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आरक्षण पर CM बघेल राज्यपाल पर भड़के - बोले- राज्यपाल के पास इतना अधिकार नहीं कि युवाओं के जीवन को संकट में डाल दें

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गैर भाजपा शासित राज्यों में राजभवन की भूमिका की समीक्षा की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल के पास इतने अधिकार नहीं हैं कि वे युवाओं के जीवन को संकट में डाल दें। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 132वीं जयंती पर शुक्रवार को राजधानी रायपुर के कलेक्ट्रेट स्थित अंबेडकर प्रतिमा के सामने आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है।


लोकतंत्र खतरे में है। संसद में राहुल गांधी के प्रश्न पूछने पर उनका बंगला खाली करा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष और पत्रकार का काम प्रश्न पूछना है। प्रदेश में आरक्षण संशोधन विधेयक राजभवन में लटकने के मामले में मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां भाजपा के इशारे पर आरक्षण लागू नहीं होने दिया जा रहा है। बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान दिया जो हमें अधिकार संपन्न बनाता है।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि आरक्षण को लेकर अभी तमिलनाडु में विधानसभा से विधेयक पारित हुआ। आखिर किसी विधेयक को कितने दिन रोका जा सकता है। आरक्षण विशुद्ध रूप से राज्य का विषय है, उसे राज्यपाल चार-पांच महीने से रोक कर बैठे हैं। यहां के छात्र-छात्राओं को दाखिला लेना है, नौकरी की भर्ती होनी है। अगर रोका गया है तो उसकी समीक्षा क्यों नहीं होनी चाहिए। राज्यपाल या तो आरक्षण विधेयक लौटा दें या फिर हस्ताक्षर करें।

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ विधानसभा से दो दिसंबर को आरक्षण संशोधन विधेयक पारित हो चुका है। इसमें अनुसूचित जनजाति के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिए 13, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 और ईडब्ल्यूएस के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान किया गया है। मुख्यमंत्री बघेल ने अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके कहा कि एक तरफ देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, वहीं दूसरी तरफ बाबा साहब अंबेडकर दबे कुचले समाज को संगठित कर उन्हें अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। बाबासाहेब ने समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षित और संगठित होकर संघर्ष करने की प्रेरणा दी।


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