एक परिवार ने अपनी बहू को जिला अस्पताल में इस आस से भर्ती कराया कि उसे बेटा पैदा होगा लेकिन जब बहू ने बेटी को जन्म (Daughter A Curse)दिया. फिर क्या था ससुरालवालों ने बहू का हालचाल लेना तो दूर वो लोग बहू को जिला अस्पताल में छोड़कर फरार हो गए. अब दस दिन से जच्चा अस्पताल के वार्ड नंबर 9 में अपने पति का इंतजार कर रही है.
उत्तर प्रदेश में देवबंद के गांव भनेडा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर लोग यह सोचने पर मजबूर हो रहे हैं कि क्या बेटी पैदा होना गुनाह है? सरकार हो या फिर समाज के जिम्मेदार शख्स हर कोई चिल्ला-चिल्लाकर बोल रहा है कि इस हाईटेक युग में बेटी किसी बेटे से कम नहीं है. नारा दिया जा रहा है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ लेकिन देवबंद क्षेत्र के गांव भनेड़ा के रहने वाले एक परिवार की मानसिकता अभी भी पिछड़ी(Daughter A Curse) हुई है.
दरअसल, एक परिवार ने अपनी बहू को जिला अस्पताल में इस आस से भर्ती कराया कि उसे बेटा पैदा होगा लेकिन जब बहू ने बेटी को जन्म दिया. फिर क्या था ससुरालवालों ने बहू का हालचाल लेना तो दूर वो लोग बहू को जिला अस्पताल में छोड़कर फरार हो गए. अब दस दिन से जच्चा अस्पताल के वार्ड नंबर 9 में अपने पति का इंतजार कर रही है.
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दरअसल, मंडी कोतवाली क्षेत्र के गांव खाताखेड़ी के रहने वाले नसीम अहमद की बेटी आएशा का निकाह करीब डेढ़ साल पहले देवबंद कोतवाली क्षेत्र के गांव भनेड़ा के रहने वाले युवक के साथ हुआ था. शादी के बाद सब कुछ बेहतर चल रहा था. आएशा गर्भवती हो गई, पति हर दिन आएशा से बोलता था कि बेटा ही पैदा करना जबकि आएशा कहती थी कि बेटी हो या बेटा उसके लिए दोनों समान हैं.
महिला का कहना है कि इस बात पर पति उसे पीटता था उत्पीड़न करता था. 22 जनवरी को आएशा को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. 22 जनवरी की देर रात आएशा ने एक बेटी को जन्म दिया. जैसे ही इस बात की खबर ससुरालियों को लगी तो जिला अस्पताल से पति सास और ससुर बहू का हालचाल जाने बगैर ही गायब हो गए.
करीब पांच दिन के बाद बहू आएशा ने अपने पति को फोन किया तो उसने कहा कि वह अब उसे नहीं रखेगा. वह कहीं और अपनी शादी कर सकती है. बेटी को भी ले जा सकती है. साथ ही पति ने कहा, 'आज के बाद यहां फोन मत करना. लड़की पैदा (Daughter A Curse)की है. कहा था न कि बेटा पैदा करना. अपने घर में रहो. मैंने आजाद कर दिया है तुझे. तेरा बाप मुझे क्या देगा. लड़की पैदा होने से पहले मकान मांगा करते थे. वह तक नहीं दिया.' इसके बाद आएशा के पिता नसीम अहमद ने उसके ससुरालियों से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई बात नहीं की. आएशा अभी भी जिला अस्पताल में अपनी दुधमुंही बच्ची को गोद में लेकर अपने पति और ससुराल वालों का इंतजार कर रही है.
आयशा के परिजन अभी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहते. परिजनों का कहना है कि वो चाहते हैं कि आयशा का घर फिर से बसे और आयशा का पति व ससुराल वाले उसको फिर से अपनाएं. यदि ऐसा नहीं होता तब वे आगे की कानूनी कार्रवाई करेंगे. इस समबन्ध में एसपी सिटी विनीत भटनागर ने कहना है कि इस मामले में गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जायेगी .