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महाराष्ट्र में रेलवे अवसंरचना को अभूतपूर्व बढ़ावा, बजट आवंटन और परियोजनाओं में रिकॉर्ड वृद्धि

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पिछले पाँच वर्षों में महाराष्ट्र में रेलवे अवसंरचना और सुरक्षा कार्यों के लिए बजट आवंटन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जहाँ वर्ष 2009–14 के दौरान औसतन ₹1,171 करोड़ प्रति वर्ष का आवंटन था, वहीं 2025–26 में यह बढ़कर ₹23,778 करोड़ हो गया है, जो 20 गुना से भी अधिक की वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि राज्य में रेल कनेक्टिविटी, क्षमता विस्तार और सुरक्षा को प्राथमिकता दिए जाने का स्पष्ट संकेत है।


नई रेल लाइनों के निर्माण में तीन गुना से अधिक वृद्धि

नई रेल पटरियों के निर्माण में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 2009–14 के दौरान महाराष्ट्र में कुल 292 किमी नई रेल लाइनें चालू हुईं, यानी औसतन 58.4 किमी प्रति वर्ष। वहीं 2014–25 के दौरान यह आंकड़ा बढ़कर 2,292 किमी हो गया, जो औसतन 208 किमी प्रति वर्ष है—तीन गुना से अधिक वृद्धि।

मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में क्षमता विस्तार

मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 120 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें और 3,200 से अधिक लोकल ट्रेनें संचालित होती हैं। इस भारी यात्री दबाव को देखते हुए भारतीय रेलवे ने क्षमता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं।
बांद्रा टर्मिनस, मुंबई सेंट्रल, दादर, जोगेश्वरी, कल्याण, वसई रोड, पनवेल–कलंबोली, लोकमान्य तिलक टर्मिनस (LTT), विरार, दहानू रोड और मीरा रोड जैसे प्रमुख स्टेशनों पर नए प्लेटफॉर्म, पिट लाइन और स्टेबलिंग लाइन का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, 34 स्टेशनों पर 15-कार ईएमयू ट्रेनों के लिए प्लेटफॉर्म विस्तार का कार्य जारी है।

MUTP परियोजनाओं से बदलेगी मुंबई की तस्वीर

मुंबई उपनगरीय नेटवर्क की क्षमता बढ़ाने के लिए मुंबई अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (MUTP) के तहत MUTP-II (₹8,087 करोड़), MUTP-III (₹10,947 करोड़) और MUTP-IIIA (₹33,690 करोड़) को मंजूरी दी गई है।
इन परियोजनाओं में CSMT–कुर्ला, मुंबई सेंट्रल–बोरीवली, बोरीवली–विरार, विरार–दहानू रोड, पनवेल–करजत, कल्याण–आसनगांव, कल्याण–बदलापुर सहित कई नए और अतिरिक्त रेल कॉरिडोर शामिल हैं, जो मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में यात्री सुविधाओं और समयबद्धता में बड़ा सुधार लाएंगे।

यात्री क्षमता बढ़ाने के लिए नई लोकल ट्रेनें

यात्रियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए MUTP-III और IIIA के तहत 12 डिब्बों वाली 238 नई लोकल ट्रेन रेकों को मंजूरी दी गई है, जिन पर ₹19,293 करोड़ की लागत आएगी। इनके लिए खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

महाराष्ट्र में 89,780 करोड़ रुपये की 38 रेल परियोजनाएं

1 अप्रैल 2025 तक महाराष्ट्र में पूरी तरह या आंशिक रूप से शामिल कुल 38 रेलवे परियोजनाएं (नई लाइन, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण) स्वीकृत हैं। इनकी कुल लंबाई 5,098 किमी और अनुमानित लागत ₹89,780 करोड़ है। इनमें से 2,360 किमी लंबाई का कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है।

हाल में पूरी और प्रगति पर प्रमुख परियोजनाएं

पुणे–मिरज–लोंडा दोहरीकरण, मनमाड–जलगांव तीसरी लाइन, पनवेल–रोहा दोहरीकरण, उदना–जलगांव दोहरीकरण और दौंड–गुलबर्गा परियोजनाएं हाल ही में पूरी हुई प्रमुख परियोजनाओं में शामिल हैं।
इसके अलावा, इंदौर–मनमाड नई लाइन, वर्धा–भुसावल तीसरी व चौथी लाइन, गोंदिया–बल्लारशाह दोहरीकरण और वधावन पोर्ट–पालघर परियोजनाएं राज्य के औद्योगिक और लॉजिस्टिक विकास को नई गति देंगी।

बुलेट ट्रेन और वेस्टर्न डीएफसी को भी रफ्तार

महाराष्ट्र में हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना ने भी गति पकड़ ली है। 100% भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है और पुलों व अन्य संरचनाओं का निर्माण जारी है।
वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) का लगभग 178 किमी हिस्सा महाराष्ट्र से होकर गुजरता है, जिसमें से 76 किमी पहले ही चालू हो चुका है। इससे जेएनपीटी बंदरगाह से दिल्ली-एनसीआर तक माल परिवहन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

समग्र विकास की दिशा में बड़ा कदम

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, परियोजनाओं की स्वीकृति यातायात संभावनाओं, सामाजिक-आर्थिक लाभ, कनेक्टिविटी, सुरक्षा और उपलब्ध संसाधनों जैसे कई मानकों पर आधारित होती है। वहीं परियोजनाओं के पूरा होने में भूमि अधिग्रहण, वन स्वीकृति, भूगर्भीय परिस्थितियां और कानून-व्यवस्था जैसे कारक अहम भूमिका निभाते हैं।

कुल मिलाकर, महाराष्ट्र में रेलवे अवसंरचना का यह व्यापक विस्तार राज्य के आर्थिक विकास, औद्योगिक प्रगति और यात्रियों की सुविधा के लिए एक निर्णायक कदम साबित हो रहा है।

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