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राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने अल्पसंख्यक दिवस मनाया, समावेशन और संवाद पर दिया गया जोर

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राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) ने 18 दिसंबर 2025 को अल्पसंख्यक दिवस मनाया। इस अवसर पर देश के छह अल्पसंख्यक समुदायों—मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और ज़ोरोस्ट्रियन (पारसी)—के समुदाय नेताओं ने अपने विचार साझा किए।

मुख्य वक्ता डॉ. माइकल वी. विलियम्स (माउंट कार्मेल स्कूल) ने अल्पसंख्यक दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार ईसाई समुदाय ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दीर्घकाल से राष्ट्र निर्माण में शांत लेकिन प्रभावशाली योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों ने संप्रदाय की सीमाओं से परे समाज के सभी वर्गों की सेवा की है।

जामिया हमदर्द से एमडी तौहीद आलम ने अल्पसंख्यक कल्याण को “सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास” की व्यापक अवधारणा से जोड़ते हुए कहा कि आज की शासन व्यवस्था समावेशन पर आधारित है। खालसा कॉलेज के प्रो. हरबंस सिंह ने गुरबाणी के संदेशों के माध्यम से सह-अस्तित्व और सामूहिक समृद्धि को जीवन का अभिन्न अंग बताया।

आचार्य येशी फुंटसोक और डॉ. इंदु जैन ने बौद्ध और जैन समुदायों की चुनौतियों पर खुलकर चर्चा करते हुए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से संवेदनशील और त्वरित समाधान की अपेक्षा जताई। वरिष्ठ पारसी नेता मरज़बान नारिमन ज़ैवाला ने अल्पसंख्यक-केन्द्रित कार्यक्रमों और विभिन्न समुदायों को एक साझा नागरिक मंच पर लाने में NCM की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम का समापन किया।

अल्पसंख्यक समुदाय के लिए खुला सत्र

कार्यक्रम में अल्पसंख्यक समुदायों की बड़ी संख्या में भागीदारी रही। खुले सत्र के दौरान अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र से लेकर विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन तक से जुड़े सवाल उठाए गए। यह संवाद सक्रिय सहभागिता और आपसी समझ के माध्यम से समस्याओं के समाधान के प्रति साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

समावेशी समाज की दिशा में पहल

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सचिव अलका उपाध्याय ने अल्पसंख्यक समुदायों के उत्थान हेतु सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों ने देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विरासत को समृद्ध बनाने में अमूल्य योगदान दिया है और NCM एक समावेशी एवं न्यायसंगत समाज के निर्माण के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।

उन्होंने शिक्षा, कौशल विकास, वित्तीय सहायता और सशक्तिकरण से जुड़ी विभिन्न पहलों का उल्लेख किया तथा कहा कि सरकार की नीतियाँ इस दृष्टि से संचालित हैं कि कोई भी पीछे न छूटे और सभी समुदायों को समान अवसर मिलें। साथ ही, विभिन्न समुदायों के बीच निरंतर संवाद की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया।

उपाध्याय ने आगे कहा कि स्थापना के बाद से ही राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के संरक्षण, कल्याण और सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकारों, हितधारकों और अल्पसंख्यक समुदायों के साथ सतत संवाद के माध्यम से उनकी आवाज़ सुनी जाएगी, समस्याओं का समाधान किया जाएगा और उनकी आकांक्षाओं को पूरा किया जाएगा।

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