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जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा ‘जिला कलेक्टर्स पेयजल संवाद’ का दूसरा संस्करण आयोजित

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पेयजल और स्वच्छता विभाग (DDWS), जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल जीवन मिशन (JJM) के तहत स्थानीय प्रशासन को सशक्त बनाने, जल स्रोतों की स्थिरता सुनिश्चित करने और ग्रामीण जल आपूर्ति सेवा वितरण में जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से ‘जिला कलेक्टर्स पेयजल संवाद’ का दूसरा संस्करण आयोजित किया गया।

यह कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (NJJM) के अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक कमल किशोर सोन ने की। कार्यक्रम में संयुक्त सचिव (NJJM) स्वाति मीना नाइक, वरिष्ठ अधिकारी, देशभर के जिला कलेक्टर्स/जिला मजिस्ट्रेट, मिशन निदेशक एवं राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की राज्य मिशन टीमों सहित 800 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

‘जिला कलेक्टर्स पेयजल संवाद’ श्रृंखला जल जीवन मिशन के अंतर्गत विकेंद्रीकृत जल प्रबंधन और स्थानीय शासन को मजबूत करने का एक राष्ट्रीय संवाद मंच है। इसका पहला संस्करण 14 अक्टूबर 2025 को आयोजित हुआ था, जिसमें डिजिटल टूल्स, जवाबदेही तंत्र और पारस्परिक सीख के माध्यम से पंचायतों और जिलों को सशक्त बनाने पर चर्चा हुई थी। आज आयोजित दूसरे संस्करण में जल स्रोतों की स्थिरता पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें डेटा आधारित योजना, कानूनी सुरक्षा उपायों और मनरेगा के साथ अभिसरण पर बल दिया गया।

प्रमुख बिंदु

🔹 मनरेगा के साथ अभिसरण – सोन ने 23 सितंबर 2025 को जारी राजपत्र अधिसूचना S.O. 4288(E) का उल्लेख करते हुए जिलों से आग्रह किया कि वे जल स्रोत पुनर्भरण, संरक्षण और जल संचयन के कार्यों पर विशेष खर्च सुनिश्चित करें।

🔹 संरक्षण और नियामक तंत्र – 27 अक्टूबर 2025 को विभाग द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए उन्होंने ‘संरक्षित पेयजल क्षेत्र’ (Protected Drinking Water Zones) स्थापित करने, गश्त और निरीक्षण व्यवस्था लागू करने तथा ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों (VWSCs) को समुदाय आधारित निगरानी के लिए सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि “जल जीवन मिशन में जिलाधिकारी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि स्थायी सेवा वितरण का आधार डेटा-आधारित निर्णय, स्थानीय स्वामित्व और निवारक शासन है।”

निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) का प्रदर्शन

संयुक्त सचिव स्वाति मीना नाइक ने Decision Support System (DSS) का परिचय कराया, जिसे BISAG-N के सहयोग से विकसित किया गया है। यह प्रणाली राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को वैज्ञानिक आधार पर जल स्रोतों की योजना, आकलन और संरक्षण में सहायता करती है।
सहायक सचिव (DS-NJJM)अंकीता चक्रवर्ती ने DSS पोर्टल का प्रदर्शन किया, जो भू-स्थानिक मानचित्र, कृत्रिम जल पुनर्भरण आवश्यकता (AWRR) विश्लेषण और वास्तविक समय ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करता है।

जिलों द्वारा प्रस्तुत श्रेष्ठ अभ्यास

🔹 गडचिरोली (महाराष्ट्र) – पाइप जल योजनाओं और सौर ऊर्जा आधारित मिनी जल योजनाओं के माध्यम से FHTC कवरेज 8.37% से बढ़कर 93% तक पहुंचा। हनीकॉम्ब तकनीक आधारित वर्षा जल संचयन प्रणाली पर कार्य प्रगति पर है।

🔹 हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) – सभी 248 ग्राम पंचायतों में ‘हर घर जल’ उपलब्ध। महिलाओं द्वारा फील्ड टेस्ट किट (FTK) से जल परीक्षण।

🔹 डांग (गुजरात) – महिला संचालित जल समितियां ‘मुख्यमंत्री महिला पानी समिति प्रोत्साहन योजना’ के तहत कार्यरत।

🔹 बारामुला (जम्मू-कश्मीर) – 6,600 किमी पाइपलाइन नेटवर्क, 228 फिल्ट्रेशन प्लांट, और 391 सेवा जलाशय। ₹60 करोड़ की परिहासपोरा मल्टी-विलेज योजना से 75,000 लोगों को स्वच्छ जल।

🔹 बोकारो (झारखंड) – ‘जल सहिया’ मॉडल से महिलाओं को प्रशिक्षण, संचालन, परीक्षण और वित्तीय प्रबंधन में सशक्त बनाया गया।

जिला कलेक्टर्स पेयजल संवाद के बारे में

DDWS द्वारा आरंभ की गई यह श्रृंखला जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में संलग्न जिला कलेक्टर्स और क्षेत्रीय अधिकारियों के लिए एक राष्ट्रीय ज्ञान-साझा और पारस्परिक सीख का मंच है। यह संवाद ग्रामीण भारत में दीर्घकालिक जल सुरक्षा और सेवा वितरण की स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


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