छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के राजधानी के शास्त्री चौक स्थित आयोग कार्यालय में अध्यक्ष किरणमयी नायक ने 7 जुलाई को रायपुर संभाग की महिलाओं की शिकायतों पर जन-सुनवाई की। जन-सुनवाई के चौथे दिन की जन सुनवाई के साथ 4 दिनों में रायपुर सम्भाग के 100 प्रकरणों की सुनवाई पूरी हो गई है। आयोग के समक्ष आए एक प्रकरण में आवेदिका की बच्ची है, यह जानते हुए अनावेदक ने उससे आर्य समाज में शादी की।
नेशनल लोक अदालत के लिए 13 खंडपीठ गठित, 522 लंबित और 540 प्री-लिटिगेशन प्रकरणों की होगी सुनवाई
शादी के बाद पति द्वारा बच्ची के पालन-पोषण के लिए मना करने को अध्यक्ष नायक ने गंभीरता से लेते हुए अनावेदक को आवेदिका को सम्मानपूर्वक रखने की समझाइश देते हुए आयोग की काउंसलर को दोनों पक्षों की निगरानी के लिए नियुक्त किया। इसी तरह आयोग के समक्ष आए 2 प्रकरणों में से एक में अनावेदक ने अपने 2 बच्चों के लिए 5 हजार रूपये नियमित रूप से देने और दूसरे में अनावेदक ने आवेदिका को 3 हजार रूपये भरण-पोषण राशि देने की सहमति दी।
40 हजार प्रकरण चिन्हांकित, विशेष न्यायाधीश की नियुक्ति
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देशानुसार 10 जुलाई 2021 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है, इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ राज्य में भी तालुका स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में 10 जुलाई को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया है। जिसमें राजीनामा योग्य प्रकरणों को पक्षकारों की आपसी सुलह समझौता से निराकृत किया जाएगा। प्रकरणों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ ही 322 खंडपीठों का गठन और 40 हजार प्रकरण चिन्हांकित किए गए हैं।
सिटिंग की शक्ति
लोक अदालत में पक्षकार अपने निकटस्थ व्यवहार न्यायालय, जिला न्यायालय या विधिक सेवा संस्थान से संपर्क कर अपने प्रकरणों को अपनी भौतिक उपस्थिति के अतिरिक्त वर्चुअल मोड के द्वारा भी जुड़कर अपने प्रकरणों का निराकरण करा सकते हैं। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार मजिस्ट्रेट को स्पेशल सिटिंग की शक्ति प्रदान की गई है, जिसके चलते मजिस्ट्रेट अपनी शक्तियों का प्रयोग कर राजीनामा के अतिरिक्त छोटे मामलों में स्वीकृति के आधार पर मामले को निराकृत कर सकेंगे।
इन प्रकरणों पर होगी सुनवाई
इसके अलावा विशेष प्रकरणों जैसे धारा 321 दप्रसं, 258 दप्रसं और पेट्टी आफेन्स के प्रकरणों को भी रखा जाकर निराकृत किया जाएगा। कोरोना काल में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत दर्ज प्रकरणों का भी निराकरण किया जाएगा। इस लोक अदालत में फैमिली कोर्ट, स्थायी लोक अदालत, श्रम न्यायालयों के प्रकरण, बैंक वसूली, बिजली, पानी, श्रम न्यायालय मोटर दुर्घटना के प्रकरण, वैवाहिक मामले, धारा 138 चेक बाउंस मामले, समस्त सिविल मामले जो न्यायालय में लंबित है, इसके अलावा ऐसे मामले जो न्यायालय में अभी पेश नहीं हुए हैं, (प्री-लिटिगेशन) को निराकृत किया जाएगा। इसके साथ ही पक्षकारों के बीच लोक अदालत की तिथि के पूर्व प्री-सिटिंग के माध्यम से भी प्रकरणों को निराकृत किया जाएगा।