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ट्रांजेक्शन फेल होने पर न करें ये गलती, पड़ सकता है भारी


छत्तीसगढ़ में दूसरे गंभीर अपराधों के साथ ही साइबर अपराध (Cyber crime in Chhattisgarh) के मामले भी रोजाना बढ़ते जा रहे है। शातिर बदमाश अलग-अलग तरीके से ठगी (fraud) के वारदात को अंजाम दे रहे हैं। आजकल ज्यादातर शॉपिंग में ट्रांजैक्शन ऑनलाइन के माध्यम से कर रहे हैं। इस वजह से ऑनलाइन ठगी (Online fraud) जैसे अपराधिक मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लोग कई तरह से ठगी का शिकार होते हैं जैसे ऑथेंटिक साइट लोग चेक नहीं करते हैं या कस्टमर केयर का नंबर गूगल से निकालकर डायल करते हैं। इस तरह की छोटी-छोटी गलतियों के कारण वे ठगी का शिकार हो जाते हैं।





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छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध, जानिए कैसे करें बचाव





बता दें कि 17 दिसंबर को तेलीबांधा थाना क्षेत्र में एक साइबर ठगी (Online fraud) का अपराध दर्ज किया गया, जिसमें सीआरपीएफ में पदस्थ एक ASI के साथ 81 हजार रुपये की ऑनलाइन ठगी (Online fraud) हुई थी। दरअसल ASI छुट्टी पर अपने गांव राजस्थान जा रहा था। रास्ते में उसने अपनी गाड़ी में पेट्रोल भरवाया। इस दौरान उसने अपने कार्ड से 2900 का ट्रांजेक्शन किया। पैसा कट जाने के बाद ट्रांजेक्शन फेल आया। दूसरी बार भी 2900 का ट्रांजेक्शन सीआरपीएफ के जवान ने किया, लेकिन इस बार भी ट्रांजेक्शन फेल बताया गया। किसी तरह जवान ने दूसरे से पैसे मांग कर पेट्रोल पंप वाले को दिया।









जवान इस तरह हुए ठगी के शिकार





पेट्रोल पंप में दो बार ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने के बाद भी जब ट्रांजेक्शन फेल बताया गया और पैसे एकाउंट से कटे तो परेशान जवान ने गूगल सर्च इंजन पर कस्टमर केयर का नंबर ढूंढा और फोन लगाया। फोन एक युवक ने रिसीव किया। जिसके बाद शुरू हुआ ठगी का खेल। परेशान ASI ने अपनी शिकायत युवक को बताई। युवक ने ऑनलाइन पैसा वापस करने का झांसा दिया और धीरे-धीरे उसके अकाउंट में पड़े 81000 रुपये ठग ( fraud) लिए।









विधायक के भतीजे से I Phone के नाम पर हजारों रुपये की ठगी





पुलिस ने बताया कि 17 दिसंबर को पीड़ित ने गूगल पर नंबर सर्च कर कस्टमर केयर (Customer Care) पर फोन लगाया। ठग ने उन्हें 24 घंटे में पैसा वापस करने का झांसा दिया और जानकारी देने के बाद ओटीपी नंबर पूछा। एएसआई ने अपना ओटीपी नंबर शेयर किया। इसके बाद उसके खाते से अलग-अलग किस्तों में 81000 रुपए कट गए। संपर्क करने पर शातिर ठग पैसा वापस दिलाने का भरोसा देता रहा और फोन काट दिया। ASI ने दोबारा उसे कॉल लगाया, लेकिन उससे संपर्क नहीं हो सका। पीड़ित ने तेलीबांधा थाने में इसकी शिकायत की। साइबर सेल की टीम ने ASI के नंबर को ब्लॉक कर दिया।









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कई बार ऐसा देखा गया है कि किसी को ऑनलाइन शिकायत करनी रहती है या किसी प्रकार की शिकायत करनी रहती है तो गूगल पर कस्टमर केयर (Customer Care) का नंबर सर्च करते हैं और यही आदत साइबर अपराधियों को पता होती है। इसीलिए साइबर अपराधी (Cyber ​​criminal) ऐसा लिंक बनाते हैं जहां से साइबर अपराधियों (Cyber ​​criminals) के नंबर रजिस्टर रहते हैं। कस्टमर केयर के नाम से वे कई बार लोगों को फोन करते हैं और अपने आप को कस्टमर केयर (Customer Care) ऑफिसर या बैंक के अधिकारी बताकर लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं।





साइबर एक्सपर्ट (Cyber ​​expert) ने दी जानकारी





साइबर एक्सपर्ट (Cyber ​​expert) ने बताया कि वे काफी ट्रेन्ड ठग होते है। उन्हें पहले से ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें कंप्यूटर का सारा नॉलेज होता है। जैसे ही कोई उन्हें फोन करता है वे संबंधित की पूरी डिटेल निकाल लेते है। जैसे कहां के रहने वाले है, कौन सा नंबर इस्तेमाल करते हैं। ये ठग लोगों को लिंक डाउनलोड करने या एप्लीकेशन डाउनलोड करने का झांसा देते हैं और ठगी का शिकार बनाते हैं।





कस्टमर केयर के नाम से हो रहे ठगी





जिस एप्लीकेशन से शॉपिंग करें, उस एप्लीकेशन में कस्टमर केयर के नंबर पर कॉल करके बात करें।एप्लीकेशन में कस्टमर केयर का नंबर नहीं मिलने पर चैट करने का भी ऑप्शन रहता है। उस पर क्लिक करने पर एप्लीकेशन से जुड़े लोगों से बात कर समस्या का हल किया जा सकता है। किसी भी एप्लीकेशन में ईमेल एड्रेस के थ्रू भी जुड़ा जा सकता हैं।





अगर करते है ऑनलाइन शॉपिंग तो इन बातों का रखे ख्याल





एक तरफ केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को पूरी तरह कैशलैस बनाने पर जोर दे रही है, दूसरी तरफ साइबर अपराध लोगों की टेंशन बढ़ा रहा है। आज के समय में पान वाले से लेकर बड़े व्यापारी तक सभी के पास ऑनलाइन पेमेंट की व्यवस्था होती है। इस ऑनलाइन के जमाने में पूरा बाजार एक क्लिक में उपलब्ध हो जाता है। ऑनलाइन शॉपिंग कोरोना काल में लोगों ने जोरो-शोरों से की है। एक तरफ इसके फायदे हैं तो कही नुकसान भी,इस तरह के ऑनलाइन (Online transaction fraud) प्लेटफार्म को कुछ ठगों ने अपना ऑनलाइन ठगी अड्डा बना लिया है।









ऑनलाइन ठगी होने पर सबसे पहले करे ये काम





अगर किसी भी व्यक्ति के साथ बैंकिंग और एटीएम जैसी ठगी (fraud) हुई है, तो तत्काल उसे अपने बैंक में इस बात की सूचना देनी चाहिए और अपना अकाउंट बंद या फ्रीज करा देना चाहिए। बैंकिंग फ्रॉड या एटीएम फ्रॉड में लोग आरबीआई के ऑनलाइन साइट में जाकर एक कंप्लेंट रजिस्टर करा देना चाहिए। साथ ही इसकी सूचना साइबर सेल के ऑफिस में जाकर दें। साइबर सेल की टीम आसानी से ठगों की लोकेशन का पता लगा सकती है और आपके अकाउंट में पड़े पैसे को होल्ड कर देती है।





साइबर सुरक्षा के लिए क्या करें और क्या न करें





क्या करें:-





  • अपना पासवर्ड किसी को न बताएं।
  • पासवर्ड को अक्षरांकीय में रखें अक्षरों/संख्याओं के साथ स्पेशल कैरेक्टर के कॉम्बिनेशन में बनाएं।
  • सोशल मीडिया के लिए बैंकिंग से अलग मोबाइल नंबर का प्रयोग करें।
  • अपने डिजिटल खातों में सिक्योरिटी प्रश्न,मोबाइल नंबर, एसएमएस अलर्ट, ऑल्टरनेट मेल आईडी अवश्य अंकित करें।
  • अलग-अलग एकाउंट के पासवर्ड अलग-अलग रखें।
  • सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करते समय प्राइवेसी/सिक्योरिटी सेटिंग का इस्तेमाल जरूर करें और उपयोग के मुताबिक प्राइवेसी सेटिंग्स हाई रखें।
  • उपयोग नहीं होने वाले सोशल मीडिया एकाउंट को डिलीट कर दें।




क्या न करें:-





  • अलग-अलग एकाउंट्स के लिए एक ही पासवर्ड इस्तेमाल न करें।
  • परिवार की महिलाओं का फोटो,मोबाइल नंबर,ईमेल आईडी, जन्मतिथि, घर से बाहर रहने के लोकेशन भी सोशल मीडिया पर न डालें, साथ ही बैंकिंग डिटेल्स सार्वजनिक पोस्ट न करे।
  • अपना पासवर्ड किसी को न बताएं।
  • अपने प्राईवेट फोटो किसी के मांगने पर शेयर न करें।
  • किसी भी अनजान व्यक्ति लड़का या लड़की/पुरुष या महिला से दोस्ती न करें और न ही स्वयं किसी को गलत मैसेज भेजें।





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