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शिक्षकों का संतुलित पदस्थापना से मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

रायपुर। कोरिया जिले में शिक्षकों और स्कूलों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया से शिक्षा व्यवस्था को नया आयाम मिलने की उम्मीद है। जिला कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने 5 जून को कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि यह प्रक्रिया शिक्षा में समानता, गुणवत्ता और संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अवसर पर अपर कलेक्टर अरुण मरकाम एवं जिला शिक्षा अधिकारी जितेन्द्र गुप्ता भी मौजूद थे।

कलेक्टर श्रीमती त्रिपाठी ने बताया कि नगरीय और ग्रामीण अंचलों में शिक्षकों के पदस्थापना में असंतुलन है। शहरी क्षेत्रों में शिक्षक अपेक्षाकृत अधिक हैं, जबकि दूरस्थ गांवों में शिक्षकों की भारी कमी से शिक्षण गुणवत्ता और छात्र प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेंगे विषय विशेषज्ञ शिक्षक

कलेक्टर ने बताया कि अब गणित, भौतिकी, रसायन और जीवविज्ञान जैसे विषयों के विशेषज्ञ शिक्षक भी ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इससे छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित होगा और विद्यार्थियों को विषयवस्तु की बेहतर समझ मिलेगी। इन शिक्षकों का पुनः समायोजन कर जरूरतमंद विद्यालयों में पदस्थापना की जा रही है। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया किसी भी प्रकार की कटौती नहीं, बल्कि शिक्षा सुधार की दिशा में उठाया गया व्यावहारिक कदम है। यह समूचा प्रयास शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है। कलेक्टर ने कहा कि यह परिवर्तन जिले के शैक्षिक और समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस अवसर पर उन्होंने मीडिया से अपील की कि वे इस पहल को सकारात्मक रूप में जनमानस तक पहुंचाएं, ताकि समाज में शिक्षा को लेकर विश्वास और जागरूकता बढ़ सके।

दो प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन और 57 एकल शिक्षक स्कूल

जिले की स्थिति का विवरण देते हुए कलेक्टर ने बताया कि कोरिया जिले में 2 प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन और 57 एकल शिक्षक स्कूल हैं। वहीं, 95 प्राथमिक और 75 पूर्व माध्यमिक शिक्षक जिले में अतिशेष हैं। इनका पुनः समायोजन कर शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय शालाओं में पदस्थापना की जा रही है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया किसी भी प्रकार की कटौती नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य शिक्षा में सुधार लाना है।

एक भी स्कूल का समायोजन नहीं

 जिले में 145 में से एक भी स्कूल का समायोजन नहीं किया गया है। राज्य में भी केवल 241 स्कूलों का समायोजन किया गया है, जबकि 10,297 स्कूल यथावत संचालित रहेंगे। युक्तियुक्तकरण के लाभों को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि इससे विद्यार्थियों को बेहतर भवन, प्रयोगशाला, लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही परिसर में मिल सकेंगी। साथ ही, बच्चों की ड्रॉपआउट दर में कमी, तीन बार प्रवेश प्रक्रिया से मुक्ति और पढ़ाई की निरंतरता सुनिश्चित होगी।

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