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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ARDE, पुणे का दौरा किया; DRDO की उन्नत रक्षा तकनीकों और भविष्य की योजनाओं का किया अवलोकन

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16 अक्टूबर, 2025 को रक्षा मंत्रालय की सलाहकार समिति, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, ने पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) का दौरा किया। ARDE, DRDO के आर्मामेंट एवं कॉम्बैट इंजीनियरिंग सिस्टम्स (ACE) क्लस्टर के अंतर्गत आने वाला एक प्रमुख प्रयोगशाला है। दौरे के दौरान समिति ने क्लस्टर की विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित अत्याधुनिक उत्पादों का निरीक्षण किया। प्रमुख प्रदर्शित उत्पादों में एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम, पिनाका रॉकेट सिस्टम, लाइट टैंक ‘जोरावर’, व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म और आकाश-न्यू जनरेशन मिसाइल शामिल थे।

समिति को रोबोटिक्स, रेल गन, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम, हाई-एनर्जी प्रोपल्शन मटीरियल्स जैसे क्षेत्रों में विकसित हो रही तकनीकों की जानकारी भी दी गई। इसके अलावा, क्लस्टर की भविष्य की रोडमैप भी प्रस्तुत की गई।

रक्षा मंत्री ने “उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ और DRDO” विषय पर बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों और युद्ध की बदलती प्रकृति को समझना और अनुकूलित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उन्नत तकनीकें अब आवश्यकता बन गई हैं और सरकार इसका एकीकृत उपयोग सुरक्षा तंत्र में सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

राजनाथ सिंह ने कहा,

“आज का युग प्रौद्योगिकी वर्चस्व का है। जो राष्ट्र विज्ञान और नवाचार को प्राथमिकता देगा, वही भविष्य में अग्रणी होगा। प्रौद्योगिकी केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रही; यह हमारी रणनीतिक निर्णय प्रक्रिया, रक्षा प्रणाली और भविष्य की नीतियों की आधारशिला बन चुकी है। हमारा लक्ष्य केवल रक्षा में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि एक ऐसा वातावरण विकसित करना है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करे और भारत को वैश्विक रक्षा नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करे।”

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भविष्य के परिवर्तनों को अपनाना केवल तकनीकी उन्नयन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मिशन होना चाहिए। “हमें केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता भी बनना चाहिए। इसके लिए आत्मनिर्भरता की गति तेज करनी होगी। रक्षा में आत्मनिर्भरता केवल लक्ष्य नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की सबसे मजबूत ढाल है।”

रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की रक्षा में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया और कहा कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकियों के आयात पर निर्भर नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि कई देशों में उन्नत तकनीकों के मामले में संरक्षणवाद देखा जाता है और सूचना साझा नहीं की जाती। भारत ने इन बाधाओं को चुनौती दी है और स्पष्ट नीतियों के साथ किसी भी क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में सक्षम हुआ है।

राजनाथ सिंह ने DRDO की सराहना करते हुए कहा कि पहले आयात की जाने वाली तकनीकें अब भारत में विकसित की जा रही हैं और भविष्य की वैश्विक चर्चा में शामिल उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि DRDO उद्योग, अकादमी और स्टार्टअप्स के सहयोग से एक नया R&D इकोसिस्टम तैयार कर रहा है। यह प्रयास अब केवल सरकारी प्रयास नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय प्रयास बन गया है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “DRDO, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ, निजी उद्योग, स्टार्टअप्स और अकादमी मिलकर रक्षा नवाचार में नए मानक स्थापित कर रहे हैं। हमारे युवा AI, साइबर सुरक्षा, रोबोटिक्स, क्वांटम कम्युनिकेशन और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उभरती हुई तकनीकें न केवल सेनाओं को आधुनिक बनाती हैं बल्कि युवाओं के लिए नए अवसर भी खोलती हैं।”

समिति के अन्य सदस्यों ने ACE क्लस्टर की उपलब्धियों की सराहना की और भविष्य की नीति निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि उनके सुझावों पर उचित ध्यान दिया जाएगा।

बैठक में राज्य मंत्री संजय सेठ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार, रक्षा R&D सचिव एवं DRDO अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। DG (ACE) और क्लस्टर के निदेशक एवं वैज्ञानिक भी बैठक में शामिल हुए।

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