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मिशन मौसम: उन्नत प्रौद्योगिकी के माध्यम से सटीक मौसम पूर्वानुमान और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की दिशा में भारत का कदम

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 केंद्रीय क्षेत्र की योजना “मिशन मौसम (Mission Mausam)” का उद्देश्य देश में मौसम और जलवायु से जुड़े अवलोकन, समझ, मॉडलिंग और पूर्वानुमान क्षमताओं को उल्लेखनीय रूप से सुदृढ़ करना है, ताकि अधिक उपयोगी, सटीक और समयबद्ध सेवाएं प्रदान की जा सकें। इस मिशन का लक्ष्य पृथ्वी प्रणाली (Earth System) दृष्टिकोण को अपनाते हुए पृथ्वी प्रणाली अवलोकन के विभिन्न घटकों को मजबूत करना है, जिससे निर्बाध मौसम और जलवायु सेवाओं के लिए सटीक पूर्वानुमान और प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित की जा सके।

मिशन मौसम के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • अत्याधुनिक मौसम निगरानी प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों का विकास

  • उच्च स्थानिक एवं कालिक रेज़ोल्यूशन के साथ वायुमंडलीय अवलोकनों का विस्तार और सुदृढ़ीकरण

  • अगली पीढ़ी के डॉप्लर रडार, विंड प्रोफाइलर और उन्नत उपकरणों से युक्त उपग्रहों की तैनाती

  • उन्नत उच्च-प्रदर्शन संगणना (HPC) प्रणालियों का कार्यान्वयन

  • मौसम और जलवायु प्रक्रियाओं की समझ को बढ़ाना तथा पूर्वानुमान क्षमताओं में सुधार

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) सहित उन्नत पृथ्वी प्रणाली मॉडल और डेटा-आधारित विधियों का विकास

  • प्रभावी मौसम प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियों और प्रोटोकॉल का निर्माण

  • अंतिम छोर तक सूचना पहुंच सुनिश्चित करने हेतु अत्याधुनिक निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) और प्रसारण प्रणाली की स्थापना

  • क्षमता निर्माण और अनुसंधान सहयोग को मजबूत करना

मिशन मौसम के कार्यान्वयन से उच्च स्थानिक और कालिक रेज़ोल्यूशन पर मौसम पूर्वानुमान की क्षमता में वृद्धि होगी, चरम मौसम घटनाओं के पूर्वानुमान में सुधार होगा तथा ‘सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी (Early Warning for All)’ पहल को समर्थन देने के लिए अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी सुदृढ़ होगी।

मिशन मौसम के अंतर्गत भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) में अत्याधुनिक उच्च-प्रदर्शन संगणना प्रणालियां स्थापित की गई हैं। इसके साथ ही कई डॉप्लर मौसम रडार और अन्य इन-सीटू अवलोकन नेटवर्क भी लगाए गए हैं। इन प्रगतियों से देश के मौसम निगरानी अवसंरचना को मजबूती मिली है और पूर्वानुमान मॉडलों में सुधार हुआ है, जिससे लगभग 6 किलोमीटर के स्थानिक रेज़ोल्यूशन पर मौसम पूर्वानुमान संभव हो सका है। परिणामस्वरूप, मौसम पूर्वानुमानों की सटीकता और विश्वसनीयता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

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