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11 गंभीर कुपोषित बच्चे इलाज के बाद हुए सामान्य श्रेणी में शामिल, कुपोषण दर में आई डेढ़ प्रतिशत की कमी

महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन 01 सितंबर से 30 सितंबर तक किया गया। सभी आंगनबाड़ी  कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने पोषण से संबंधित जन जागरूकता के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की। पोषण माह का आयोजन कुपोषण मुक्ति के लिए पुरूषों की भागीदारी की थीम पर किया गया। जांजगीर-चांपा के परियोजना नवागढ़ के अंतर्गत 11 गंभीर कुपोषित बच्चे इलाज के बाद सामान्य श्रेणी में शामिल हो गए हैं। 

नवागढ़ परियोजना अधिकारी ने बताया कि वजन त्यौहार के दौरान चिन्हांकित गंभीर कुपोषित बच्चों का फॉलोअप लिया गया।  गृह भेंट के द्वारा उनकी लंबाई, ऊंचाई, वजन का मापन कार्यकर्ता, सहायिका और मितानीन द्वारा संयुक्त रूप से किया। नवागढ़ परियोजना के गंभीर कुपोषित 11 बच्चे जिन्हें विशेष खानपान, देखरेख की आवश्यकता थी, उन्हें पोषण पुर्नवास केन्द्र (एनआरसी) जांजगीर मे भर्ती कराकर 15 दिन तक समुचित इलाज और देखरेख का लाभ दिलाया गया। 


सभी बच्चों के वजन मे क्रमिक रूप से वृद्धि दर्ज की गई। ग्राम पंचायत अवरीद में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से मुख्यमंत्री बाल संदर्भ शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें कुल 32 गंभीर कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य जांच कराकर दवाई उपलब्ध कराई गई। वहीं अति गंभीर 02 बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) जांजगीर मे भर्ती कराकर समुचित इलाज दिया जा रहा है।  

जिले में कुपोषण दर में आई डेढ़ प्रतिशत की कमी 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुपोषण मुक्ति की पहल पर छत्तीसगढ़ में 2 अक्टूबर 2019 को शुरू हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का आज 2 साल पूरा हुआ। इस अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। महासमुंद जिले के पूरे क्षेत्र में कुपोषण और एनीमिया को जड़ से समाप्त करने कार्ययोजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। इस कार्यकम में जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

विभिन्न प्रकार की गतिविधियां आयोजित

महिला एवं बाल विकास अधिकारी समीर पांडे ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत महासमुंद जिले में  2 अक्टूबर 2019 को आंगनबाड़ी केंद्र बरोंडाबाजार से किया गया था। अभियान का उद्देश्य बच्चों में कुपोषण को कम करने और महिलाओं, किशोरी बालिकाओं में एनिमिया को कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया था। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में कुपोषण को कम करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां आयोजित की गई। 

डेढ़ प्रतिशत बच्चे कुपोषण मुक्त

सभी हितग्राहियों को गर्म भोजन प्रति सोमवार,बुधवार और शुक्रवार को रेडी टू ईट खिलाया जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ द्वारा नियमित रूप से गृह भेंट करके व्यक्तिगत साफ-सफाई, स्वास्थ्य जांच, कृमि नाशक दवा खिलाया गया। आंगनबाड़ी केंद्रों में मिलने वाली पूरक पोषण रेडी टू ईट को 6 दिन में खिलाने की समझाइश दी  जाती है । खान-पान में विशेष ध्यान जा रहा है, जिसमें रोटी हरी सब्जी और मुनगा भाजी नियमित रूप से बच्चों को खिलाने की सलाह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा बच्चों के माता-पिता को दिया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में जिले के डेढ़ प्रतिशत बच्चे कुपोषण मुक्त हुए हैं और कुपोषण की दर में गिरावट आई।

पोषण दिवस का आयोजन

सुपोषण अभियान के अंतर्गत जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में सुपोषण वाटिका तैयार कर सब्जी का उपयोग भी किया जा रहा है। साथ में सभी प्रकार के स्थानीय साग भाजी और खाद्य पदार्थों को शामिल कर भोजन में विविधता कर खाते रहने की सलाह दी गई। ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण दिवस का आयोजन कर हितग्राहियों को लाभांवित किए गए। आंगनबाडी कार्यकर्ता द्वारा हितग्राहियों की नियमित रूप से टीकाकरण और वजन लिया गया। कोरोना काल में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप कुपोषण दूर करने और कोरोना जागरूकता के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर घर जाकर सूखा राशन, रेडी टू ईट और चिक्की का वितरण किया गया। साथ ही लोगों को कोरोना के प्रति भी जागरूक किया गया।

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत बीते महीने 10 अगस्त से फिर हफ्ते में तीन दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को गुणवत्तापूर्ण गरम पौष्टिक भोजन हितग्राहियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। लॉकडाउन और कोरोना के चलते बच्चों के बेहतर सेहत के चलते बंद किया गया था। जिसे फिर 10 अगस्त से जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में 6453 सभी कुपोषित बच्चों और 15 से 49 आयु के 10271 एनीमिक पीड़ित बालिकाएं और महिलाओं को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं और सहायिकाएं अब गरम भोजन परोस रही है। ताकि बच्चें सुपोषित हो और बालिका और महिलाएं एनीमिक की कमी से बाहर निकले। 

महिलाओं के कुपोषण में कमी

इसी प्रकार खनिज न्यास निधि से कमार जनजाति के 3 से 6 आयु वर्ग के 96 बालकों और 1 से 49 आयु वर्ग की 1428 बालिका और महिलाओं को हफ्ते में तीन दिन मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को उनके घर जाकर उबला अंडा प्रदाय किया जा रहा है। इसमें भी बच्चों और महिलाओं के कुपोषण में कमी आई है। मार्च 2021 की बात करें तो मध्यम 3 से 6 साल के मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 37 थी। जिसमें 7 बच्चे सुपोषित हए। 

7 गंभीर कुपोषित बच्चों में से 3 बच्चे सुपोषित 

वहीं 7 गंभीर कुपोषित बच्चों में से 3 बच्चे सुपोषित हुए। कमार एनीमिक बालिकाओं और महिलाओं की बात करें तो 52 मध्यम एनीमिक महिलाओं में से 4 महिलाएं इससे बाहर आए हैं। गंभीर 15 महिलाओं में से 6 महिलाएं एनीमिक पीड़ित से बाहर निकली। जिले में इस योजना का सफल संचालन हो रहा है और कुपोषित बच्चों और एनीमिक पीड़ित महिलाओं में गिरावट आ रही है।

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