महासमुंद। कभी वह दसवीं फेल शासकीय सेवक था। आज सुशिक्षित और समृद्ध किसान हैं। 74 वर्षीय आनंदराम पटेल (Farmer Aanandram Patel Success story) के जीवन संघर्ष की कहानी प्रेरणादायी है। वह अपने जमाने में 10 वी फेल था। 43 साल पहले महासमुन्द के दूरस्थ अंचल के गॉव कोकड़ी में रहते थे। परिवार समेत इस गॉव में किसानी करते और अपने परिवार का जीविका उपार्जन करते थे।खेती और गोपालन से परिवार का गुजारा चल जाता था। 24 सदस्यों का परिवार था। घर में हर काम सहभागिता से होता था।दसवीं फेल होने के बवाजूद उस जमाने में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद पर आनंद का चयन हो गया। सरकारी नौकरी लग गया कहकर चल पड़े। तब वैक्सीनेटर के नाम से जाना जाता था। नौकरी करते- करते पढ़ाई जारी रखी। मैट्रिक, कालेज की पढ़ाई करके स्नातकोत्तर डिग्री हासिल कर लिया। स्वच्छता निरिक्षक (सेनेटरी इंस्पेक्टर) के पद पर सरकारी नौकरी मिल गयी। बावजूद अपनी धरती-अपने लोगों के प्रति लगाव कम नहीं हुआ।
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पचास साल बाद भी याद है ‘‘गुरूमंत्र"
कोकडी गॉव मे रहने वाले आनंदराम पटेल पास (Chhattisgarh's Farmer Story) के गांव खट्टा के सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते थे। उस समय के गुरूजी संगमलाल पाठक की उन्हे बहुत सारी बातें 'गुरूमंत्र' आज भी याद हैं। पुरानी यादों में खोते हुए आनंदराम मानवीय शिक्षा शोध केन्द्र तेंदुवाही के संचालक गेंदलाल कोकड़िया से खास बातचीत में बताते हैं कि गुरूजी अक्सर कहा करते थे ‘‘इज्जत दोगे, तो इज्जत मिलेगा। ‘‘ इस गुरूमंत्र को वे आज भी आत्मसात किये हुये हैं। और हर छोटे-बडे,गरीब-अमीर,मजदूर-किसान,उद्योगपति सभी को समान इज्जत देते हैं। जिससे उनका सारा काम आसानी से हो जाता है।

वैक्सीनेटर ,स्वास्थ्य कार्यकर्ता के नौकरी लगने के बाद जब गुरूजी से मिलने महासमुंद पहुंचे तब उस समय 10वी फेल थे। गुरूजी संगमलाल ने कहा- ‘‘बेटा क्या कर रहे हो? रायपुर में ।आनंदराम बोले ,अब नौकरी लग गया। मजे से हूँ ,अब क्या पढ़ाई करना। इस पर गुरूजी डांटे और बोले ‘‘तुम्हारे जैसा कोई मूर्ख होगा ? " पढ़ाई कभी खत्म नही होती है। ये तो जन्म-जन्मांतर तक का ज्ञान है। पढ़ने वाले कभी रिटायर नहीं होता। जिसने अपने आपको ‘‘अपडेट‘‘ करना बंद कर दिया, वह ‘‘कबाड़‘‘ हो जाता है। इस गुरूमंत्र को याद कर ही वे आगे की पढ़ाई पूरी किये ।
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करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं आनंदराम
कोकड़ी गाॅव के किसान आंनदराम पटेल (Farmer Aanandram Patel Success story) जो 43 साल तक स्वच्छता निरिक्षक,सेनेटरी इंस्पेक्टर की रायपुर राजधानी में नौकरी किये। जिनका छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 10 कमरों का आलिशान मकान है।रायपुर के मकान को अपने सुपुत्र संतोष के हवाले करते हुए कहा कि ‘‘मुझे मेरी जन्मभूमि बुला रही है।" और वापस गॉव आकर 30 एकड़ जमीन खरीदी। छोटा सा मकान बनाकर पिछले 6 वर्षो से खेती कर खुशहाली के साथ जी रहे हैं। बचपन के अपने मित्रों के साथ गुजर-बसर कर रहे हैं।इंस्पेक्टर को देखकर कोई पहचान नहीं पायेगा। हाथ में रॉपा,बदन में बनियान और लुंगी। रायपुर में सुगर की दवाई खाते थे,गॉव आने के बाद अब इसकी जरूरत ही नहीं।
आनंदराम पटेल का जीवन सबके लिये प्रेरणास्पद है। जननी और जन्मभूमि का प्यार स्वर्ग से भी बढ़कर होता है। यह आनंद ने साबित कर दिया है।