छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के जंगलों के बीच गणेश जी का एक अनोखा मंदिर है। यहां विघ्नहर्ता गणपति बप्पा का जुड़वां स्वरुप विराजित है। हैरान मत होइए, जी हां बारसूर इलाके (Barsur Ganesh Temple Dantewada) में जुड़वां गणपति है। यहां बप्पा की एक जैसी 2 मूर्तियां है। फर्क बस इतना है कि एक बड़ी तो दूसरी छोटी है।
मोनोलिथिक है मूर्तियां
इन मूर्तियों की खासियत ये है कि यह दोनों ही मोनोलिथिक है। लोगों की मान्यताएं है कि यहां आकर दर्शन करने वालों के कष्ट विघ्नहर्ता हर लेते है।
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बेटी के लिए राजा ने बनवाया था ये मंदिर
कहा जाता है कि इस मंदिर को यहां के राजा ने अपनी बेटी के लिए बनवाया था। राजा बाणासुर का वर्णन पुराणों में मिलता है, उनके नाम पर ही इस नगर का नाम बारसूर पड़ा। राजा की बेटी उषा और उनके मंत्री की बेटी चित्रलेखा आपस में पक्की सहेलियां थीं। दोनों गणेश जी की भक्त थीं पर आस-पास गणेश जी का कोई मंदिर नहीं था। इस वजह से दोनों मन ही मन गणेश जी की अराधना करती थी। उषा ने मंदिर न होने की बात अपने पिता से कही।
फिर क्या था बाणासुर ने दोनों सहेलियों के लिए गणेश जी की मूर्तियों का निर्माण करा दिया। यह अनोखा मंदिर जुड़वा में (Barsur Ganesh Temple Dantewada) प्रतिमाएं विराजमान है। दोनों सहेलियां रोज उस मंदिर में गणेश जी की पूजा करने जाया करती थीं। कहा जाता है कि गणपति उषा और चित्रलेखा की साधना से प्रसन्न हुए थे और तब से यहां आने वाले अपने सभी भक्तों की हर कामना पूरी करते हैं।
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हुआ करते थे ढेरों मंदिर और तालाब
बारसूर में कभी 147 मंदिर और अनेक तालाब हुआ करते थे। बारसूर को तालाबों और मंदिरों का शहर कहा जाता था। जहां कभी 147 मंदिर हुआ करते थे वहां आज सिर्फ 5 या 6 मंदिर बचे हुए है। अधिकांश तालाब सूख चुके गए।