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अलग-अलग जिलों में रुकवाया गया 15 बाल विवाह, परिजन को दी गई समझाइश


छत्तीसगढ़ में मुख्यत अक्षय तृतीया और रामनवमी के अवसर पर शादी किए जाने के प्रचलन हैं, जिसमें बाल विवाह होने की भी संभावनाएं होती है। बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लागने के लिए सचिव, छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर सुझावात्मक बिन्दु दिए थे।









कवर्धा जिला कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा के निर्देशन में कोविड-19 गाइडलाइन की कड़ाई से पालन कराने और बाल विवाह पर रोक लगाने राजस्व विभाग, पंचायत विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं पुलिस विभाग के दल द्वारा जिले सभी पंचायतों और नगरीय क्षेत्रों का सघन भ्रमण कर जानकारी ली गई





बेमेतरा में रुकवाई गई शादी





सघन जांच के दौरान इंदौरी गांव में एक नाबालिग लड़के की बेमेतरा निवासी एक लड़की के साथ शादी करने के लिए बारात निकलने की तैयारी की सूचना मिली, जिस पर नायब तहसीलदार हेमन्त पैकरा , पिपारिया थाना प्रभारी मुलचंद पाटले और महिला एवं बाल विकास विभाग बाल संरक्षण टीम ने विवाह स्थल जाकर लड़के के उम्र संबंधित दस्तावेजों का सूक्ष्म परीक्षण किया।





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दस्तावेजों में लड़के की उम्र 21 साल से कम पाई गई, जिस पर टीम ने तत्काल शादी स्थिगित कराते हुए बारात निकलने से पहले ही रोक लिया। इसी दौरान एक और बारात बेमेतरा के लिए निकल जाने की जानकारी प्राप्त हुई, जिसमें लड़का दस्तावेज के मुताबिक बालिग था, लेकिन टीम को शक हुआ की लड़की की उम्र कम हो। इस पर नायब तहसीलदार के निर्देश पर बेमेतरा की बाल संरक्षण टीम को विवाह स्थल भेजकर लड़की की उम्र सत्यापन कराया गया, जिस में लड़की की उम्र 18 साल से कम निकली। इसके बाद वहां भी बाल विवाह रोका गया।





दो नाबालिग भाईयों की रुकवाई गई शादी





इसी तरह घुघरी में दो नाबालिग भाईयों की शादी किए जाने की सूचना मिली, जिस पर तहसीलदार मनीष वर्मा , पुलिस और महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल संरक्षण टीम ने विवाह स्थल जाकर दोनों लड़के के उम्र संबंधित दस्तावेजों का सूक्ष्म परीक्षण किया, जिसमें दोनों लड़कों के उम्र 21 साल से कम पाया गया। जिस पर टीम ने तत्काल विवाह स्थिगित कराया और कोविड-19 के दौरान विवाह आयोजन की अनुमति नहीं लेने के कारण पांच हजार रूपये का जुर्माना भी लयागा।





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तहसीलदार ने दी बाल विवाह से संबंधित जानकारी





तहसीलदार मनीष वर्मा ने मौके पर उपस्थित लोगों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि 21 साल से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम उम्र की लड़की के विवाह को प्रतिबंधित किया गया है। बाल विवाह जैसे सामाजिक बुराई को समाज से समूल समाप्त करने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह करने या कराने वाले वर और वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बराती यहां तक पुरोहित पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसमें कड़ी सजा का भी प्रवाधान है, जो 2 वर्ष का कठोर कारावास और 1 लाख रूपये तक जुर्माना हो सकता है। या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है।





अक्षय तृतीया के दिन रुकवाया गया 11 बाल विवाह





सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा के निर्देशानुसार महिला एवं बाल विकास, पुलिस और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम द्वारा अक्षय तृतीया के दिन 14 मई को जिले के विभिन्न गांवों में आयोजित 11 बाल विवाह को रुकवाया गया। जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी बसंत मिंज ने बताया कि टीम के द्वारा सूचना के आधार पर शादी घर में जाकर लड़कियों के उम्र संबंधी दसतावेज से नाबालिग होने की पुष्टि पर उनके परिजनों को समझाइश देकर विवाह स्थगित करवाया गया।





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उन्होंने बताया कि अंबिकापुर जनपद के कोरिमा, लखनपुर जनपद के पुटा, तुरना, जयपुर, उदयपुर जनपद के खरसुरा और मटिरिंगा, लुंड्रा जनपद के लालमाटी, रायकेरा और पडौली, दरिमा तहसील के बरकेला में 2 बाल विवाह रुकवाया गया।


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