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नई दिल्ली में द्वितीय WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन का शुभारंभ, भारत की नेतृत्व भूमिका को मिली वैश्विक सराहना

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नई दिल्ली- भारत मंडपम, नई दिल्ली में आज द्वितीय WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन का भव्य उद्घाटन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव की उपस्थिति में किया। उद्घाटन सत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस का विशेष वीडियो संदेश भी प्रसारित किया गया।

17 से 19 दिसंबर 2025 तक आयोजित यह तीन दिवसीय वैश्विक वैज्ञानिक सम्मेलन “संतुलन की पुनर्स्थापना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान एवं व्यवहार” विषय पर आधारित है। सम्मेलन का संयुक्त आयोजन WHO और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा किया गया है। सम्मेलन के समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है।

भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका की सराहना

डॉ. टेड्रोस ने अपने संदेश में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका और WHO के साथ उसकी मजबूत साझेदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केवल तकनीक और उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि संतुलन, गरिमा और मानवता की साझा बुद्धिमत्ता से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025–2034 को इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य सभा ने अपनाया है, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक साक्ष्यों को मजबूत करना, गुणवत्ता व सुरक्षा सुनिश्चित करना और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल से शुरुआत करते हुए पारंपरिक चिकित्सा को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत करना है। इसी दिशा में भारत में WHO का वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र स्थापित किया गया है।

पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक मान्यता की दिशा

केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि भारत और WHO का सहयोग पारंपरिक चिकित्सा को विज्ञान, मानकों और साक्ष्यों के माध्यम से वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली का हिस्सा बनाने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि 2024 में ICD-11 मॉड्यूल-2 के तहत आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य वर्गीकरण में शामिल किया गया, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। जामनगर में बन रहा WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र अक्टूबर 2025 तक पूरा होने की दिशा में है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत 26 देशों के साथ समझौता ज्ञापन कर चुका है, 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग कर रहा है, 15 विश्वविद्यालयों में आयुष चेयर स्थापित की गई हैं और 43 देशों में आयुष सूचना केंद्र कार्यरत हैं। अश्वगंधा, गुडूची और मधुमेह पर आधारित आयुर्वेदिक शोध से वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक प्रमाण मजबूत हो रहे हैं।

‘अश्वगंधा’ पर विशेष सत्र

सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण “अश्वगंधा: पारंपरिक ज्ञान से वैश्विक प्रभाव तक” विषय पर आयोजित समानांतर सत्र रहा, जिसमें अश्वगंधा के चिकित्सीय लाभों पर वैश्विक विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत किए। सत्र में इसके तनाव-निवारक, तंत्रिका-संरक्षक और रोग प्रतिरोधक गुणों पर चर्चा हुई तथा मानकीकरण, सुरक्षा मूल्यांकन और वैश्विक मानकों के सामंजस्य पर बल दिया गया।

संतुलन और समावेशी स्वास्थ्य प्रणालियों पर जोर

उद्घाटन के बाद शुरू हुई पूर्ण सत्र चर्चाओं में वैश्विक स्वास्थ्य, ज्ञान शासन, जैव विविधता संरक्षण और समानता जैसे विषयों पर गहन विमर्श हुआ। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य का वास्तविक आधार व्यक्ति, समाज और प्रकृति के बीच संतुलन है।

सम्मेलन के विचार-विमर्श ने यह स्पष्ट किया कि पारंपरिक चिकित्सा न केवल सांस्कृतिक विरासत है, बल्कि लोगों और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने में एक सशक्त वैश्विक समाधान भी है।

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