18% किया गया।

  • 1800cc से कम क्षमता वाले ट्रैक्टरों पर कर 12% से घटाकर 5% किया गया।

  • ट्रैक्टर पार्ट्स पर 18%/12% से घटाकर 5%।

  • वाणिज्यिक वाहनों पर 28% से 18% और ऑटो पार्ट्स पर 28% से 18%।

इन कटौतियों से कुल लागत में लगभग 7.8%–11.0% तक की कमी आती है, जिससे वाहनों और मशीनरी की मांग बढ़ती है। इससे इस्पात और भारी इंजीनियरिंग उद्योगों में उत्पादन और रोजगार में वृद्धि होती है तथा राज्य की एमएसएमई और विनिर्माण श्रृंखलाओं को सशक्त बनाती है।

लोहा (Iron)

झारखंड भारत के कुल लौह अयस्क भंडार का लगभग 26% हिस्सा रखता है। राज्य के लौह उद्योगों में चूल्हे, रसोई के बर्तन, दूध के कनस्तर, और सजावटी वस्तुएं बनाई जाती हैं। यह उद्योग मुख्यतः पश्चिम सिंहभूम (नौमुण्डी, गुआ), सिंहभूम बेल्ट और कोल्हान क्षेत्र में केंद्रित है।

यहां लगभग 1 लाख लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं, जिनमें से कई जनजातीय और वन-आश्रित समुदाय हैं। झारखंड का लौह उद्योग घरेलू इस्पात संयंत्रों (विशेष रूप से ओडिशा और झारखंड के) को आपूर्ति करता है और साथ ही चीन, जापान, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया को निर्यात भी करता है।

जीएसटी सुधारों के तहत लोहे पर कर दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई है, जिससे औसतन 6.25% लागत में कमी आई है। इससे उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ी है, लाभांश में सुधार हुआ है और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है।

कृषि एवं खाद्यान्न

झारखंड की कृषि मुख्य रूप से लघु एवं सीमांत किसानों द्वारा संचालित है, जिनमें अधिकांश जनजातीय समुदायों से हैं। 2021–22 में कृषि क्षेत्र का राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में योगदान 18.2% रहा, जबकि 50.4% जनसंख्या कृषि एवं उससे जुड़ी गतिविधियों में कार्यरत है।

रांची, हजारीबाग, पलामू और लातेहार जिले कृषि क्षेत्र के प्रमुख केंद्र हैं। राज्य की कृषि उपज का प्रमुख विपणन घरेलू मंडियों, प्रसंस्करण उद्योगों और सरकारी खरीद एजेंसियों के माध्यम से होता है।

जीएसटी सुधारों में प्रसंस्कृत खाद्यान्नों पर कर दर 12% से घटाकर 5% की गई है, जिससे 3–8% तक इनपुट लागत में कमी आई है। यह किसानों की लाभप्रदता बढ़ाने, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन देने, और ग्रामीण आय में स्थिरता लाने में मदद करेगा।

वन उत्पाद

‘झारखंड’ शब्द का अर्थ ही है “वनों की भूमि” — और यह राज्य अपने समृद्ध जैव-विविधता और वन संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। हजारीबाग, लातेहार और पश्चिम सिंहभूम जिले व्यापक वन क्षेत्र वाले हैं, जहां की बड़ी जनजातीय आबादी गैर-लकड़ी वन उपज (NTFP) जैसे लाख, तेंदूपत्ता और शहद पर निर्भर है।

वन-आधारित उद्योग लगभग 20 लाख गरीब और जनजातीय श्रमिकों को आजीविका प्रदान करते हैं। प्रमुख खरीदारों में झारखंड राज्य वन विकास निगम (JSFDC), स्थानीय एग्रो-प्रोसेसर और निर्माण उद्योग शामिल हैं। निर्यात बाजारों में बांग्लादेश, अमेरिका, यूरोपीय संघ, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य पूर्व प्रमुख हैं।

जीएसटी सुधारों के तहत —

  • तेंदूपत्ते पर कर 18% से घटाकर 5%,

  • और बांस पर 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।

इससे लागत में लगभग 6.25%–11.01% की कमी आई है, जिससे उत्पादों की कीमत प्रतिस्पर्धी हुई है और वन-आश्रित समुदायों की आय स्थिरता बढ़ी है।

पर्यटन

पहाड़ियों, घने वनों और झरनों से भरपूर झारखंड अपने प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है। राज्य में मंदिर, संग्रहालय और अभयारण्य पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। प्रमुख स्थलों में देवघर (बैद्यनाथ धाम), पारसनाथ (जैन तीर्थ), राजरप्पा मंदिर, और रांची का जगन्नाथ मंदिर शामिल हैं।

राज्य का पर्यटन क्षेत्र होटल, होमस्टे, गाइड, ड्राइवर, हस्तशिल्पी, स्थानीय व्यापारी और समुदाय-आधारित पर्यटन उद्यमों पर आधारित है।

जीएसटी सुधारों के तहत ₹7,500 तक के होटल कमरों पर कर दर 12% से घटाकर 5% की गई है, जिससे ठहरने की लागत में लगभग 6.25% की कमी आई है। इससे पर्यटकों के लिए यात्रा सस्ती हुई है और छोटे-मंझोले पर्यटन व्यवसायों को राहत मिली है।

निष्कर्ष

प्राकृतिक संपदाओं, खनिजों और वनों से समृद्ध झारखंड के लिए जीएसटी सुधार एक बड़ा अवसर हैं। इस्पात, लोहा, कृषि, वन उत्पाद और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में कर दरों में कमी से औद्योगिक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिली है। ये सुधार उत्पादन, निवेश और रोजगार को बढ़ावा देते हुए झारखंड को एक अधिक प्रतिस्पर्धी और निवेश-अनुकूल राज्य के रूप में स्थापित करते हैं।


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